कन्नौज के एक इत्र कारोबारी पीयूष जैन सुर्खियों में हैं, लेकिन किसी उपलब्धि के लिए नहीं, बल्कि उनके घर से बरामद हुए करोड़ों रुपये के काले धन के लिए। आयकर विभाग और सीबीआईसी की संयुक्त टीम द्वारा किए गए छापों में पीयूष जैन के ठिकानों से 257 करोड़ रुपये से अधिक नकदी बरामद हुई है। यह रकम इतनी अधिक थी कि इसे गिनने के लिए पांच नोट गिनने वाली मशीनों की जरूरत पड़ी।
जानकारी के अनुसार, यह छापेमारी फर्जी चालान जारी कर और ई बिल के बिना सामान भेजने से जुड़े जीएसटी चोरी के मामले में की गई थी। आरोप है कि बरामद किया गया काला धन इन्हीं फर्जी गतिविधियों से कमाया गया है।
यह मामला इसलिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि भाजपा ने इस छापेमारी को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा हाल ही में लॉन्च किए गए परफ्यूम ब्रांड से जोड़ने का प्रयास किया है। हालांकि, इस दावे को अभी तक किसी भी ठोस सबूत से समर्थन नहीं मिला है।
छापेबंदी से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु:
कन्नौज के अलावा पीयूष जैन के कनाडा और मुंबई स्थित ठिकानों पर भी छापेमारी की गई।
कुल मिलाकर 257 करोड़ रुपये से अधिक नकदी, सोना और चांदी बरामद किया गया।
50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद पीयूष जैन को जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग ने हिरासत में ले लिया।
यह मामला अभी भी जांच के अधीन है और आगे और खुलासे होने की संभावना है। यह घटना देश में व्याप्त काले धन की समस्या पर भी प्रकाश डालती है।
कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन से करोड़ों का काला धन बरामद!
पीयूष जैन मामले में आगे क्या हुआ?
कर चोरी का आरोप: डीजीजीआई ने पीयूष जैन और उनकी तीन कंपनियों पर 497 करोड़ रुपये की कर देनदारी का आरोप लगाया। मई 2023 में, उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर करने की भी तैयारी चल रही थी।
जांच जारी: यह मामला अभी भी अदालत में है और जांच जारी है। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस मामले से जुड़े अन्य लोगों के बारे में भी जानकारी सामने आएगी, जिनमें ट्रांसपोर्टर और पान मसाला आपूर्तिकर्ता शामिल है
काले धन के खिलाफ लड़ाई: पीयूष जैन मामले ने भारत में काले धन की समस्या पर फिर से ध्यान दिलाया है। इस मामले ने सरकार को कर चोरी के खिलाफ सख्त कदम उठाने के महत्व को रेखांकित किया है।
निष्कर्ष:
पीयूष जैन मामले ने भारत में वित्तीय अपराधों से निपटने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे सतर्कता और सख्त कार्रवाई से भ्रष्टाचार और कर चोरी को रोका जा सकता है। उम्मीद है कि इस मामले के निष्कर्ष से भविष्य में इस तरह के अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी।