1449ई में आश्विन शुक्ल पक्ष विजयदशमी के दिन जन्में शंकर देव असम के महान संत और साहित्यकार, आध्यात्मिक नेता और कलाकार थे। आगे चलकर उन्हे शंकरदेव के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उन्होंने असमिया भाषा में ग्रंथों की रचना की। उनके द्वारा रचित काव्य, ग्रंथ और नाटकों में वे अद्वितीय भक्ति, संगीत और नृत्य का समृद्ध अंश सम्मिलित करने का प्रयास करते थे। शंकरदेव ने अपने जीवन को सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के लिए समर्पित किया और उन्होंने अपने शिष्य मधुबन्ध और अपने सहकर्मी माधवदेव के साथ मिलकर असम के साहित्य और संस्कृति को बदला। उन्होंने असम में वैष्णव मत की अद्वैतिन शैली को प्रचारित किया। उन्होंने नाटक, भजन, और काव्य रचनाएँ की जिनमें उनका विशेष ध्यान भक्ति और भारतीय संस्कृति के प्रति था। नीचे दिए गए पीडीएफ में पढ़ें उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों को।
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