भारत में जून में डीजल की मांग में गिरावट
भारत में जून महीने में डीजल की मांग में गिरावट देखी गई है। राज्य के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी की वजह से यात्रा में कमी आने से डीजल की बिक्री में 4% की गिरावट दर्ज की गई है।
डीजल भारत में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला ईंधन है और कुल पेट्रोलियम उत्पाद खपत का लगभग 40% हिस्सा है। वाहन क्षेत्र, जो डीजल पर काफी निर्भर है, देश में कुल डीजल बिक्री का 70% हिस्सा है। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में भी डीजल का व्यापक उपयोग होता है, जैसे कि कंबाइन और ट्रैक्टरों में।
जून के पहले पंद्रह दिनों में डीजल की बिक्री 3.95 मिलियन टन रही, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.9% कम है। इससे पहले भी डीजल की मांग में गिरावट देखी गई थी, अप्रैल में 2.3%, मार्च में 2.7% और मई में 1.1% की गिरावट दर्ज की गई थी।
चुनावी सीजन और ग्रीष्मकालीन फसल काटने के मौसम के दौरान ईंधन की मांग में आमतौर पर वृद्धि होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय, महीने-दर-महीने बिक्री में गिरावट देखी गई, यहां तक कि सामान्य चुनावों के बाद भी।
मार्च के मध्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी, जिससे बिक्री में वृद्धि होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जून के पहले पंद्रह दिनों में पेट्रोल की बिक्री पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग स्थिर रही, लेकिन मई के पहले पंद्रह दिनों की तुलना में 4.6% कम हो गई।
पेट्रोल और डीजल की बिक्री में गिरावट
जून के पहले पंद्रह दिनों में पेट्रोल की बिक्री 1.42 मिलियन टन रही, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग समान थी। हालांकि, महीने-दर-महीने खपत में 4.6% की गिरावट देखी गई।
वहीं, डीजल की बिक्री 3.95 मिलियन टन रही, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.9% कम है। इससे पहले भी डीजल की मांग में गिरावट देखी गई थी – अप्रैल में 2.3%, मार्च में 2.7% और मई में 1.1%।
चुनावी गतिविधियों, ग्रीष्मकालीन फसल काटने के मौसम और गाड़ियों में एयर कंडीशनिंग की मांग को बढ़ाने वाली गर्मी के कारण ईंधन की खपत में वृद्धि होने की उम्मीद थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय, यात्रा में कमी आने से पेट्रोल और डीजल की मांग में गिरावट देखी गई।
महीने-दर-महीने देखें तो पेट्रोल की बिक्री 3.6% गिर गई, जबकि डीजल की मांग मई के पहले पंद्रह दिनों की तुलना में स्थिर रही।
जेट ईंधन और एलपीजी की बिक्री में मिली-जुली स्थिति
जून के पहले पंद्रह दिनों में जेट ईंधन (एटीएफ) की बिक्री में 2.3% की वार्षिक वृद्धि देखी गई, लेकिन मई के पहले पंद्रह दिनों की तुलना में 4.5% की गिरावट आई।
एलपीजी (रसोई गैस) की बिक्री में जून के पहले पंद्रह दिनों में 0.1% की वार्षिक वृद्धि देखी गई, लेकिन मई के पहले पंद्रह दिनों की तुलना में 5.2% की गिरावट आई।
हालांकि, एटीएफ की मांग अब कोविड-19 से पहले के स्तर से ऊपर है, जो विमानन क्षेत्र में धीरे-धीरे होने वाली वसूली का संकेत देता है।
कारण और प्रभाव
इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में ईंधन खपत को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं, जिनमें चरम मौसम की स्थिति, आर्थिक गतिविधियां और सरकारी नीतियां शामिल हैं।
गर्मी की वजह से यात्रा में कमी आने से डीजल की मांग में गिरावट आई है। डीजल भारत में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला ईंधन है और कृषि क्षेत्र में भी इसका व्यापक उपयोग होता है। इसलिए गर्मी का असर डीजल की खपत पर स्पष्ट रूप से दिखा है।
वहीं, पेट्रोल की बिक्री भी गिरी है। इसका कारण भी यात्रा में कमी और गर्मी का असर है। इसके अलावा, मार्च में ईंधन की कीमतों में कटौती के बावजूद बिक्री में वृद्धि नहीं हुई।
जेट ईंधन की बिक्री में मामूली वृद्धि देखी गई, जो विमानन क्षेत्र में धीरे-धीरे होने वाली वसूली का संकेत देता है। वहीं, एलपीजी की बिक्री में भी गिरावट आई है।
इस तरह, भारत में ईंधन खपत पर कई कारकों का असर दिख रहा है। चरम मौसम की स्थिति, आर्थिक गतिविधियों और सरकारी नीतियों का संयुक्त प्रभाव ईंधन की मांग और आपूर्ति पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
भारत में जून में डीजल की मांग में 4% की गिरावट देखी गई है। चरम गर्मी की वजह से यात्रा में कमी आने से डीजल की मांग में गिरावट आई है। डीजल भारत में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला ईंधन है और कृषि क्षेत्र में भी इसका व्यापक उपयोग होता है। इसके अलावा, मार्च में ईंधन की कीमतों में कटौती के बावजूद बिक्री में वृद्धि नहीं हुई।
पेट्रोल की बिक्री भी गिरी है। इसका कारण भी यात्रा में कमी और गर्मी का असर है। जेट ईंधन की बिक्री में मामूली वृद्धि देखी गई, जो विमानन क्षेत्र में धीरे-धीरे होने वाली वसूली का संकेत देता है। एलपीजी की बिक्री में भी गिरावट आई है।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में ईंधन खपत को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं, जिनमें चरम मौसम की स्थिति, आर्थिक गतिविधियां और सरकारी नीतियां शामिल हैं। इन कारकों का संयुक्त प्रभाव ईंधन की मांग और आपूर्ति पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।