श्रद्धा और धार्मिक आस्था का महापर्व Sawan Purnima

Sawan Purnima

सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने के अंतिम दिन, जिसे सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima) कहा जाता है, का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव, चंद्र देव, श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यही नहीं, इस दिन को धार्मिक आस्था, भाईचारे, और प्रकृति के संगम के रूप में मनाया जाता है। सावन पूर्णिमा को रक्षा बंधन के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की मजबूती को दर्शाता है। 

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) को देर रात 03:44 बजे से शुरू होकर, उसी दिन रात 11:55 बजे तक रहेगा। सनातन धर्म में तिथि की गणना सूर्य उदय से की जाती है, इसलिए सावन पूर्णिमा 19 अगस्त को मनाई जाएगी। इसी दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाएगा।

सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima) का धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। सावन पूर्णिमा का संबंध भगवान शिव से है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से समस्त पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भक्तजन गंगा स्नान करते हैं, शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाते हैं और उपवास रखते हैं। कुछ लोग इस दिन रुद्राभिषेक करवाते हैं, जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

रक्षा बंधन: भाई-बहन के रिश्ते का पावन पर्व

सावन पूर्णिमा का एक और महत्वपूर्ण पहलू रक्षा बंधन है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई बदले में अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं। यह त्योहार परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम, स्नेह, और विश्वास को बढ़ावा देता है। एक कथा के अनुसार, इस दिन देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी और उसे अपना भाई बनाया था। इस प्रकार रक्षा बंधन का त्योहार केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है बल्कि यह प्रेम, मित्रता और मानवता के रिश्ते को भी मजबूती प्रदान करता है।

सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima) पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ समय

सावन पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से चंद्र देव को समर्पित होता है और इसे चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा माना जाता है। इस साल सावन पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय शाम 06:56 बजे है।

पूजा विधि

सावन पूर्णिमा के दिन भगवान शिव, चंद्र देव, श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। कुछ लोग इस दिन सत्यनारायण की कथा भी करते हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे बेलपत्र, धूप, दीप, शुद्ध जल, फूल, मिठाई, और फल तैयार कर लें।

इसके बाद, भगवान शिव को बेलपत्र, फूल, और फल अर्पित कर पूजा करें और धूप-दीप जलाएं। इसके बाद, मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की एक साथ पूजा करें, जिसमें आप फूल, कौड़ी, और पीले फल अर्पित करें। सावन पूर्णिमा की रात को चंद्रमा के उदय होने के बाद, चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करें।

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