पिछले कुछ दिनों से पड़ोसी देश बांग्लादेश में मचे राजनितिक उथल-पुथल के बीच अब धीरे-धीरे शांति बहाल होती दिख रही है। अभी फ़िलहाल बांग्लादेश के नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बन गई है। ऐसे में सरकार बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कब होंगे? वैसे नियमों के मुताबिक तो अंतरिम सरकार के गठन के बाद 90 दिनों के भीतर चुनाव हो जाने चाहिए, लेकिन अभी फ़िलहाल चुनावी तारीखों को लेकर किसी भी तरह की कोई आधिकारिक टिपण्णी नहीं की है। खैर, इस बीच पिछले महीने भर से जारी आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन में हुई हिंसा में कुल तकरीबन 600 से अधिक लोगों के मरने की पुष्टि हुई है।
जानबूझकर अल्पसंख्यक हिन्दूओं को बनाया गया निशाना
ध्यान देने वाली बात यह कि इस हिंसा में बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय को सबसे अधिक निशाना बनाया गया है। सत्रह करोड़ आबादी वाले इस देश में हिन्दुओं की कुल 8 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की है। और ये शेख हसीना (Sheikh Hasina) की पार्टी अवामी लीग को खुला समर्थन करते हैं। यही कारण जो उन्हें शिकार बनाया गया। आए दिन दिल दहला देने वाली ख़बरें मीडिया में दिखाई जा रही हैं। एक तरफ जहाँ बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं के जान पर बन आई है, तो वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण लिए बैठी हैं। अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है कि वो भारत से कब जाएंगी और किस देश में शरण लेंगी। संभवता: सुरक्षा की दृष्टि से वो भारत में कुछ और दिन गुजार सकती हैं। यहाँ महत्वपूर्ण बात यह कि जिन हिन्दुओं ने Sheikh Hasina का खुला समर्थन किया आज उनके अपने ही जान के लाले पड़ गए हैं। हालत ऐसे हो गए हैं कि उनका वहां रहना दूभर हो गया है।
बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी ने जताई भारत सरकार के इस पहल पर आपत्ति
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि Sheikh Hasina की गलती की सजा बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं को भुगतनी पड़ रही है। अच्छी बात यह कि भारत सरकार पूरे मामले पर अपनी नजर बनाये हुए है। न सिर्फ नजर बनाये हुए है बल्कि हिंसा रोकने का दबाव भी बना रही है। यह तो ठीक, लेकिन भारत सरकार की इस भूमिका पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख खालिदा की पार्टी ने आपत्ति जताई है। पार्टी का कहना है कि शेख हसीना (Sheikh Hasina) को शरण देकर भारत पड़ोसी मुल्कों से रिश्तों में खटास उत्पन्न कर रहा है। खबरों के मुतबिक बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी ने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी ने अपराधी को शरण देकर दिल्ली और ढाका के बीच खाई निर्माण करने का काम किया है।”
भारत को रहना होगा सतर्क
कहने की जरूरत नहीं कि इस स्थिति में भारत सरकार को सोच समझकर कदम उठाना होगा। क्योंकि बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी से साफ़ इल्जाम लगाते हुए कहा है कि “इस्तीफा देने के बाद Sheikh Hasina का भारत शरण लेना यह दोनों की आपसी सहमति से हुआ है।” ऐसे में बांग्लादेश के लोग इसे सकारात्मक रूप से नहीं लेंगे। अब तो आलम यह है की जबतक पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में नयी सरकार स्थापित नहीं हो जाती तबतक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा। क्योंकि यह तो वक़्त ही बताएगा कि बांग्लादेश में चुनाव कब होंगे और चुनाव के बाद किसकी सरकार बनती है? महत्वपूर्ण बात यह कि शेख हसीना (Sheikh Hasina) को छोड़ यदि किसी और की सरकार बनती है तो क्या भारत के उससे संबंध उसी तरह होंगे जिस तरह से शेख हसीना की सरकार से थे? क्योंकि भारत का सबसे बड़ा दुश्मन पाकिस्तान कभी नहीं चाहेगा कि पड़ोसियों से भारत के संबंध सुधरे। इसलिए भारत को कूटनीतिक नीति अपनाते हुए मामले को संभालने की आवश्यकता है। इसके साथ ही भारत को अपनी सीमा सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा। जाहिर बांग्लादेश से हजारों की मात्रा में घुसपैठ भी होने की संभावना बढ़ सकती है।
बांग्लादेश से रोटी और बेटी का रहा है नाता
खैर, वो बात और है कि भारत का बांग्लादेश से रोटी और बेटी का नाता है। लेकिन फिर भी भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या सच में Sheikh Hasina को शरण देने की वजह से बांग्लादेश के कटटरपंथी वहां रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं (Minority Hindu) को निशाना बना रहे हैं? प्रश्न गंभीर है, परन्तु विचारणीय है। यह तो वक़्त ही बताएगा कि यह सही था या गलत। कुल मिलकर भविष्य में भारत को सचेत रहने की जरूरत है।
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