देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियों के मन में कहीं न कहीं इस बात का डर बना रहता है कि कहीं देश के सौ करोड़ हिंदू (Hindu) अगर एकजुट हो गए, तो उनका बंटाधार तय है। कारण यही जो कुछेक को छोड़कर देश की सभी पार्टियां यह कतई नहीं चाहती कि हिंदू एक हों। इसलिए वे हिंदुओं (Hindus) को कभी ऊँची जात तो कभी नीची जात में उलझाए रखती हैं। वोटों के ध्रुवीकरण के लिए जातियों में बाँटने का यह षड्यंत्र आज से नहीं बल्कि वर्षों से चला आ रहा है। और यह खेल आगे भी चलता रहेगा। क्योंकि हिंदू समाज जबतक सोया रहेगा तबतक इस खेल में खलल नहीं पड़ने वाला। अच्छी बात यह कि सोशल मीडिया के इस दौर में कोई भी षड्यंत्र या बात ज्यादा देर तक छुपाई नहीं जा सकती है। ऐसी ही एक साजिश सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के रूप में धड़ल्ले से वायरल हो रही है।
क्या वायरल पोस्ट में दिख रहा शख्स है राहुल का मुख्य सलाहकार?
वायरल हो रही इस पोस्ट में रायबरेली संसद राहुल गांधी को कुछ लोगों के साथ देखा जा सकता है। पोस्ट के मुताबिक तस्वीर में एक शख्स के बेल्जियम नागरिक होने का दावा किया जा रहा है। जिसका नाम जीन ड्रेजी है। पोस्ट के मुताबिक इसने एक भारतीय महिला बेला भाटिया से शादी कर भारत की नागरिकता ले ली है। उसने न सिर्फ भारत की नागरिकता ले ली है बल्कि वह राहुल गांधी का मुख्य सलाहकार भी बन बैठा है। इसके अलावा दावा तो यह भी किया जा रहा है कि वो जॉर्ज सोरेस के संगठन ओपन सोर्स सोसायटी का एशिया हेड भी है। इस तस्वीर को देखने के बाद अंदेशा तो यह भी लगाया जा रहा है कि वर्तमान में राहुल गांधी हिंदुओं (Hindus) को जातियों में बांटकर जो जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, दरअसल यह उसी बेल्जियन नागरिक के दिमाग की उपज है।
Hindu समाज के टूटे बिना सत्ता पाना नहीं है आसान
राजनीतिक महकमें में दबी जुबान में कहा तो यह भी जा रहा है कि इसी ने रायबरेली के सांसद को यह ज्ञान दिया है कि तुम्हारी पार्टी भारत में तबतक नहीं जीत सकेगी जबतक हिंदू समाज एकजुट है। संगठित हिंदुओं की वजह से मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टियां कभी चुनाव नहीं जीत सकेंगी। यदि दिल्ली पर राज करना है तो हिंदुओं (Hindus) को जातियों में बांटना ही होगा। अकेले मुस्लिम तुष्टिकरण के सहारे दिल्ली की सत्ता नहीं पाई जा सकती है। इसलिए हिंदुओं के बीच जितनी हो सके उतनी नफरत पैदा करो। वो यह समझ चुका है कि हिंदू (Hindu) समाज के बीच फुट ही जीतने का सबसे बड़ा मंत्र है।
एक और पाकिस्तान नहीं बनने देना है
खैर, ऐसा नहीं है कि देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है। साल 2011 में सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना करवाई गई थी लेकिन जाति से जुड़े आंकड़ों को सार्वजानिक नहीं किया गया था। यही नहीं, साल 2015 में कर्नाटक में जातिगत जनगणना करवाई तो गई लेकिन उसके आंकड़े गुप्त ही रखे गए। सरकारी आंकड़ों की माने तो भारत में साल 1931 में हुई पहली जनगणना में देश में कुल जातियों की संख्या 4,147 थी। तो वहीं साल 2011 में हुई जाति जनगणना के बाद देश में जातियों की संख्या 46 लाख से भी ज़्यादा थी निकली। कहने का तातपर्य यह कि हिंदुओं को 46 लाख से भी अधिक टुकड़ों में बांटने की साजिश चल रही है। ऐसे में हिंदू समाज को स्वयं फैसला करना होगा कि उसे टुकड़ों रहकर बंटना है या फिर एकजुट होकर देश को अटूट रखना है। क्योंकि हिंदुओं (Hindus) के बंटने का सीधा सा अर्थ है, एक और बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का निर्माण होना। देश में एक और पापिस्तान न बने इस लिए देश में सोने का नाटक कर रहे हिंदुओं को जागना होगा।
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