पेरिस ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराकर 52 साल बाद एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की। कप्तान हरमनप्रीत सिंह और अभिषेक के गोल ने टीम को विजय दिलाई। इस जीत से भारत ने क्वार्टरफाइनल में अपनी स्थिति मजबूत की।
Paris Olympics 2024: भारतीय हॉकी का शानदार प्रदर्शन
पेरिस की धरती पर भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया, जिसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की होगी। शुक्रवार को खेले गए मैच में भारत ने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराकर 52 साल पुराने इंतजार को खत्म कर दिया। इस थ्रिलिंग मुकाबले में कप्तान हरमनप्रीत सिंह की अगुवाई में टीम इंडिया ने अपने दम पर इतिहास रच दिया।
मैच का रोमांचक आगाज
मैच की शुरुआत से ही भारतीय खिलाड़ियों के चेहरों पर जीत का जुनून साफ नजर आ रहा था। पहले दो मिनट में ही टीम ने दो सर्कल एंट्री करके अपने इरादे जाहिर कर दिए। जर्मनप्रीत सिंह ने दाएं फ्लैंक से एक शानदार पास सुकजीत सिंह को दिया, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और मौका हाथ से निकल गया।
गोलों की बौछार
12वें मिनट में अभिषेक ने भारत के लिए पहला गोल दागकर स्टेडियम में मौजूद भारतीय फैन्स को खुशी से झूमने पर मजबूर कर दिया। ललित के शॉट को ऑस्ट्रेलियाई गोलकीपर एंड्रयू चार्टर ने रोका, लेकिन रिबाउंड पर अभिषेक ने अपनी चपलता दिखाते हुए गेंद को गोल में पहुंचा दिया। मानो यह गोल भारतीय टीम के लिए संजीवनी बूटी का काम कर गया।
कप्तान का कमाल
एक मिनट बाद ही, कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने अपनी जादुई स्टिक से पेनल्टी कॉर्नर पर गोल कर भारत की लीड को 2-0 कर दिया। हरमनप्रीत की इस स्ट्राइक ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के होश उड़ा दिए। उनका यह प्रदर्शन देखकर लग रहा था जैसे वे अकेले ही पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम से लोहा ले रहे हों।
ऑस्ट्रेलिया की वापसी और भारत का जवाबी हमला
25वें मिनट में ऑस्ट्रेलिया ने वापसी की कोशिश की। टॉम क्रेग ने पेनल्टी कॉर्नर पर गोल कर स्कोर 2-1 कर दिया। लेकिन भारतीय टीम ने हार नहीं मानी। दूसरे हाफ में हरमनप्रीत ने एक और गोल कर भारत की बढ़त को 3-1 कर दिया। उनका यह गोल मानो कह रहा था – “हम यहाँ जीतने आए हैं, हारने नहीं!”
श्रीजेश: भारत के अभेद्य किले
भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कई ऐसे सेव किए, जो किसी चमत्कार से कम नहीं थे। 11वें मिनट में उन्होंने टॉम विकहम के शॉट को ऐसे रोका, मानो उनके हाथों में चुंबक लगा हो। श्रीजेश के इन सेव ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को बार-बार निराश किया।
अंतिम क्षणों का रोमांच
मैच के आखिरी क्वार्टर में ऑस्ट्रेलिया ने एक पेनल्टी स्ट्रोक से गोल कर स्कोर 3-2 कर दिया। स्टेडियम में तनाव की लहर दौड़ गई। लेकिन भारतीय डिफेंस ने ऐसी दीवार खड़ी कर दी, जिसे ऑस्ट्रेलियाई टीम भेद नहीं पाई। आखिरकार, भारत ने 3-2 से यह ऐतिहासिक मैच जीत लिया।
इस जीत का महत्व
यह जीत सिर्फ एक मैच की जीत नहीं है। यह भारतीय हॉकी के पुनरुत्थान का प्रतीक है। 52 साल बाद ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया को हराना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस जीत ने न सिर्फ टीम का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि पूरे देश में हॉकी के प्रति नया जोश भर दिया है।
इस जीत के साथ, भारत ने पूल बी में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। टीम पहले ही क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर चुकी है। अब सभी की नजरें आगे के मैचों पर टिकी हैं। क्या भारतीय टीम इसी फॉर्म को बरकरार रखते हुए गोल्ड मेडल तक का सफर तय कर पाएगी? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस जीत ने जरूर यह साबित कर दिया है कि भारतीय हॉकी अब वापस अपने सुनहरे दौर की ओर लौट रही है।