शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) को मायोपिया (Myopia) भी कहा जाता है। यह सामान्य आई कंडीशन है, जो बहुत से लोगों की आंखों को प्रभावित करती है। इसमें रोगी को दूर रखी चीज को देखने में समस्या होती है और उन्हें यह चीजें धुंधली नजर आती हैं। अधिकर मामलों में रोगी को यह पता भी नहीं होता कि उसे शॉर्ट-साइटेडनेस हैं। क्योंकि, इस रोग में रोगी की दृष्टि में धीरे-धीरे बदलाव होता है। एक स्टडी के अनुसार तीन में से एक बच्चे या किशोर को शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) या मायोपिया की परेशानी है। आइए जानें इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से। सबसे पहले शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) के बारे में जान लेते हैं।
शॉर्ट-साइटेडनेस क्या है?
मायोक्लिनिक (Mayoclinic) के अनुसार शॉर्ट-साइटेडनेस में रोगी को दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) की समस्या बचपन और किशोरावस्था के दौरान विकसित होती है। आमतौर पर, यह रोग 20 से 40 वर्ष की उम्र के बीच अधिक स्थिर हो जाता है। सामान्य आंखों की जांच से शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) का निदान संभव है। इसके उपचार में आईग्लासेज, कॉन्टेक्ट लैंसेस और रिफ्रेक्टिव सर्जरी आदि शामिल हैं।
क्या कहती है शॉर्ट-साइटेडनेस के बारे में की गयी स्टडी?
चीन की एक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के द्वारा की गयी स्टडी में यह पाया गया है कि तीन में से एक बच्चे या किशोर में शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) या मायोपिया की समस्या होती है। इस स्टडी में एशिया और अफ्रीका सहित 50 देशों के 5-19 वर्ष की आयु के 54 लाख से अधिक प्रतिभागियों और शॉर्ट-साइटेडनेस के 19 लाख मामलों का विश्लेषण किया गया। इसमें यह पाया गया कि कोविड लॉकडाउन का उन बच्चों की आंखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, जिन्होंने स्क्रीन पर अधिक और बाहर कम समय बिताया। इसके साथ ही लोगों से इस बात का अनुरोध भी किया गया है कि वो स्क्रीन टाइम कम करें और फिजिकल एक्टिविटीज पर अधिक ध्यान दें।
बच्चों और किशोरों को शॉर्ट-साइटेडनेस से बचाने के तरीके
अपने बच्चों और किशोरों को शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) से बचाने के कुछ आसान तरीके इस प्रकार हैं:
- प्रिस्क्रिप्शन रीडिंग चश्में का इस्तेमाल : एक हाथ की दूरी के भीतर कुछ भी देखते समय हमेशा अपने प्रिस्क्रिप्शन रीडिंग चश्मे का उपयोग करें।
- अच्छी लाइटिंग: जब भी आपका बच्चा पढ़ रहा हो, कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहा हो या टेलीविजन देख रहा हो तो, कमरे में अंधेरा नहीं बल्कि पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए।
- नियमित ब्रेक: स्क्रीन टाइम के बीच में हर पांच मिनट्स के बाद ब्रेक लेना आवश्यक है।
- स्क्रीन टाइम कम करें: छोटी स्क्रीन्स का इस्तेमाल कम से कम करें और बड़ी स्क्रीन्स का इस्तेमाल करें।
- विजन थेरेपी: अपने बिहेवियरल ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा निर्धारित विजन थेरेपी एक्सरसाइजेज का पालन करें।
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