Dussehra 2024: विजयदशमी 12 अक्टूबर को, जानें शस्त्र पूजन और रावण दहन के शुभ मुहूर्त

विजयदशमी

विजयदशमी, जिसे दशहरा (Dussehra) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपराओं में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इस साल विजयदशमी (Vijayadashami)12 अक्टूबर, 2024 को धूमधाम से मनाई जाएगी। दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसका संबंध रामायण में भगवान राम द्वारा रावण के वध से है। इसी दिन को बुराई के प्रतीक रावण के अंत और सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।

शस्त्र पूजन का महत्व

विजयदशमी (Vijayadashami) के दिन शस्त्र पूजन की प्राचीन परंपरा भी निभाई जाती है। यह पर्व शक्ति और साहस का प्रतीक होने के कारण शस्त्र पूजन विशेष महत्व रखता है। शास्त्रों के अनुसार, दशहरे के दिन शस्त्र पूजन करने से व्यक्ति को शक्ति और विजय की प्राप्ति होती है। यह दिन केवल योद्धाओं या सेनाओं के लिए नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करता है।  इस दिन लोग अपने घरों में मौजूद शस्त्रों और औजारों की पूजा करते हैं। यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि हमें अपने कार्यों में कुशलता और सावधानी के साथ आगे बढ़ना चाहिए और शस्त्र केवल रक्षात्मक उद्देश्यों के लिए ही प्रयोग किए जाने चाहिए।

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शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त

विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन का विशेष मुहूर्त 12 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 2 मिनट से 2 बजकर 48 मिनट तक तक रहेगा। इस अवधि को बेहद शुभ माना गया है और इस समय शस्त्र पूजन करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस मुहूर्त में की गई पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान मिलता है।

रावण दहन का महत्व

विजयदशमी के दिन रावण दहन का आयोजन होता है, जो दशहरे (Dussehra) की सबसे प्रमुख और आकर्षक परंपरा है। यह आयोजन रामलीला मैदानों में बड़े धूमधाम से किया जाता है, जहां रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के बड़े-बड़े पुतले बनाए जाते हैं और उनका दहन किया जाता है। रावण दहन का अर्थ है, बुराई का अंत और अच्छाई की विजय। रावण के दस सिर प्रतीक होते हैं दस बुराइयों के – क्रोध, अहंकार, मोह, लोभ, काम, द्वेष, आलस्य, अन्याय, हिंसा और स्वार्थ। पुतलों का दहन इन बुराइयों से छुटकारा पाने की भावना को दर्शाता है। रावण दहन का आयोजन पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। कई स्थानों पर इसे एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जहां हजारों लोग इकट्ठा होते हैं और रामायण के आख्यान का मंचन देखते हैं। लोग भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की जयकार करते हुए बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाते हैं।

रावण दहन का शुभ मुहूर्त

इस साल रावण दहन का शुभ मुहूर्त 12 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 45 मिनट से रात्रि 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस दौरान रावण दहन करना अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है। माना जाता है कि इस मुहूर्त में रावण दहन करने से नकारात्मक ऊर्जाओं का अंत होता है और जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है।

 विजयदशमी का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

विजयदशमी न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व समाज को यह संदेश देता है कि चाहे कितनी भी बुराइयाँ क्यों न हों, अच्छाई हमेशा विजयी होती है। दशहरा का पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों और संघर्षों से हार मानने की बजाय हमें उनका डटकर सामना करना चाहिए। इस दिन कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण की कथा का मंचन होता है। यह आयोजन सांस्कृतिक धरोहर के रूप में आज भी महत्वपूर्ण बना हुआ है और नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है। 

इसके अलावा, विजयदशमी के अवसर पर कई लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं, जैसे कि नए व्यापार, शिक्षा या अन्य शुभ कार्य। इसे नए आरंभ का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इस दिन शुभता और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।

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