Haryana Congress defeat: जानिए क्यों राहुल गांधी ने हरियाणा कांग्रेस नेताओं पर निकाली अपनी भड़ास, EVM पर उठाए गंभीर सवाल

राहुल गांधी ने हरियाणा कांग्रेस

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद, पार्टी के भीतर मंथन और आत्मनिरीक्षण का दौर शुरू हो गया है। हरियाणा कांग्रेस की हार (Haryana Congress defeat) ने न केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के नेतृत्व को झकझोर कर रख दिया है। इस हार के कारणों की समीक्षा और भविष्य की रणनीति पर विचार करने के लिए दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।

भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला बैठक में शारीरिक रूप से नहीं थे उपस्थित 

कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला

इस बैठक में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल शामिल थे, ने हरियाणा के नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा की। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि राज्य के प्रमुख नेता जैसे भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला इस बैठक में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं थे, जो कि पार्टी के भीतर मौजूद अंतर्विरोधों की ओर इशारा करता है।

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नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं बनीं हार का कारण

राहुल गांधी ने इस बैठक में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनका मानना है कि नेताओं ने अपने व्यक्तिगत हितों को पार्टी के हितों से ऊपर रखा, जिसका खामियाजा पूरी पार्टी को भुगतना पड़ा। यह टिप्पणी हरियाणा कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल (Questions on Haryana Congress leadership) उठाती है और पार्टी के भीतर एकजुटता की कमी को उजागर करती है।

ईवीएम पर उठे सवाल और जांच की मांग

चुनाव परिणामों पर सवाल उठाते हुए, कांग्रेस ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में संभावित गड़बड़ी का मुद्दा भी उठाया। पार्टी ने भूपिंदर सिंह हुड्डा और उदयभान से उन 20 सीटों की एक सूची मांगी है, जहां उनका मानना है कि ईवीएम में हेरफेर किया गया हो सकता है। यह कदम चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर पार्टी के संदेह को दर्शाता है और चुनाव आयोग से जांच की मांग की संभावना को बढ़ाता है।

हार के कारणों की तलाश और भविष्य की रणनीति

कांग्रेस नेतृत्व ने हार के कारणों का विश्लेषण करने और भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए एक तथ्य-अन्वेषण समिति गठित करने का निर्णय लिया है। अजय माकन और अशोक गहलोत जैसे वरिष्ठ नेताओं को हरियाणा के सभी कांग्रेस उम्मीदवारों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करने और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। यह प्रयास पार्टी की वर्तमान स्थिति का सटीक आकलन करने और आगामी चुनावों के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार करने में मदद करेगा।

शमशेर सिंह गोगी ने हार का ठीकरा सीधे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिर फोड़ा

शमशेर सिंह गोगी , भूपेंद्र सिंह हुड्डा

हरियाणा कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पहले ही हार के कारणों पर अपने विचार व्यक्त करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के ओबीसी मोर्चे के अध्यक्ष अजय यादव ने कहा कि पार्टी ने हरियाणा में एक संगठित इकाई के रूप में चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि न तो दलित समुदाय को उचित सम्मान दिया गया और न ही पिछड़े वर्गों के हितों का ध्यान रखा गया। यह टिप्पणी पार्टी की सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की नीतियों पर सवाल उठाती है। इसी तरह, असंध सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार शमशेर सिंह गोगी ने हार का ठीकरा सीधे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के सिर फोड़ा है। यह आरोप राज्य में पार्टी के भीतर मौजूद गुटबाजी और आंतरिक कलह को उजागर करता है, जो निश्चित रूप से पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक रहा है।

कांग्रेस के लिए यह समय अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने का है

हरियाणा में कांग्रेस की इस हार ने पार्टी के समक्ष कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। नेतृत्व की प्रभावशीलता, पार्टी की आंतरिक एकता, जमीनी स्तर पर संगठन की मजबूती, और विभिन्न सामाजिक समूहों के साथ जुड़ाव – ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर पार्टी को गंभीरता से विचार करना होगा। अब जबकि बीजेपी नई सरकार बनाने की तैयारी में है, कांग्रेस के लिए यह समय अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और एक मजबूत विपक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाने का है। पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने, नए नेतृत्व को प्रोत्साहित करने और जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

कांग्रेस की यह हार पार्टी के लिए है एक बड़ा झटका 

हरियाणा में कांग्रेस की यह हार न केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। यह पार्टी के लिए एक आत्मनिरीक्षण का अवसर है, जहां वह अपनी कमियों को पहचान सके और उन्हें दूर करने के लिए ठोस कदम उठा सके। कांग्रेस के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह अवसर भी है कि वह खुद को पुनर्गठित करे और एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे।

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