दुनिया में वर्ल्ड वार के आहट के बीच भारत भी अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने में जुटा है। भारत ने नौसेना में परमाणु ऊर्जा चलित दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को शामिल करने के बाद अब पानी के नीचे लड़ाकू बेड़े का विस्तार करने पर लग गया है। नौसेना का सबसे ज्यादा फोकस लंबी दूरी की गश्त करने वाली पनडुब्बी और दूसरे जहाजों के बीच मजबूत कम्युनिकेशन के लिए एडवांस फैसिलिटी स्थापित करने पर है। इस वेरी लो फ्रीक्वेंसी कम्युनिकेशन स्टेशन (वीएलएफ) की स्थापना तेलंगाना के विकाराबाद में में किया गया है, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 15 अक्टूबर को करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह वीएलएफ फैसिलिटी करीब दो साल में पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगी। जिसके बाद नौसेना पानी के नीचे अपनी पनडुब्बियों को चौबीस घंटे एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन कनेक्टिविटी प्रदान कर सकेगी।
ऐसे काम करती हैं वीएलएएफ
रक्षा सूत्रों के अनुसार, वीएलएफ एक खास तरह की रेडियो तरंगें होती हैं, जो 3 से 30 किलोहर्ट्ज़ की फ्रीक्वेंसी बैंड पर काम करती हैं। यह फ्रीक्वेंसी समुद्र के अंदर एक निश्चित गहराई तक आसानी से ट्रेवल करती है। यह टेक्नोलॉजी अभी तक कुछ ही देशों के पास है। वीएलएफ फैसिलिटी उन परमाणु पनडुब्बियों को ‘कमांड और नियंत्रण’ करने में मदद करेगा, जो लंबे समय तक पानी के अंदर रहती हैं। इस टेक्नोलॉजी के आने के बाद की घुसपैठ पर नजर रखना आसान हो जाएगा।
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अगले साल एक और शक्तिशाली पनडुब्बी होगी बेड़े में शामिल
बता दें कि, नौसेना तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में साल 1990 से एक वीएलएफ स्टेशन चला रही है, हालांकि इसकी टेक्नोलॉजी अब पुरानी हो चुकी है। विकाराबाद में बन रही नया वीएलएफ स्टेशन काफी एडवांस है। यह डीजल और इलेक्ट्रिक के साथ परमाणु पनडुब्बियों से भी 24 घंटे कम्युनिकेश बनाए रखने में सक्षम होगा। इस टेक्नोलॉजी की मदद से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना की घुसपैठ पर कड़ी नजर रखने के साथ कड़ी टक्कर दे सकेगा।
बता दें कि, नौसेना अगले साल तक आईएनएस अरिधमान के रूप में तीसरे पनडुब्बी को अपने बेड़े में शामिल करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा सीक्रेट एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) परियोजना के तहत एक चौथी पनडुब्बी का भी निर्माण हो रहा है। इस पनडुब्बी में 190 मेगावाट तक के शक्तिशाली प्रेशराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर होंगे।
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