Peepal Puja: शनिवार को पीपल में जल चढ़ाने और दीपक जलाने के नियम: क्या है इनका महत्त्व?

Peepal Puja

हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व है। इसे शुभ और पवित्र माना जाता है, और इसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। खासतौर पर शनिवार के दिन पीपल में जल चढ़ाने और दीपक जलाने का अपना एक अलग ही धार्मिक महत्त्व है। यह दिन शनिदेव को समर्पित है, जो न्याय के देवता माने जाते हैं। शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए कई धार्मिक अनुष्ठान और नियम बताए गए हैं, जिनमें पीपल की पूजा (Peepal Puja) और दीपक जलाना प्रमुख हैं। आइए जानते हैं शनिवार के दिन पीपल में जल चढ़ाने और शाम को दीपक जलाने से जुड़े नियमों और उनके महत्त्व के बारे में।

पीपल में जल चढ़ाने का महत्त्व

पीपल का वृक्ष हिंदू धर्म में दिव्यता का प्रतीक है। इसे ‘देव वृक्ष’ कहा जाता है क्योंकि इस वृक्ष में त्रिदेवों का वास माना जाता है – भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश। इसलिए, पीपल की पूजा (Peepal Puja) को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। विशेष रूप से शनिवार के दिन पीपल में जल चढ़ाना बेहद लाभकारी होता है।

1. शनि दोष से मुक्ति: शनिवार के दिन पीपल में जल चढ़ाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है। यदि किसी की कुंडली में शनि की दशा ठीक नहीं चल रही हो, तो उसे शनिवार को पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर शनिदेव से प्रार्थना करनी चाहिए। इससे शनि की अशुभता दूर होती है और जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

2. पुण्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक: पीपल में जल अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। यह न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पीपल का वृक्ष ऑक्सीजन का सबसे बड़ा स्रोत होता है, और इसे सींचने से हम प्रकृति की रक्षा भी कर रहे होते हैं।

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पीपल में जल चढ़ाने के नियम

Peepal Tree

शनिवार के दिन पीपल में जल चढ़ाने से पहले कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों के पालन से पूजा का संपूर्ण फल मिलता है:

1. जल चढ़ाने का समय: शनिवार के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय पीपल में जल चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है। इस समय को धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।

2. शुद्धता का ध्यान: जल चढ़ाने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही पीपल में जल चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान विष्णु और शनिदेव का ध्यान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

3. शुद्ध जल का प्रयोग: पीपल में चढ़ाने के लिए शुद्ध जल का उपयोग करना चाहिए। जल चढ़ाने के साथ ही ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करना शुभ होता है।

शनिवार को शाम के समय दीपक जलाने का महत्त्व

Peepal and diya

शनिवार की शाम को पीपल के नीचे दीपक जलाना भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह न केवल शनिदेव को प्रसन्न करने का एक उपाय है, बल्कि यह आपके जीवन में अंधकार को दूर कर उजाला लाने का प्रतीक भी है।

1. शनिदेव की कृपा प्राप्ति: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने की परंपरा है। यह उपाय शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और उनके कोप से बचने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव, दीपक जलाने से प्रसन्न होकर भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

2. बाधाओं का निवारण: जिन व्यक्तियों के जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हों, उन्हें शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाना चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। साथ ही, यह कर्मों के परिणामस्वरूप आने वाली समस्याओं से भी मुक्ति दिलाता है।

3. धन-धान्य की प्राप्ति: यदि कोई व्यक्ति आर्थिक तंगी का सामना कर रहा हो या उसे रोजगार में कठिनाई हो रही हो, तो पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और धन, समृद्धि तथा रोजगार की प्राप्ति होती है। दीपक जलाते समय शनिदेव का ध्यान करते हुए उनसे जीवन की परेशानियों से मुक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए।

दीपक जलाने के नियम

शनिवार की शाम को पीपल के नीचे दीपक जलाते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि पूजा का पूर्ण लाभ मिल सके:

1. दीपक का प्रकार: पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। सरसों के तेल को विशेष रूप से शनिदेव की पूजा में शुभ माना जाता है। इस दीपक को शनि के नाम से जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

2. दीपक जलाने का समय: शनिवार की शाम सूर्यास्त के बाद पीपल के नीचे दीपक जलाना सबसे शुभ माना गया है। यह समय धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है और इस समय शनिदेव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। पेड़ के नीचे दीया जलाते हुए याद रखें कि कभी भी रात 9 बजे के बाद दीया न जलाएं। इसका प्रभाव अशुभ माना जाता है।

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