महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा का चुनावी बिगुल बज चुका है। एक ही चरण में 20 नवंबर के दिन चुनाव होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किये जाएंगे। इसके मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। बड़ी बात यह कि भाजपा ने अपनी पहली कैंडिडेट लिस्ट जारी भी कर दी है। यह तो ठीक, लेकिन महाविकास अघाड़ी जिसमें शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की NCP शामिल हैं, उसमें सीट बटंवारे को लेकर पिछले कुछ दिनों से घमासान मचा हुआ है। दरअसल, सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच तनातनी मची हुई है।
15 सीटों को लेकर पर कांग्रेस और शिवसेना के बीच रार मचा हुआ है
आपको बता दें कि महाराष्ट्र (Maharashtra) की कुछ सीटें ऐसी हैं, जिसे लेकर शिवसेना और कांग्रेस आमने-सामने है। इस बीच बैठकों का दौर भी जारी है, फिर भी बात नहीं बन पा रही है। ऐसे में आज होने वाली महाविकास अघाड़ी की बैठक में यह तय हो जाएगा कि तकरार खत्म होगी या फिर बात न बनने पर कांग्रेस एकला चलो रे की रणनीति अपनाएगी। गौरतलब हो कि महाविकास अघाड़ी में करीब 15 सीटों को लेकर पर कांग्रेस और शिवसेना के बीच रार मचा हुआ है। इनमें से तीन सीटें मुंबई और 12 पूर्वी विदर्भ की हैं। दोनों ही पार्टियां इन सीटों पर दावा कर रही हैं। इसी रार को सुलझाने के लिए ही आज दोपहर महाविकास अघाड़ी की बैठक होगी।
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दोनों पार्टियां अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं
हालांकि सीट बंटवारे को लेकर एमवीए की दर्जन भर से ज्यादा अधिक बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन इन 15 सीटों पर मचा घमसान है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मुंबई की जिन तीन सीटों पर कांग्रेस और उद्धवसेना का रार है, वो हैं, भायखला, बांद्रा पूर्व और वर्सोवा। तो वहीं, विदर्भ में रामटेक, गोंदिया, दक्षिण नागपुर, भंडारा और गढ़चिरौली जैसी सीटों पर दोनों पार्टियां अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। ऐसे में अब शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कांग्रेस महासचिव रमेश चेन्निथला कोई न कोई हल निकालने की कोशिश करेंगे।
उद्धवसेना तकरीबन 90 सीटों पर लड़ सकती है चुनाव
सूत्रों की माने तो, महाविकास अघाड़ी में बनी सहमति के मुताबिक, कांग्रेस 96 सीटों पर, शरद पवार की एनसीपी 80 सीटों पर तो वहीं उद्धवसेना तकरीबन 90 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। बाकि बची सींटे कांग्रेस के झोली में जा सकती हैं। करीबी सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि बात न बनने पर उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी छोड़ महायुति में शामिल हो सकते हैं और कांग्रेस एकला चलो रे की नीति पर अमल कर सकती है। खैर, ये तो वक़्त ही बताएगा कि कौन किसके साथ मिलकर चुनाव लड़ता है और चुनावी नतीजे के बाद सरकार बनाता है।
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