मौजूदा दौर में बांझपन की समस्या बड़ी आम हो गई है। बता दें कि इसकी दो कैटेगरी होती है। पहली प्राइमरी इनफर्टिलिटी। इसमें कपल्स कंसीव नहीं कर पाते। दूसरी है सेकेंडरी इनफर्टिलिटी। इसमें कपल्स एक या दो बार प्रेग्नेंट होने के बाद जल्दी कंसीव नहीं कर पाते। आमतौर पर अधिकतर युवा कपल्स प्राइमरी इंफर्टिलिटी का सामना करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के की हालिया स्टडी के मुताबिक दुनियाभर में हर 6 में से 1 व्यक्ति बांझपन की समस्या से प्रभावित है। भारत समेत कई देशों के घटते फर्टिलिटी दर से इसकी गंभीरता को समझा जा सकता है। वैसे देखा जाए तो इंफर्टिलिटी की समस्या कई अन्य कारणों की वजह से हो सकती हैं, लेकिन जीवनशैली की ये 5 आदतें बड़ा अहम रोल निभाती है।
अनावश्यक अधिक स्ट्रेस
स्ट्रेस, चिंता आज के दौर की एक आम समस्या बनती जा रही है। चिंता न सिर्फ आपके दिमाग़ को अशांत करती है बल्कि आपकी फर्टिलिटी को भी डैमेज करती है। अक्सर हार्मोनल असंतुलन के कारण अधिक तनाव होता है। जिससे महिलाओं में ओवुलेशन और पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता में खराबी आ सकती है।
शराब और सिगरेट की लत
शराब और सिगरेट आज युवाओं के बीच एक फैशन और स्टेटस सिम्ब्ल बन चुका है। लेकिन यह बहुत कम ही लोग जानते हैं कि इसका असर सिर्फ फेफड़ों और लिवर पर ही नहीं पड़ता। इसका असर सीथे तौर पर फर्टिलिटी पर पड़ता है। नशीले पदार्थों के सेवन से फर्टिलिटी कमजोर हो जाती है।
मोटापा
एनएचआई की रिपोर्ट की माने तो भारत की कुल जनसंख्या की 40 प्रतिशत आबादी मोटापे से ग्रस्त है। दरअसल, मोटापा मेडिकल कंडीशन डायबिटीज, स्ट्रोक, हार्ट डिजीज जैसी जानलेवा बीमारियों के साथ ही इंफर्टिलिटी की समस्या के जोखिम को कई गुना तक बढ़ा देता है। ऐसे में मोटापे से ग्रस्त पुरुषों के लिए पिता बनाना बेहद मुश्किल होता है।
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एक से अधिक असुरक्षित यौन-संबंध
आमतौर पर सेक्सुअल इंफेक्शन का खतरा उन लोगों में अधिक होता है, जो एक से अधिक पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध या अनप्रोटेक्टेड रिलेशनबनाते हैं। या अनप्रोटेक्टेड रिलेशन बनाते हैं। सेक्सुअल इंफेक्शन जैसे एचआईवी, गोनोरिया इंफर्टिलिटी को बुरी तरह प्रभावित करती है। इसकी वजह से पुरुषों में टेस्टीक्युलर डैमेज का खतरा भी बना रहता है।
देर से फैमिली प्लानिंग
आजकल लोग लेट शादियां करने लगे हैं। जाहिर सी बात है लेट शादी करने से फॅमिली प्लानिंग भी लेट होती है। उम्र बढ़ने के साथ ही पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आने लगती है। तो वहीं 30 के बाद जब महिलाएं ग़र्भधारण करने की कोशिश करती हैं तो इंफर्टिलिटी की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।
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