Raksha Bandhan: भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार है रक्षाबंधन

Raksha bandhan

Raksha Bandhan रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के आपसी स्नेह का प्रतीक होता है। यह त्योहार पारंपरिक रीति-रिवाजों और आधुनिक तरीकों के साथ मनाया जाता है, जो रिश्तों की मिठास को और भी बढ़ाता है।

रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है। भारत का यह एक अत्यंत प्रिय और विशेष त्योहार है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महान संयोग बन रहा है। रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और स्नेह को प्रदर्शित करता है और इसके माध्यम से भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करते हैं।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 2024

पंचांग के अनुसार, इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 1:30 बजे से रात 9:07 बजे तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।

त्योहार का महत्व

Raksha Bandhan  का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत गहरा है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच के रिश्ते को सम्मानित करता है और एक-दूसरे की रक्षा का वादा करता है। यह दिन विशेष रूप से बहनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। वो इस दिन अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इसके बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उसकी रक्षा का वादा करते हैं।

इतिहास और परंपरा

Raksha Bandhan की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इसके ऐतिहासिक संदर्भ भी बहुत रोचक हैं। भारतीय मिथकों और धार्मिक ग्रंथों में कई कथाएं हैं जो इस त्योहार से जुड़ी हुई हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने सखी द्रौपदी की मदद की थी, तो द्रौपदी ने अपनी राखी से भगवान कृष्ण की कलाई को बांध दिया था। इसके बदले में, भगवान कृष्ण ने वचन दिया था कि वह उसे किसी भी संकट से बाहर निकालेंगे। इसी प्रकार की कई कहानियाँ इस त्योहार के महत्व को दर्शाती हैं।

भद्राकाल की कथा

Raksha Bandhan के त्योहार पर भद्राकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्रा में राखी न बांधने के पीछे एक प्राचीन मान्यता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लंकापति राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। इसलिए माना जाता है कि भद्राकाल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसी कारण, भद्राकाल में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं। इसके अलावा, एक और मान्यता यह भी है कि भद्राकाल के दौरान भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं, इसलिए इस घड़ी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

समाज में  Raksha Bandhan

आज के समय में  Raksha Bandhan का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते को ही नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को भी समर्पित है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने के साथ-साथ परिवार की एकता और प्रेम को भी बढ़ावा देता है। रक्षाबंधन के दिन परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं, साथ में पूजा करते हैं, मिठाइयाँ खाते हैं और एक-दूसरे को उपहार देते हैं। इस दिन की खुशियाँ समाज में एकता और सहयोग का संदेश देती हैं।

वर्तमान समय में रक्षाबंधन की परंपराओं में कुछ बदलाव आए हैं। शहरों में बहनें अपने भाइयों से दूर रहती हैं और यह त्योहार अक्सर वर्चुअल (virtual) माध्यम से मनाया जाता है। सोशल मीडिया (social media) और ऑनलाइन शॉपिंग (online shopping) की मदद से बहनें अपने भाइयों के लिए राखियाँ और उपहार भेजती हैं। जमाना भले मॉर्डन ही गया हो लेकिन इसके बावजूद, इस त्योहार की भावना और महत्व में कोई कमी नहीं आई है।

Raksha Bandhan का सामाजिक संदेश

Raksha Bandhan केवल व्यक्तिगत रिश्ते का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज में एकजुटता और सहयोग का भी संदेश देता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आना चाहिए। भाई-बहन का रिश्ता एक आदर्श सामाजिक रिश्ता है, जो स्नेह, समर्थन और एकता पर आधारित है।

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