Sheikh Hasina: क्या भारत ही है उनके लिए सबसे महफूज या फिर कोई अन्य देश होगा उनका नया ठिकाना?

Sheikh Hasina

बांग्लादेश में मची राजनीतिक हलचल ने पूरे देश को झकझोर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) का सत्ता से बेदखल होना और फिर शरण की तलाश में भटकना, यह कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। इस लेख में हम जानेंगे कैसे एक शक्तिशाली नेता अचानक से अपने ही देश में अजनबी बन गईं और अब क्या है उनके सामने चुनौतियां।

बांग्लादेश का राजनीतिक तूफान: शेख हसीना (Sheikh Hasina) की उलझी डोर

एक ऐसा तूफान, जिसने बांग्लादेश की राजनीति को जड़ से हिला दिया। तख्तापलट की आंधी में उड़ी एक शक्तिशाली नेता की कुर्सी, और अब वही नेता शरण की तलाश में भटक रही है। यह है शेख हसीना (Sheikh Hasina) की कहानी, जो अब एक नए मोड़ पर आ पहुंची है।

सत्ता से सड़क तक

शेख हसीना (Sheikh Hasina) का सफर कल तक जो देश चला रही थीं, आज वो खुद अपने लिए एक ठिकाने की तलाश में हैं। 76 साल की शेख हसीना (Sheikh Hasina), जिन्होंने बांग्लादेश को अपने हाथों में संभाला था, अब दिल्ली की सुरक्षित चारदीवारी में छिपी हुई हैं। 5 अगस्त को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरीं, और तब से भारत की मेहमाननवाजी का आनंद ले रही हैं।

लंदन की राह में रोड़े

 शेख हसीना (Sheikh Hasina) का दिल लंदन की ओर खिंच रहा है। आखिर क्यों न हो? बहन शेख रेहाना वहां की नागरिक हैं, और बेटी ट्यूलिप सिद्दीक तो ब्रिटिश संसद में अपनी धाक जमाए हुए है। लेकिन ब्रिटेन के कानून ऐसे हैं जैसे लोहे की दीवार। बाहर से शरण मांगना? नामुमकिन!

प्लान बी: अमेरिका या फिनलैंड? 

जब लंदन की राह मुश्किल दिखी, तो शेख परिवार ने अपनी नज़रें घुमाईं। अब अमेरिका और फिनलैंड के दरवाजे खटखटाने की तैयारी है। बेटे सजीब वाजेद ने भी इशारा किया है कि परिवार के कुछ सदस्य अमेरिका में हैं, तो कुछ ब्रिटेन में। कहीं न कहीं तो ठिकाना मिल ही जाएगा! तो वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शेख हसीना (Sheikh Hasina) दुबई जाने का विकल्प चुन सकती हैं। वहां कानून व्यवस्था सख्त है और बांग्लादेश के कई नेताओं की वहां संपत्ति भी है।

बांग्लादेश में नया खेल 

जब शेख हसीना (Sheikh Hasina) अपने भविष्य की शतरंज खेल रही थीं, तब बांग्लादेश में एक नया खिलाड़ी मैदान में उतर चुका था। नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का कप्तान बना दिया गया। राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने यह फैसला छात्र आंदोलन के साथ मिलकर लिया। अब देखना यह है कि यह नया कप्तान टीम को कहां ले जाता है।

दुनिया की नज़र 

इस पूरे घटनाक्रम पर दुनिया की नज़र टिकी हुई है। अमेरिका चिंतित है, ब्रिटेन जांच की मांग कर रहा है। सबको डर है कहीं यह आग और न फैल जाए। व्हाइट हाउस से लेकर लंदन तक, हर जगह बांग्लादेश की चर्चा हो रही है।

अंजाम की प्रतीक्षा 

शेख हसीना (Sheikh Hasina) की कहानी अभी अधूरी है। भारत उन्हें सुरक्षा दे रहा है, लेकिन कब तक? क्या वे फिर से बांग्लादेश लौटेंगी या फिर किसी नए देश में नया जीवन शुरू करेंगी? यह राजनीतिक उथल-पुथल (political turmoil in Bangladesh) कई सवाल छोड़ गया है। ऐसे में अब तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि इस कहानी का अंत क्या होगा।

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