क्या आप जानते हैं Raksha Bandhan से जुड़ी इन प्रचलित कहानियों को?

Raksha Bandhan

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह त्योहार भारत के सबसे महत्वपूर्ण और मनमोहक त्योहारों में से एक है। रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई प्रचलित कहानियाँ हैं, जो इसके महत्व और मूल्यों को और भी बढ़ा देती हैं। कारण यही जो इस त्योहार से जुड़ी कहानियाँ इसकी गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं।आइये जानते है, इस पर्व पर आधारित कुछ प्रचलित कहानिया –

1. राजा बलि और देवी लक्ष्मी की कथा:

बहुत पहले की बात है, भगवान विष्णु एक कठिन परिस्थिति में फंस गए थे और उन्हें असुरों के राजा बलि के द्वारपाल के रूप में छिपना पड़ा था। भगवान विष्णु के लंबे समय तक घर से दूर रहने पर, उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी चिंतित हो गईं। उन्हें ढूंढने के लिए लक्ष्मी ने पृथ्वी पर ब्राह्मण स्त्री का अवतार लिया और राजा बलि से शरण मांगी।

राजा बलि ने देवी लक्ष्मी की मदद की, यह जानें बिना कि वह एक देवी हैं। पूर्णिमा के दिन, लक्ष्मी ने बलि की कलाई पर राखी बांधी और उसकी सुरक्षा के लिए प्रार्थना की। इससे बलि अभिभूत हो गया और उसने वचन दिया कि वह उसकी किसी भी इच्छा को पूरा करेगा। इस पर लक्ष्मी ने अपने पति, विष्णु को मुक्त करने की प्रार्थना की।

यह सुनकर बलि चौंक गया। तब विष्णु और लक्ष्मी ने अपना असली रूप प्रकट किया। अपने वचन के अनुसार, बलि ने विष्णु को घर लौटने की अनुमति दी। इस घटना को भाई-बहन के पवित्र प्यार का प्रतीक माना जाता है और राखी के त्योहार को कई जगहों पर बलेवा के नाम से भी जाना जाता है।

2. द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कथा:

महाभारत काल की यह कथा बेहद प्रचलित है। एक बार भगवान कृष्ण को युद्ध में चोट लग गई और उनके हाथ से खून बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की चोट पर बांध दिया। इस उपकार के बदले में कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया। बाद में, जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तो कृष्ण ने उसकी साड़ी को अनंत लंबाई प्रदान करके उसकी रक्षा की। इस घटना को रक्षाबंधन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

3. रानी कर्णावती और हुमायूं की कथा:

मध्यकालीन भारत की इस कथा में रानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूं का जिक्र है। चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से रक्षा की गुहार लगाने के लिए हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने राखी का सम्मान करते हुए रानी कर्णावती की रक्षा का वचन दिया और तुरंत अपनी सेना लेकर चित्तौड़ पहुंचा। हालांकि, हुमायूं समय पर नहीं पहुंच सका और कर्णावती ने जौहर कर लिया, लेकिन हुमायूं ने बाद में चित्तौड़ को बहादुर शाह से मुक्त कराया। इस घटना को भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

4. यम और यमी की कथा:

इस कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमी (या यमुनाजी) का गहरा प्रेम था। यमी ने एक दिन अपने भाई यम को राखी बांधकर उसकी लंबी आयु की कामना की। यम ने प्रसन्न होकर यमी को आशीर्वाद दिया कि जो भाई अपनी बहन से राखी बंधवाएगा और उसकी रक्षा का वचन देगा, उसे लंबी आयु और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी। तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई।

रक्षाबंधन की ये कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि भाई-बहन का रिश्ता सिर्फ खून का नहीं, बल्कि विश्वास, प्रेम और समर्पण का भी होता है। यह त्योहार हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करने और उन्हें सहेजने का संदेश देता है।

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