बीते दिनों बड़ी तादात में छात्रों द्वारा हुए आरक्षण विरोधी आंदोलन के चलते शेख हसीना को बांग्लादेश (Bangladesh) छोड़ भारत में शरण लेनी पड़ी थी। देखते ही देखते ही यह आरक्षण विरोधी आंदोलन कब उग्र होकर हिंदू विरोधी हो गया पता ही नहीं चला। बांग्लादेश के कट्टरविरोधी ताकतों ने इस आंदोलन की आड़ में कई जगह हिंसा और आगजनी की। एक सोची समझी साजिश के तहत हिंदू मंदिरों की जमकर तोड़फोड़ की गई। जानबूझकर मंदिरों को निशाना बनाया गया। हिंदुओं को बेदर्दी से मारा पीटा गया। उनके घरों को लूटा गया। इससे यह साफ़ झलकता है कि बांग्लादेश की कट्टर विरोधी ताकतें यह कतई नहीं चाहती कि बांग्लादेश में हिंदू रहें।
अब तक 64 जिलों में से 52 जिलों में कुल घट चुकी हैं 205 हिंसा की घटनाएं
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शेख हसीना के बांग्लादेश (Bangladesh) छोड़ने के बाद हुई हिंसा में अब तक 64 जिलों में से 52 जिलों में कुल 205 घटनाएं घट चुकी हैं। हालाँकि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है। लेकिन हिंसा है कि रुकने के नाम नहीं ले रही है। इस बीच हो रही हिंसा के विरोध में हिंदू समुदाय से जुड़े हजारों लोग ढाका की सड़कों पर उतर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह देश हम सभी का है। इस पर किसी खास समुदाय का अधिकार नहीं है।
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने की मांग
प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने हिंदुओं की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की भी मांग उठाई। वे यहीं नहीं रुके, एक धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश (Bangladesh) की मांग के नारे लगाते हुए ढाका से शाहबाग चौराहे तक मार्च भी किया। यही नहीं, हिंदुओं पर ही रही हिंसा को रोकने पर विफल रही सरकार पर निशाना भी साधा। लगे हाथ उन्होंने सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने और संसद में 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की मांग कर डाली।
Bangladesh में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने पर संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के गहरी चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि “वो नस्ल के आधार पर हुई किसी भी तरह की हिंसा के समर्थन के खिलाफ हैं। संयुक्तराष्ट्र के महासचिव गुटारेस के उप प्रवक्ता फरहान ने कहा कि हम चाहते हैं कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर तत्काल अंकुश लगाया किया जाए।”
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