देवा तुझा मी सोनार। तुझे नामा चा व्यवहार।। ये रचना श्री संत शिरोमणि नरहरी सोनार महराज की है। श्री संत नरहरी महराज (Sant Narhari Maharaj) का जन्म महाराष्ट्र के देवगिरी में हुआ, जो अब दौलताबाद के नाम से भी प्रसिद्ध है। संत नरहरि सोनार द्वारा कई रचनाएं मौजूद हैं, जिनमें ‘सवंगडे निवृति सोपान मुक्ताई’, ‘शिव और विष्णु एकची प्रतिमा’, ‘माजे प्रेम तुझे पाई’ और ‘देवा तुजा में सोनार’ शामिल हैं। वारकरी समाज के संत नरहरि सोनार पहले शिवभक्त थें और चांगदेव महाराज द्वारा उनका नाम नरहरी रखा गया। संत नरहरी महाराज भारतीय संत परंपरा में एक विशेष स्थान रखते हैं। उनकी जयंती प्रत्येक वर्ष उनके अनुयायियों और श्रद्धालुओं द्वारा पूरे भक्ति भाव से मनाई जाती है। संत नरहरी महाराज के जीवन और उनकी शिक्षाओं ने समाज में एक नई दिशा प्रदान की और उनके आशीर्वाद से अनेकों ने अपनी जिंदगी को सार्थक बनाया।
संत नरहरी महाराज का जीवन परिचय
संत नरहरी महाराज का जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता अत्यंत धार्मिक और कर्मठ थे, जिनसे उन्होंने धर्म और सेवा के मूल्यों को सीखा। बचपन से ही नरहरी महाराज का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। वे संतों और महात्माओं के संगत में रहकर आध्यात्मिक ज्ञान की गहराइयों में डूबे रहे।
संत नरहरी महाराज की शिक्षाएं
संत नरहरी महाराज (Sant Narhari Maharaj) ने अपने जीवनकाल में मानवता, प्रेम, और करुणा का संदेश फैलाया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को एक समान दृष्टि से देखा और जाति, धर्म, और सम्प्रदाय से परे जाकर सभी को ईश्वर के प्रति आस्था और भक्ति में लीन होने का संदेश दिया। उनके प्रवचनों में उन्होंने हमेशा सत्य, अहिंसा, और सदाचार पर बल दिया।
संत नरहरी महाराज का योगदान
संत नरहरी महाराज ने समाज में व्याप्त अज्ञानता, अंधविश्वास और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने अपने प्रवचनों और कार्यों के माध्यम से समाज को जागरूक किया और उन्हें धर्म के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनके शिष्य और अनुयायी आज भी उनके आदर्शों का पालन कर रहे हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला रहे हैं।
संत नरहरी महाराज जयंती का महत्व
संत नरहरी महाराज जयंती उन मूल्यों और आदर्शों को पुनर्स्मरण करने का दिन है, जो उन्होंने अपने जीवन में अपनाए थे। यह दिन उनके अनुयायियों के लिए उनकी शिक्षाओं पर चलने का संकल्प लेने का दिन होता है। इस दिन भव्य आयोजन, कीर्तन, भजन, और अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं।
संत नरहरी महाराज की जयंती (Sant Narhari Maharaj Jayanti) केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह उनके द्वारा दिए गए संदेशों को आत्मसात करने और अपने जीवन में लागू करने का अवसर है। उनके आदर्शों पर चलकर हम एक समाज की दिशा को सकारात्मक रूप से बदल सकते हैं और अपने जीवन को भी सार्थक बना सकते हैं। उनके आशीर्वाद से ही हम सही मार्ग पर चल सकते हैं और धर्म के वास्तविक अर्थ को समझ सकते हैं।
जय राष्ट्र न्यूज़ की पूरी टीम की ओर से संत नरहरी महाराज को कोटि-कोटि नमन!
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