15 अगस्त 1947 की आधी रात को जब हर तरफ सन्नाटा पसरा था और आधे से ज्यादा लोग नींद के आगोश में थे, तो भारत अपनी आजादी की कहानी लिख रहा था। इस दिन हमारा भारत लाखों लोगों के संघर्ष और बलिदान की वजह से 200 साल की गुलामी से आजाद हो रहा था। इस बार देश और देशवासी अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मना रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अंग्रेजी हूकुमत ने भारत को आजादी आधी रात को क्यों दी? इसके पीछे का क्या खास कारण था? आपको बता दें कि जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, तब लार्ड माउंटबेटन भारत के वायसराय थे। भारत को आधी रात में आजाद करने का फैसला लार्ड माउंटबेटन ने ही लिया था। इसके पीछे कई कारण बताए गए थे।
पाकिस्तान और भारत का बंटवारा
दरअसल, भारत को आजादी (Independence) देने के साथ अंग्रेज इसका धर्म के आधार पर दो हिस्सों में बंटवारा भी कर रहे थे- एक भारत और दूसरा पाकिस्तान। बंटवारे की बात फैलते ही देश के अलग-अलग हिस्सों में दंगे शुरू हो गए थे। जिससे अंग्रेजी हूकुमत और भारत के बड़े नेता डर गए। अंग्रेजी हूकुमत का मानना था कि अगर भारत को दिन में आजादी दी गई और साथ में बंटवारा किया गया तो इससे पूरे देश में दंगे भड़क सकते हैं। जिसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। इसी वजह से जब देश के ज्यादातर लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब देश को आजाद करने की घोषणा की गई।
वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन नहीं थे भारत में
वहीं देश को आधी रात को आजाद (Independence) करने के पीछे दूसरा तर्क यह दिया जाता है कि पाकिस्तान को भारत से एक दिन पहले 14 अगस्त को आजादी मिली थी। वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन को स्थानांतरण की कागजी कार्रवाई करने के लिए कराची जाना था और वहां से रात में वाइसराय को वापस भारत लौटना था। जिसकी वजह से फैसला लिया गया कि भारत को वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन के आने के बाद आधी रात को आजाद किया जाए। हालांकि, ब्रिटिश सरकार के दस्तावेज बताते हैं कि पाकिस्तान और भारत दोनों को एक ही समय पर यानी 15 अगस्त 1947 को ज़ीरो आवर पर आजाद किया गया था। इसलिए इतिहासकार इस तर्क को नहीं मानते हैं।
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