पिछले साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में, महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की 35 फुट की मूर्ति का अनावरण किया था। कमाल यह कि साल भीतर ही यह मूर्ति ढह गई। मूर्ति ढहने की वजह से महाराष्ट्र की सियासत गरमा उठी है। विपक्ष ने सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कार्यों की गुणवत्ता को अनदेखी करने का आरोप लगाया तो, वहीं सूबे के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी सफाई में प्रतिमा के ढहने का कारण तेज हवाओं पर मढ़ दिया।
सरकार इसके पीछे के कारणों का लगाएगी पता
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि “छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) से हमारी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। हम उन्हें ईश्वर की तरह पूजते हैं।” यही नहीं, अजीबो-गरीब बयान देते हुए उन्होंने कहा कि “यह बड़े दुर्भाग्य की बात कि तेज हवा के कारण प्रतिमा ढह गई।” खैर, आनन-फानन में सीएम शिंदे ने जांच के आदेश देते हुए कहा कि “सरकार इसके पीछे के कारणों का पता लगाएगी और उसी स्थान पर मूर्ति को स्थापित करेगी।” मामले को गंभीरता को देखते हुए मौके पर पुलिस और जिला प्रशासन के सीनियर अधिकारी अधिकारियों ने पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
भारतीय नौसेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को किया था स्थापित
भारतीय नौसेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की मूर्ति के ढहने को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की, साथ ही कारणों का विश्लेषण करने और मरम्मत कार्य शुरू करने के लिए एक टीम भी नियुक्त की। यही नहीं, इस घटना के बाद से अलर्ट हुई पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की सुसंगत धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। महत्वपूर्ण बात यह कि भारतीय नौसेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को स्थापित किया था। काम की गुणवत्ता ऐसी कि महज 9 महीने के भीतर ही प्रतिमा ढह गई।
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