क्या आप जानते हैं, इस कारण पूरे भारत में Brahmaji का सिर्फ एक ही मंदिर है

Brahmaji

भारत में एक से बढ़कर एक भव्य और विख्यात मंदिर हैं। जिनमें, शिव, विष्णु, कृष्ण और देवियों के आलावा कई देवताओं के मंदिर भी शामिल हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी (Brahmaji) के मंदिर भारत में हर जगह क्यों नहीं हैं? कहने की जरूरत नहीं, कभी न कभी आपके मन में यह सवाल कौंधा जरूर होगा। शायद आप में से बहुत कम ही ऐसे हों, जो जानते यह हो कि पूरे भारत में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर, जो कि राजस्थान के पुष्कर (Pushkar) में स्थित है। अब ऐसे में फिर वही सवाल कि, एक ही मंदिर और वो भी राजस्थान में, भला क्यों?

राक्षस के अंतक मुक्ति दिलाने के लिए ब्रह्माजी ने उसका वश कर दिया

तो ऐसा इसलिए कि इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल,पद्म पुराण के अनुसार धरती पर वज्रनाश नामक एक राक्षस कहर ढाह रहा था। उसके खौफ से चारों तरफ त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ था। ऐसे में ब्रह्माजी (Brahmaji) ने उस राक्षस के वध कर दिया। यह तो ठीक, लेकिन वध के दौरान उनके हाथों से तीन जगह कमल गिर गए। और उन जगहों पर तीन झीलों का निर्माण हो गया। इन्हीं में से एक स्थान का नाम पुष्कर (Pushkar) पड़ा। इसके बाद ब्रह्मजी ने समस्त संसार की भलाई के लिए यहीं एक यज्ञ करने की ठानी। 

ब्रह्माजी ने किया दूसरा विवाह 

फिर क्या था, ब्रह्माजी (Brahmaji) ने अच्छा सा मुहूर्त निकाला और पहुंच गए यज्ञ करने पुष्कर। यज्ञ की समस्त तैयारियां हो चुकी थीं। लेकिन ब्रम्हाजी की पत्नी सावित्री को पहुंचने में देर हो रही थी। और महूर्त का समय था कि बीता जा रहा था। चूंकि इस यज्ञ में पत्नी संग बैठा जरूरी था। सभी देवी-देवता और ब्राह्मण पहुंच चुके थे, एक सावित्री को छोड़। शुभ मुहूर्त निकलता देख आनन-फानन में ब्रह्माजी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट कर उससे विवाह कर लिया। और फिर विवाह होने के बाद मुहूर्त रहते यज्ञ को पूरा किया।

 क्रोशवश सावित्रीजी ने ब्रह्माजी को दे दिया श्राप 

अभी यज्ञ पूरा ही हुआ था कि तबतक सावित्रीजी भी यज्ञस्थली पहुंच गई और ब्रह्माजी (Brahmaji) के बगल में बैठी गायत्री को देख क्रोध से आग बबूला हो उठी। सावित्री इस कदर क्रोधित हो उठी कि क्रोशवश उन्होंने ब्रम्हाजी को श्राप दे दिया। इस पर भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ कर शादी कराने वाले ब्राह्मण को भी श्राप देते हुए कहा कि ब्राह्मण को चाहे जितना भी दान क्यों न मिल जाए वो कभी संतुष्ट नहीं होगा। यही नहीं, उन्होंने कलयुग में गाय को गंदगी खाने और नारद को आजीवन कुंवारा रहने का श्राप दे दिया। इस पर भी वो नहीं रुकी उन्होंने, अग्नि को कलयुग में अपमानित होने के साथ-साथ विष्णु को पत्नी से विरह का कष्ट सहने का श्राप दे दिया।

तो मंदिर का हो जायेगा विनाश

विष्णु को श्राप देने का कारण यह कि उन्होंने इस कार्य में ब्रह्माजी (Brahmaji) की मदद की थी। वजह यही जो रामावतार में भगवान राम को 14 वर्षों के वनवास के दौरान सीता दूर रहना पड़ा था। खैर, इस दौरान सभी ने माता सावित्री से हाथ जोड़ सविनय विनंती की कि वो अपना श्राप वापस ले लें, लेकिन उन्होंने किसी की एक न सुनी। खैर, कुछ देर बाद उनका गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने कहा कि आपकी (ब्रह्माजी) पूजा सिर्फ यहीं पुष्कर में होगी। इसके अलावा यदि कहीं और कोई आपका मंदिर बनाएगा तो उस मंदिर का विनाश हो जायेगा। 

2000 साल पुराना है ब्रह्माजी का मंदिर 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुष्कर स्थित ब्रह्माजी (Brahmaji) का मंदिर 2000 साल पुराना है। और ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के निकट जो झील है उसे ब्रह्माजी ने बनाई थी। इस झील में लोग स्नान करते हैं। आपको बता दें कि पूरे भारत में ब्रह्माजी का सिर्फ यही एक ही मंदिर है। ब्रह्मा जी का इकलौता मंदिर होने की वजह से हर साल लाखों की तादात में लोग मंदिर के दर्शन करने पहुंचते हैं। यह मंदिर पुष्कर (Pushkar) झील के किनारे बसा हुआ है। इसकी मनमोहक सुंदरता के चलते दूर-दूर से पर्यटक भी यहां पहुंचते हैं। 

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