बंगाल विधानसभा में पास हुआ यह बिल, अब दोषी को होगी फांसी या फिर सारी उम्र कटेगी जेल में

Mamata Banerjee

कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या मामले के बाद पश्चिम बंगाल की ममता सरकार (Mamata government) ने बड़ा फैसला किया है। ममता सरकार ने आज बंगाल विधानसभा में उसे विधेयक को पारित करवा लिया, जिसमें रेप जैसे मामलों में आरोपियों को मौत की सजा देने का प्रावधान है। इस बिल को अपराजिता महिला और बाल विधायक 2024 नाम दिया गया है। अब पश्चिम बंगाल में इसी कानून के तहत रेप के आरोपियों को सजा दी जाएगी। विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने इस विधेयक को ऐतिहासिक बताया। 

36 दिन के अंदर दी जा सकेगी मौत अथवा आजीवन कारावास की सजा 

इस विधेयक की बड़ी बात यह कि इससे न सिर्फ महिलाओं को संरक्षण दिया गया है, बल्कि बच्चों के साथ होने वाले अपराध को भी इसी विधेयक में शामिल किया गया है। इस बिल के अंदर कई ऐसे बड़े और अहम पहलू को शामिल किया गया है, जिससे महिलाओं और बच्चों को दुष्कर्म और यौन अपराधों के मामले में पूरी सुरक्षा मिल सके। बिल में किए गए प्रावधान के मुताबिक रेप और हत्या जैसे मामलों में दोषी को चार्जशीट दायर करने के 36 दिन के अंदर मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी। 

अपराजिता टास्क फोर्स का होगा गठन 

सदन में विधेयक पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने कहा कि महिला और बच्चों से अपराध के दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिए। ऐसे मामलों में जांच को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए एक विशेष अपराजिता टास्क फोर्स का गठन भी किया जाएगा। जिससे दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके। विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल, शिखा चटर्जी और शुभेंदु अधिकारी ने भी अपनी बात रखी। 

एसिड अटैक पर भी आजीवन कारावास की सजा 

बिल के अनुसार अगर किसी महिला पर एसिड अटैक होता है, तो उस मामले में भी दोषी को रेप की गंभीर श्रेणी के तहत आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। वहीं इस तरह के मामलों में अगर किसी व्यक्ति, संस्थान या फिर मीडिया द्वारा पीड़िता की पहचान उजागर की जाती है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि, इस तरह का कानून पश्चिम बंगाल से पहले महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश भी लाने की कोशिश कर चुका है, लेकिन इन राज्यों का बिल सदन में पारित नहीं हो पाया। 

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