कपिल परमार (Kapil Parmar) की कहानी हमें सिखाती है कि मुश्किलें कितनी भी बड़ी हों, हौसला बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं। एक हादसे के बाद दृष्टि खोने के बावजूद, कपिल ने अपने सपनों को नहीं छोड़ा और पैरालंपिक में देश के लिए मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।
कपिल परमार (Kapil Parmar): अंधेरे को चीरकर चमका पैरालंपिक मेडल
मध्य प्रदेश के सीहोर से आने वाले कपिल परमार (Kapil Parmar) ने साबित कर दिया है कि अगर जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में जूडो में कांस्य पदक जीतकर कपिल ने न सिर्फ देश का नाम रोशन किया बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गए।
कुश्ती से जूडो तक का सफर
कपिल परमार (Kapil Parmar) का बचपन एक आम भारतीय बच्चे की तरह ही था। वो अपने पिता के साथ अखाड़ों में जाया करते थे और कुश्ती सीखने का शौक रखते थे। लेकिन 2010 में उनकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया। घर पर बिजली के तार को ठीक करते वक्त उन्हें करंट लग गया और वो कोमा में चले गए।
कपिल के भाई ललित बताते हैं, “कपिल हमेशा से एक पहलवान बनना चाहते थे। उस रात जब वो पानी के मोटर पंप से जुड़े स्विच के ढीले तार को ठीक करने गए, तो उन्हें बिजली का झटका लगा। वो तुरंत बेहोश हो गए और हम उन्हें चिरायु मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ले गए। वो छह महीने से ज्यादा वक्त तक कोमा में रहे।”
अंधेरे से उजाले की ओर
कपिल परमार (Kapil Parmar) जब होश में आए, तो उनकी दृष्टि बहुत कमजोर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने बताया कि समय के साथ उनकी आंखों की रोशनी और कम होती जाएगी। लेकिन कपिल ने हार नहीं मानी। उन्होंने खेल के जरिए अपने सपनों को जिंदा रखने का फैसला किया। कपिल के पिता राम सिंह परमार कहते हैं, “हम सभी, कपिल सहित, जानते हैं कि उनकी दृष्टि का नुकसान समय के साथ और बढ़ेगा और एक दिन, नुकसान 100 प्रतिशत हो जाएगा। एक परिवार के रूप में, हम उसके सपनों का समर्थन कर सकते हैं और उसे भारत के लिए पदक जीतते देख सकते हैं।”
जूडो में नई उम्मीद
2017 में कपिल परमार (Kapil Parmar)की मुलाकात मध्य प्रदेश ब्लाइंड जूडो एसोसिएशन के सचिव भगवान दास से हुई। उन्होंने कपिल को जूडो सिखाना शुरू किया। कम दृष्टि के कारण कोचों को उन्हें जूडो मूव्स सिखाने में मुश्किल आई, लेकिन कपिल ने हार नहीं मानी। कोच दास बताते हैं, “हमारे लिए फायदा यह था कि वह दुर्घटना से पहले एक पहलवान था। दुर्घटना के बाद, उसके पूरे शरीर में कमजोरी आ गई थी और उसके दाहिने हाथ की उंगलियां मुड़ गई थीं। हमें उसे संकेतों और शरीर को छूकर जूडो की स्थितियां और चालें सिखानी पड़ीं।”
पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन
कड़ी मेहनत और लगन के साथ कपिल ने अपने सपनों को साकार किया। पेरिस पैरालंपिक 2024 में उन्होंने पुरुषों के जूडो J1 कांस्य पदक प्ले-ऑफ में एलिएल्टन डी ओलिवेरा को 10-0 से हराकर इतिहास रच दिया। राष्ट्रीय कोच मुनव्वर अंजार कहते हैं, “जब उसने नेशनल कैंप ज्वाइन किया, तो उसे विभिन्न मूव्स के बारे में पता था और हमें उसे शरीर की गतिविधियों के माध्यम से फिनिशिंग मूव्स सिखाना पड़ा। उसने इस मेडल के लिए बहुत मेहनत की है और उसे यह मेडल जीतते देखना हम सभी के लिए एक खास अहसास है।” कपिल (Kapil Parmar) के भाई ललित बताते हैं कि वो अपनी जीत का जश्न कैसे मनाते हैं, “कपिल अपने मेडल का जश्न चावल के साथ गुड़ और सौंफ और मिश्री खाकर मनाना पसंद करते हैं।” यह छोटी सी बात कपिल के सरल स्वभाव और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की भावना को दर्शाती है।
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