भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। RBI की मॉनेटरी पॉलिसी (RBI Monetary Policy) में लिए गए इस फैसले से लोगों को राहत मिलेगी क्योंकि लोन की ईएमआई (EMI) नहीं बढ़ेगी। आइए जानते हैं इस मॉनेटरी पॉलिसी (Monetary Policy) के प्रमुख बिंदुओं और इसके प्रभावों के बारे में।
RBI Monetary Policy: आर्थिक स्थिरता का संकेत
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। यह लगातार नौवीं बार है जब केंद्रीय बैंक ने ऐसा निर्णय लिया है। इस फैसले का सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा, क्योंकि इससे लोन की ईएमआई में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।
गुरुवार को हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की कि रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रखी गई है। यह दर वह है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है। इस फैसले का उद्देश्य महंगाई को नियंत्रण में रखना और साथ ही आर्थिक विकास को गति देना है।
आरबीआई (RBI) के इस कदम से कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। सबसे पहले, होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन लेने वालों को राहत मिलेगी क्योंकि उनकी ईएमआई नहीं बढ़ेगी। दूसरा, यह कदम व्यापार और उद्योग जगत के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। स्थिर ब्याज दरों से कंपनियां अपने विस्तार और निवेश की योजनाओं को आगे बढ़ा सकेंगी।
बढ़ती महंगाई चिंता का विषय
हालांकि, आरबीआई (RBI) ने महंगाई को लेकर चिंता जताई है। गवर्नर दास ने कहा कि महंगाई कम हो रही है, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी और असमान है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय बैंक महंगाई को 2% से 6% के बीच रखने का लक्ष्य रखता है। जून में खुदरा महंगाई 5.08% थी, जो पिछले चार महीनों का उच्चतम स्तर था।
आरबीआई (RBI) ने कुछ और महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कीं। डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स के लिए एक सार्वजनिक रिपॉजिटरी बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इससे अनधिकृत प्लेटफॉर्म्स से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही, यूपीआई-आधारित टैक्स पेमेंट के लिए ट्रांजैक्शन की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रति लेनदेन कर दी गई है।
चेक क्लियरिंग प्रक्रिया में भी सुधार किया जाएगा। अब चेक जमा होने के कुछ ही घंटों में क्लियर हो जाएंगे। इससे बैंकिंग सेवाएं और अधिक तेज और कुशल बनेंगी। कुल मिलाकर, आरबीआई की यह नीति आर्थिक स्थिरता और विकास के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है।
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