Mahabharata War: द्रौपदी की वो गलतियां, जो बनीं विनाशकारी युद्ध का कारण

Mahabharata War

महाभारत का युद्ध (Mahabharata War) भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध युद्ध था, जिसमें कई कारण और घटनाएं शामिल थीं। महाभारत में पारिवारिक संबंध, सत्ता संघर्ष और धर्म-अधर्म की जटिलताएं प्रस्तुत की गई हैं। इस युद्ध के पीछे कई कारण थे। हालांकि, इस युद्ध का मुख्य कारण द्रौपदी से जुड़ी कुछ घटनाएं मानी जाती हैं। द्रौपदी, जो कि पांचों पांडवों की पत्नी थीं, की कुछ गलतियों ने युद्ध की ज्वाला भड़काने में अहम भूमिका निभाई। 

द्रौपदी का दुर्योधन का अपमान बना महाभारत युद्ध (Mahabharata War) का कारण  

महाभारत की कथा के अनुसार, जब पांडव और द्रौपदी इंद्रप्रस्थ में राजमहल में थे, तब दुर्योधन वहां आया। राजमहल के एक हिस्से में कांच का फर्श था, जिसे दुर्योधन ने पानी समझकर उठने की कोशिश की। इस पर द्रौपदी ने उसका उपहास करते हुए कहा, “अंधे का पुत्र अंधा,” जो दुर्योधन के अहंकार को ठेस पहुंचाने वाला था। इस अपमान से दुर्योधन ने प्रतिशोध की आग में जलते हुए पांडवों के खिलाफ षड्यंत्र रचा और महाभारत के युद्ध का बीजारोपण किया।

जुए में हारने के बाद अपमानजनक व्यवहार

जब युधिष्ठिर जुए में अपनी सारी संपत्ति, राज्य और यहां तक कि अपने भाइयों और पत्नी द्रौपदी को हार गए, तब द्रौपदी को कौरव सभा में लाया गया। वहां उसका चीरहरण करने का प्रयास किया गया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उसकी लाज बचाई। यह घटना पांडवों के लिए एक बड़ी अपमानजनक थी, जिससे उनकी महाभारत युद्ध (Mahabharata War) की इच्छा और भी प्रबल हो गई।

प्रतिशोध की भावना

द्रौपदी ने उस अपमान का प्रतिशोध लेने का संकल्प लिया और पांडवों से कहा कि जब तक कौरवों का नाश नहीं होगा, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। द्रौपदी की इस प्रतिज्ञा ने पांडवों को महाभारत के युद्ध (Mahabharata War) की ओर धकेल दिया।

कर्ण का अपमान

महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक सूत पुत्र कर्ण का अपमान भी युद्ध के कारणों में से एक था। जब द्रौपदी का स्वयंवर चल रहा था, तब कर्ण ने धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन द्रौपदी ने उसे यह कहते हुए रोक दिया कि वह सूत पुत्र है और उससे विवाह नहीं कर सकती। इस अपमान ने कर्ण के मन में गहरी कड़वाहट भर दी, जिससे वह कौरवों का समर्थन करने के लिए प्रेरित हुआ और अंततः महाभारत के युद्ध (Mahabharata War) में उसकी भूमिका निर्णायक बन गई।

जयद्रथ से बचाया

वनवास के दौरान, जब पांडवों ने द्रौपदी को जयद्रथ से बचाया, तो वे उसे मारने वाले थे, लेकिन द्रौपदी ने उन्हें रोक दिया। द्रौपदी ने जयद्रथ का वध करने के बजाय उसे अपमानित करके छोड़ दिया। बाद में महाभारत के युद्ध में, यही जयद्रथ अभिमन्यु की मृत्यु का कारण बना।

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