जानिए कब है Somvati Amavasya और इससे जुड़ी अन्य विशेष बातें

Somvati Amavasya

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, और जब यह सोमवती अमावस्या होती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। भाद्रपद माह की सोमवती अमावस्या 2 सितंबर 2024 को पड़ रही है। यह दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।

  • भाद्रपद सोमवती अमावस्या की शुरुआत: 02 सितंबर को प्रातः 5:21 बजे  
  • भाद्रपद सोमवती अमावस्या का समापन: 03 सितंबर को प्रातः 7:24 बजे तक  

चूंकि भाद्रपद अमावस्या उदया तिथि में 2 सितंबर को पड़ रही है, इसलिए इस पर्व को उसी दिन मनाया जाएगा। सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह सोमवार के दिन पड़ती है। सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है, और शिव भगवान को पितरों का रक्षक भी कहा जाता है। ऐसे में इस दिन किए गए तर्पण और पिंडदान का विशेष फल मिलता है। सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों या तालाबों में स्नान करने का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

क्या करें सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) पर:

  • तर्पण और पिंडदान: इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान जरूर करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
  • पीपल वृक्ष की पूजा: सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष पर कच्चा दूध, जल, फूल और चंदन चढ़ाएं और सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। इससे भगवान विष्णु और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
  • दान: इस दिन जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। विशेषकर सफेद कपड़े, अन्न, और वस्त्रों का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • संध्या वंदन: इस दिन सूर्यास्त के समय संध्या वंदन जरूर करें। इससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

पजा नियम

    सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

  • इस दिन गंगा नदी में स्नान करना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • भगवान सूर्य को जल अर्पित कर अपने भले के लिए प्रार्थना करें।
  • पितरों की शांति के लिए पितृ पूजा और तर्पण करना भी इस दिन का महत्वपूर्ण विधान है।
  • दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है, इसलिए अपनी क्षमता अनुसार दान करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, और दक्षिणा देना अनिवार्य है।
  • इस दिन तामसिक वस्तुओं से पूरी तरह परहेज करें।

क्या न करें सोमवती अमावस्या पर:

  • इस दिन मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित है।
  • किसी भी प्रकार का झगड़ा या विवाद इस दिन नहीं करना चाहिए।
  • घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और शांति बनाए रखें।
  • सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) का दिन पितरों की शांति और उन्हें संतुष्ट करने का विशेष समय होता है। इस दिन की गई पूजा और दान से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।

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