Jayanthi Yoga और Sri Krishna Janmashtami: जन्माष्टमी पर बन रहा है अद्भुत संयोग “जयंती योग”
हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Sri Krishna Janmashtami) का त्योहार भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, लेकिन इस साल जन्माष्टमी पर जयंती योग (Jayanthi Yoga) के संयोग ने इसे और भी खास बना दिया है। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी। जयंती योग और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के इस अद्भुत संयोग को लेकर धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कई महत्वपूर्ण बातें हैं, जो इस अवसर को और भी अधिक महत्व प्रदान करती हैं। इस विशेष दिन बने शुभ योग के कारण, व्रत रखने से भक्तों को इसका चार गुना अधिक फल प्राप्त होगा। आइए जानते हैं जयंती योग के बारे में और क्यों यह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अद्भुत संयोग माना जा रहा है।
क्या है जयंती योग (Jayanthi Yoga)?
जयंती योग (Jayanthi Yoga) एक विशेष ज्योतिषीय स्थिति है, जो चंद्रमा और सूर्य की विशिष्ट स्थिति के कारण उत्पन्न होती है। यह योग तब बनता है जब चंद्रमा और सूर्य एक खास स्थिति में होते हैं, जिससे विशेष प्रकार की ऊर्जा और शुभ प्रभाव उत्पन्न होते हैं। जयंती योग का मुख्य उद्देश्य जीवन में शुभता और सौभाग्य को बढ़ावा देना होता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Sri Krishna Janmashtami) और (Jayanthi Yoga) का संयोग
इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में होगा, जैसा कि भगवान कृष्ण के जन्म के समय था। उस समय भी चंद्रमा वृषभ राशि में था। अष्टमी तिथि के मध्यकाल में जो रात होती है, उसी दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा का वृषभ राशि में होना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यदि जन्माष्टमी पर सोमवार या बुधवार आ जाए, तो यह एक अत्यंत दुर्लभ संयोग बनाता है। जब जन्माष्टमी सोमवार या बुधवार को होती है, तब इसे जयंती योग कहा जाता है। वास्तव में, भगवान कृष्ण के जन्म के दिन बुधवार था, और छह दिन बाद सोमवार को उनके नामकरण जैसे अनुष्ठान किए गए थे। इसलिए, जन्माष्टमी का सोमवार या बुधवार को पड़ना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग के दौरान विशेष ध्यान और पूजा के माध्यम से आत्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। यह समय भक्तों के लिए विशेष आस्थाओं और विश्वासों को पूरा करने का अवसर प्रदान करता है, तथा दौरान किये गए धार्मिक अनुष्ठान और साधना के कई गुना फल प्राप्त होते हैं।
इस अद्भुत संयोग के कई धार्मिक और ज्योतिषीय कारण हैं
1. आध्यात्मिक उन्नति: जयंती योग के दौरान ऊर्जा का विशेष प्रवाह होता है, जो भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति के लिए लाभकारी होता है। जन्माष्टमी पर इस योग का होना भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को और भी प्रगाढ़ करने का अवसर प्रदान करता है।
2. विशेष अनुष्ठान: इस योग के दौरान किए गए धार्मिक अनुष्ठान और पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। भक्त विशेष ध्यान और साधना के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं।
3. धार्मिक महत्व: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जयंती योग का संयोग धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है। यह संयोग यह दर्शाता है कि इस दिन की विशेषता और महत्व को दोगुना कर दिया गया है, और यह भक्तों को विशेष अवसर प्रदान करता है भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन और उनके मार्गदर्शन को प्राप्त करने का।
4. उत्सव की खुशी: जयंती योग के संयोग से जन्माष्टमी का उत्सव और भी उत्साहपूर्ण और अद्भुत हो जाता है। भक्त इस दिन को विशेष मानते हैं और अपनी पूजा-पाठ और अनुष्ठानों को और भी बड़े श्रद्धा भाव से करते हैं।