Sri Krishna & Khatu Shyamji: भगवान श्रीकृष्ण ने खाटू श्याम जी को क्या दिया था वरदान?

KHatu shyam

खाटू श्याम जी (Khatu Shyam Ji), भारतीय धार्मिक परंपरा में एक प्रमुख देवता हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से राजस्थान के खाटू गाँव में की जाती है। वे राधाकृष्ण के प्रमुख भक्त और भव्यता के प्रतीक माने जाते हैं। खाटू श्याम जी, जिन्हें ‘श्री श्याम’ और ‘श्री कृष्ण’ के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। उनके जीवन की कहानी और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए वरदान का महत्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अ-त्यंत महत्वपूर्ण है।

कौन थे खाटू श्याम जी?

शास्त्रों के अनुसार, श्री खाटू श्याम जी (Khatu Shyam Ji) का संबंध महाभारत काल से जोड़ा जाता है। वे पांडु पुत्र भीम के पौत्र थे और अत्यंत शक्तिशाली माने जाते थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पांडव अपनी जान बचाते हुए एक वन से दूसरे वन में यात्रा कर रहे थे, तो भीम का सामना हिडिंबा से हुआ। हिडिंबा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम था घटोत्कच। बाद में घटोत्कच का एक पुत्र हुआ, जिसका नाम बर्बरीक था। यही बर्बरीक आगे चलकर खाटू श्याम के रूप में प्रसिद्ध हुए।

खाटू श्याम जी को दिया गया वरदान

भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने खाटू श्याम जी (Khatu Shyam Ji) को जो वरदान दिया, वह उनकी भक्ति, स्नेह और कर्मों का प्रतिफल था। यह वरदान दो प्रमुख अंशों में बांटा जा सकता है:

1. अमरत्व और श्रद्धा: भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने खाटू श्याम जी को अमरत्व का वरदान दिया, जिससे वे एक दिव्य शक्ति के रूप में पूजे जाते हैं। खाटू श्याम जी के भक्त मानते हैं कि वे अपने भव्य स्वरूप में न केवल दुर्योधन की आत्मा को शांति देने के लिए, बल्कि सभी भक्तों की कठिनाइयों और कष्टों को दूर करने के लिए मौजूद हैं। वे किसी भी भक्त की पुकार को सुनते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं।

2. सभी संकटों से मुक्ति: भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने खाटू श्याम जी को यह वरदान भी दिया कि वे अपने भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति प्रदान करेंगे। यह वरदान भक्तों को विश्वास दिलाता है कि खाटू श्याम जी की भक्ति और पूजा के माध्यम से वे अपने जीवन में आने वाली किसी भी कठिनाई से उबर सकते हैं।

भगवन श्री कृष्ण और खाटू श्याम (Khatu Shyam Ji) जी की कथा

भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) ने श्री खाटू श्याम जी को अपार शक्ति और सम्मान प्रदान करते हुए उन्हें कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया। बर्बरीक, जो अपनी अद्भुत शक्ति और क्षमता से सभी पर भारी पड़ जाते थे, ने महाभारत युद्ध में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा कि वह किस पक्ष की ओर से लड़े, तो श्री कृष्ण ने उत्तर दिया कि वे उस पक्ष की ओर से लड़े जिनकी हार होगी, क्योंकि श्री कृष्ण युद्ध का परिणाम पहले से जानते थे।

इसके बाद, श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनके दान की मांग की और उनका सिर मांगा। बर्बरीक ने तुरंत अपना सिर दान कर दिया और श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि वे पूरे महाभारत युद्ध को देखें। श्री कृष्ण ने उनके सिर को एक ऊंची पहाड़ी पर रख दिया ताकि वे युद्ध को पूरी तरह से देख सकें। जब पांडवों की जीत हुई, तो सभी एक-दूसरे के साथ झगड़ने लगे कि जीत का श्रेय किसे मिले। बर्बरीक ने कहा कि जीत का श्रेय श्री कृष्ण को जाना चाहिए। इस बात से खुश होकर, श्री कृष्ण ने बर्बरीक को कलयुग में खाटू श्याम जी के रूप में पूजे जाने का वरदान दिया।

खाटू श्याम (Khatu Shyam Ji) जी की पूजा और प्रभाव

खाटू श्याम जी की पूजा आज भी भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। विशेष रूप से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘श्याम बाबा’ के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त खाटू मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और विशेष रूप से लाल रंग के वस्त्र और भेंट चढ़ाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन की पूजा से उनकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

पूजा से न केवल धार्मिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है

खाटू श्याम जी की पूजा से न केवल धार्मिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है। भक्तों का मानना है कि खाटू श्याम जी की भक्ति से उनका जीवन सही दिशा में चलता है और वे अपने जीवन की समस्याओं से उबर सकते हैं। यह विश्वास लोगों को उनके प्रति और भी अधिक श्रद्धावान बनाता है।

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