हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनकी पूजा का विशेष महत्व है, खासकर कोजागरी पूर्णिमा के दिन। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कोजागरी लक्ष्मी पूजा (Kojagari Lakshmi Puja) हर साल आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन कोजागरी व्रत रखा जाता है, जो देवी लक्ष्मी की कृपा और घर-परिवार में धन-धान्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस लेख में हम कोजागरी लक्ष्मी पूजा (Kojagari Lakshmi Puja) से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और इसकी विधि पर चर्चा करेंगे।
कोजागरी लक्ष्मी पूजा (Kojagari Lakshmi Puja) का महत्व
कोजागरी पूर्णिमा को लक्ष्मी माता की पूजा करने का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी रात्रि के समय पृथ्वी पर विचरण करती हैं और वह घर-घर जाकर देखती हैं कि कौन जाग रहा है और उन्हें किस घर में प्रवेश करना है। जो लोग इस रात जागकर मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं, उन्हें माता की कृपा से धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत और पूजा का उद्देश्य जीवन में आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति करना है।
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शुभ मुहूर्त
कोजागर पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अक्टूबर को रात 8:40 बजे से शुरू होने वाली आश्विन पूर्णिमा के साथ होगा, जिसका समापन 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे होगा। कोजागर व्रत बुधवार, 16 अक्टूबर को रखा जाएगा। पूजा का निशिता काल रात 11:42 से 12:32 तक रहेगा, जबकि चंद्रोदय शाम 5:05 बजे होगा।
कोजागरी व्रत की कथा
कोजागरी व्रत से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है। एक समय की बात है कि एक निर्धन ब्राह्मण परिवार था, जो बहुत कष्ट में जीवन बिता रहा था। उस परिवार की स्त्री ने इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से किया। रात को जागकर देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की और उनसे परिवार की भलाई की प्रार्थना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उन्हें वरदान दिया और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। तभी से यह मान्यता बनी कि जो भी कोजागरी की रात देवी लक्ष्मी की पूजा करता है, उसके जीवन से दरिद्रता समाप्त होती है और उसे अपार धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
कोजागरी लक्ष्मी पूजा विधि
कोजागरी लक्ष्मी पूजा (Kojagari Lakshmi Puja) की विधि सरल है, लेकिन इसे पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से करना आवश्यक है। यहां हम कोजागरी लक्ष्मी पूजा की विधि बता रहे हैं:
1. स्नान और स्वच्छता: पूजा से पहले सुबह स्नान करें और घर को स्वच्छ बनाएं। घर के मंदिर और लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र को साफ करें।
2. व्रत का संकल्प: इस दिन व्रत रखने का संकल्प लें और दिनभर निर्जल या फलाहार व्रत रखें। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए व्रत का पालन करना विशेष फलदायी माना जाता है।
3. रात्रि जागरण: कोजागरी पूर्णिमा की रात को जागरण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस रात को जागकर लक्ष्मी माता की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
4. लक्ष्मी माता की पूजा: रात्रि के समय लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्हें फूल, अक्षत (चावल), और मिठाइयों का भोग अर्पित करें। देवी को कमल का फूल अत्यधिक प्रिय होता है, इसलिए पूजा में इसे अवश्य शामिल करें। पूजा के दौरान “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
5. धन का प्रतीक: देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है, इसलिए पूजा के समय घर में धन और सोने-चांदी के आभूषण भी रखें, ताकि माता की कृपा से धन की वृद्धि हो।
6. दूध और चावल का विशेष भोग: कोजागरी की रात को चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है और फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखी गई खीर अमृत के समान होती है और इसे खाने से शरीर को बल और ऊर्जा प्राप्त होती है।
7. परिवार के साथ प्रसाद वितरण: पूजा और जागरण के बाद परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर खीर और अन्य प्रसाद को ग्रहण करें। इसे घर के सभी लोगों में बांटना शुभ माना जाता है।
कोजागरी लक्ष्मी पूजा (Kojagari Lakshmi Puja) से जुड़े लाभ
1. धन और समृद्धि की प्राप्ति: जो भक्त इस दिन श्रद्धा और भक्ति से लक्ष्मी माता की पूजा करता है, उसे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
2. दरिद्रता का नाश: कोजागरी व्रत और पूजा से घर की दरिद्रता समाप्त होती है और घर में समृद्धि का आगमन होता है।
3. शांति और सुख-समृद्धि: इस पूजा से घर में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। परिवार में आपसी प्रेम और सहयोग बढ़ता है।
4. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: कोजागरी की रात को चांदनी में रखी खीर को खाने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसे अमृत के समान माना जाता है।
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