Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर खिचड़ी और तिल-गुड़ का क्या है महत्व?
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत का एक प्रमुख त्यौहार है, जो हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर 14 या 15 जनवरी को पड़ता है। इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है और प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होता है। इस पर्व का एक खास पहलू है खिचड़ी और तिल-गुड़ (Khichdi and Til-Gur) का सेवन करना और दान करना, जो इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।
खिचड़ी का महत्व (Importance Of Khichdi)
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर खिचड़ी का सेवन और दान करने की परंपरा उत्तर भारत में विशेष रूप से प्रचलित है। खिचड़ी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
पौष्टिकता का प्रतीक: खिचड़ी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसमें चावल और दाल (Rice and Dal) होने की वजह से शरीर को पोषण और ऊर्जा मिलती है। सर्दियों में खिचड़ी शरीर को गर्माहट देने में सहायक माना गया है।
दान का महत्व: इस दिन खिचड़ी का दान विशेष पुण्य का कारक माना जाता है। गरीब और जरूरतमंद लोगों को खिचड़ी, चावल, दाल, और कंबल दान करना शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के मौके पर सामूहिक रूप से खिचड़ी बनाना और खाना एकता और एकजुटता का संदेश है। बिहार और उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी विशेष रूप से बनाई जाती है।
तिल-गुड़ का महत्व (Importance Of Til-Gur)
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन करना और दान करना एक प्रमुख परंपरा है। यह परंपरा पूरे भारत में प्रचलित है, हालांकि इसे विभिन्न नामों और अलग तरीकों से मनाया जाता है।
सर्दियों के लिए उपयुक्त: तिल और गुड़ दोनों ही सर्दियों में शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं। तिल में कैल्शियम, आयरन और फाइबर होता है, जबकि गुड़ पाचन शक्ति बढ़ाने और ऊर्जा देने में सहायक होता है।
मिठास का प्रतीक: तिल-गुड़ का सेवन और वितरण यह संदेश देता है कि ‘मिठास बांटें और कड़वाहट मिटाएं।’ महाराष्ट्र में यह परंपरा ‘तिळगुळ घ्या आणि गोड गोड बोला’ कहकर निभाई जाती है।
धार्मिक महत्व: तिल को पवित्र और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। तिल का दान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसे भी पढ़ें: Saraswati Puja 2025: विद्या, कला और संगीत की देवी ‘मां सरस्वती’
अन्य राज्यों में खिचड़ी और तिल-गुड़ की परंपराएं
- उत्तर प्रदेश और बिहार: खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। लोग खिचड़ी का दान करते हैं और इसे परिवार के साथ खाते हैं।
- महाराष्ट्र: महिलाएं तिल-गुड़ और हल्दी-कुमकुम का वितरण करती हैं।
- पश्चिम बंगाल: तिल से बनी मिठाईयां जैसे तिलकुट और पट्टी खाई जाती हैं।
- पंजाब: इसे ‘लोहड़ी’ के रूप में मनाते हैं और तिल-गुड़ के लड्डू बनाते हैं।
मकर संक्रांति (MakarSankranti) का त्योहार न केवल धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खिचड़ी और तिल-गुड़ की परंपरा न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि हमें आपसी प्रेम, एकता, और दान-पुण्य का महत्व भी सिखाती है।
Latest News in Hindi Today Hindi news हिंदी समाचार
#MakarSankranti2025 #MakarSankranti #Khichdi #TilGur #Spritual #14January #Tilkut