क्रूर मुग़ल शासक की वो बेटी, जो Krishna भक्ति में डूब कहलायी मुगलों की मीरा

Zebunnisa

इस समय सारा हिंदुस्तान कृष्ण जन्माष्टमी और दही हांड़ी के रंग में डूबा हुआ है। लोग कृष्ण (krishna) भक्ति में सराबोर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुग़लकाल में एक कृष्ण भक्त ऐसी भी हुई जिसे मुगलों की मीरा कहा जाता था। हम बात कर रहे हैं, क्रूर मुग़ल शासक औरंगजेब की, जिसकी क्रूरता के कई किस्से मशहूर हैं। लेकिन कृष्ण भक्ति का कमाल देखिये, वो कृष्ण भक्ति में इस कदर डूबी कि फिर उसने किसी की एक न सुनी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन है जो मुग़ल बादशाह के महल में इस तरह की गुस्ताखी कर सकती है। वो कोई और नहीं बल्कि उसकी अपनी बेटी थी। उसने गुस्ताखी की और उसे सजा भी मिली। उसे कैद कर लिया गया। आप सोचेंगे कैद में क्यों भला? बादशाह की बेटी राजकुमारी हुई न, तो फिर कैद कैसे? तो आपको बता दें कि औरंगजेब को अपनी बेटी की हरकतें नागवार गुजरती थीं। अब आप सोचेंगे कि आखिर कौन है वो बेटी?

राजकुमारी जेबुन्निसा को कविताएं लिखने का बड़ा शौक था

तो आपको बता दें कि 5 फरवरी 1638 ईसवी को मुगल बादशाह औरंगजेब और बेगम दिलरस बानो की सबसे बड़ी संतान के रूप में जन्मी राजकुमारी जेबुन्निसा (Zebunnisa) को कविताएं लिखने का बड़ा शौक था। मुगलिया महल में रहते हुए धीरे-धीरे उसका झुकाव साहित्य की ओर होने लगा। लगन ऐसी कि वो शेर-ओ-शायरी लिखने लगी। वो एक बेहतरीन शायरा थी। न सिर्फ वो शायरी लिखती बल्कि पिता से छुपकर मुशायरों में भी जाती थी। अधिकतर वो फारसी में कविताएं ही लिखती थी। पकड़ने जाने के डर से वो अपने छद्म नाम मख्फी का उपयोग करती थी। इसके आलावा हिंदू धर्म को लेकर उसके मन में अजीब सी उत्सुकता बनी रहती थी। कट्टरपंथी औरंगजेब को यह कतई पसंद नहीं था। यह तो ठीक, लेकिन उसका एक हिंदू राजा से प्रेम करना आगे चलकर उसके जी का जंजाल बना गया।

औरंगजेब ने ही अपने सगे भाई दाराशिकोह को उतार दिया था मौत के घाट 

खैर, बचपन में ही औरंगजेब ने जेबुन्निसा (Zebunnisa) की शादी अपने भाई दाराशिकोह के बेटे सुलेमान शिकोह से तय कर दी थी। लेकिन कम उम्र में मौत हो जाने के चलते शादी हो नहीं सकी। दरअसल, औरंगजेब ने ही अपने सगे भाई दाराशिकोह और उसके बेटे सुलेमान को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद जेबुन्निसा को एक हिंदू महाराजा छत्रसाल से प्रेम हो गया। औरंगजेब कभी नहीं चाहता था कि उसकी बेटी किसी गैर-मजहबी से इश्क करे। काफी समझाने के बाद भी जब वो नहीं मानी, तो औरंगजेब ने उसे सलीमगढ़ किले में नजरबंद करावा दिया। 

कैद में रहते ही वो हो गई श्रीकृष्ण भक्त

इस हरकत से पिता से जेबुन्निसा (Zebunnisa) की नाराजगी इस कदर बढ़ी कि कैद में रहते ही वो कृष्ण (krishna) भक्त हो गईं और कृष्ण भक्ति में डूबकर उसने कई रचनाएं लिखीं। 20 वर्षों की इस कैद के दौरान उसने लगभग 5000 से अधिक रचनाएं कीं, जिसका संकलन उसकी मौत के बाद दीवान-ए-मख्फी के नाम से छापा गया, जिसे आज भी ब्रिटिश लाइब्रेरी और नेशनल लाइब्रेरी ऑफ पेरिस में सहेज कर रखा गया है। 

सलीमगढ़ किले में जेबुन्निसा की रहती है रूह 

20 वर्ष में कैद में रहने के दौरान औरंगजेब ने अपनी सगी बेटी जेबुन्निसा (Zebunnisa) को इस कदर प्रताड़ित किया कि प्रताड़ना के चलते उसकी मौत हो गई। मौत के बाद उसे काबुली गेट के पास स्थित तीस हजारी बाग में दफन किया गया। ऐसा कहा जाता है कि आज भी सलीमगढ़ किले में जेबुन्निसा की रूह रहती है।

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