रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार भाई-बहन के प्रगाढ़ और पवित्र प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। यह महज एक धागा न होकर बहन की रक्षा का दायित्व है, जिसे निभाना हर भाई का कर्तव्य होता है। वैसे सदियों से यह त्योहार मनाया जा रहा है। न सिर्फ यह मनाया जा रहा है बल्कि इससे प्रचलित कई कहानियां भी हैं, जब बहनों ने भाई को राखी भेज मदद मांगी और भाइयों ने मदद की।
रानी कर्णावती ने राखी (Rakhi) भेज मांगी थी मदद
जैसा कि हम सभी इस कहानी से भलीभांति परिचित हैं कि किस तरह रानी कर्णावती ने चित्तौड़गढ़ को बहादुर शाह के हमले से बचाने के हुमायूं को राखी (Rakhi) भेजी थी। और राखी मिलते ही हुमायूं अपनी फ़ौज लेकर चित्तौड़गढ़ की ओर कूच कर गया था। वो बात और है कि उसके पहुंचने से पहले ही रानी कर्णावती ने अन्य महिलाओं के साथ मिलकर जौहर कर लिया था। बाद में हुमायूं और बहादुर शाह के बीच भीषण युद्ध हुआ और बहादुर शाह की बुरी हार हुई थी।
जब राजा पोरस से हुआ सिकंदर का सामना
खैर, इस कहानी से हम सभी वाकिफ हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी एक राखी ने दुनिया जीतने निकले एलेक्जेंडर ग्रेट की भी जान बचाई थी? अरे हां, वही एलेक्जेंडर ग्रेट, जिसे दुनिया सिकंदर के नाम से जानती है। दरअसल, वो ग्रीक यानी मेसेडोनिया साम्राज्य का बहादुर युद्ध था और 356 ईसापूर्व वो दुनिया पर फतह करने का सपना लेकर निकला था। ईरान, फिनीशिया, मेसोपोटामिया और मिस्र जैसे कई इलाकों पर अपनी जीत का परचम लहराने के बाद वो भारतीय उपमहाद्वीप जा पहुंचा, जहां उसका मुकाबला महान राजा पोरस से हुआ।
दुनिया पर फतह करने का सपना देखने वाले के पड़ गए थे जान के लाले
फिर क्या था, झेलम और चिनाब नदी के किनारे दोनों में बीच भीषण युद्ध हुआ। कहा तो यह भी जाता है कि सिकंदर के पास कुल 50 हजार सैनिक थे, लेकिन राजा पोरस की बहादुर सेना के सामने उनकी एक न चली। इस बीच कुछ दिनों बाद यह बात जब सिकंदर की पत्नी को पता चली कि राजा पोरस एक महान और बड़ा बहादुर राजा है। वो सिकंदर को किसी भी वक़्त मौत के घाट उतार सकता है, तो उसने आनन-फानन में राजा पोरस को राखी (Rakhi) भेज उनसे सिकंदर की जान बख़्श देने की विनंती की। महान राजा पोरस ने भी राखी की लाज रखते हुए सिकंदर पर जानलेवा हमला नहीं किया। अन्यथा पोरस के एक वार से सिकंदर का धड़ अलग हो गया होता।
युद्ध के परिणाम को लेकर नहीं है इतिहासकारों की एक राय
यह राखी (Rakhi) ही थी जिसने सिकंदर की जान बख्शी, अन्यथा इतिहास कुछ और ही होता। खैर, रही बात युद्ध के परिणाम की, तो इसके परिणाम को लेकर इतिहासकारों द्वारा अलग-अलग तर्क दिए जाते हैं। वैसे इतिहास में इसे बैटल ऑफ़ द हैडस्पेस के नाम से जाना जाता है। यूनानी इतिहासकार इस युद्ध में सिकंदर को विजयी बताते हैं। जबकि अन्य इस बात का खंडन करते हैं। लेकिन सच तो यह कि सिकंदर ने इस युद्ध में घुटने टेक दिए थे।