Saint Tulsidas Jayanti: महान कवि और संत तुलसीदास को श्रद्धांजलि

Saint Tulsidas

भारत की आध्यात्मिक धरोहर में संत तुलसीदास का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। हर वर्ष 11 अगस्त को संत तुलसीदास जयंती  (Saint Tulsidas Jayanti) मनाई जाती है, जो भारतीय साहित्य और संस्कृति के इस महान कवि और संत की स्मृति को समर्पित होती है। संत तुलसीदास (Saint Tulsidas) का योगदान भारतीय समाज और साहित्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उनकी रचनाएं आज भी लोगों को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। 

संत तुलसीदास (Saint Tulsidas) का जीवन परिचय

संत तुलसीदास (Saint Tulsidas) का जन्म 1554 (1532 ईस्वी) में उत्तर प्रदेश के राजापुर ग्राम में हुआ था। उनका मूल नाम रामबोला था, लेकिन बाद में वे तुलसीदास के नाम से विख्यात हुए। बचपन में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था, जिससे उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा। ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास का जन्म 12 माह की गर्भावस्था के बाद हुआ था, और उनके मुंह से जन्म के समय ही “राम” शब्द निकला था। उनकी शिक्षा-दीक्षा काशी (वर्तमान वाराणसी) में हुई, जहां उन्होंने संस्कृत, वेद, पुराण, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया।

रचनाएं और योगदान

तुलसीदास जी की प्रमुख रचना “रामचरितमानस” है, जो भगवान श्रीराम के जीवन और उनके आदर्शों का सुंदर वर्णन करती है। इस महाकाव्य को संस्कृत भाषा के स्थान पर अवधी भाषा में लिखा गया, जिससे यह जन-जन तक पहुँच सका। “रामचरितमानस” ने तुलसीदास को जनमानस के बीच अमर कर दिया और यह ग्रंथ हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर बन गया।

तुलसीदास जी ने इसके अलावा “विनय पत्रिका”, “कवितावली”, “हनुमान चालीसा”, “दोहावली”, और “कृष्णगीतावली” जैसी अन्य रचनाएं भी कीं। उनकी रचनाओं में भक्ति, धर्म, और नैतिकता का गहन संदेश है। विशेष रूप से “हनुमान चालीसा” आज भी हर घर में श्रद्धा के साथ पढ़ी जाती है।

तुलसीदास की भक्ति और सामाजिक प्रभाव

तुलसीदास ने समाज में भक्ति आंदोलन को मजबूत किया। उन्होंने श्रीराम की भक्ति के माध्यम से लोगों को एकजुट किया और समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी रचनाओं ने समाज में आध्यात्मिकता का प्रसार किया और जनमानस को धर्म और नैतिकता का सही मार्ग दिखाया।

संत तुलसीदास जयंती का महत्त्व

संत तुलसीदास जयंती (Saint Tulsidas Jayanti) भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और “रामचरितमानस” का पाठ किया जाता है। कई स्थानों पर भक्ति संगीत और कीर्तन के कार्यक्रम होते हैं, जिनमें तुलसीदास की रचनाओं का गान किया जाता है।

संत तुलसीदास की जयंती (Saint Tulsidas Jayanti) केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और साहित्य की धरोहर को संजोने का अवसर है। उनके जीवन और शिक्षाओं से हमें यह सीख मिलती है कि भक्ति, नैतिकता, और परोपकार ही जीवन का सच्चा मार्ग है। संत तुलसीदास की रचनाएं सदियों से भारतीय समाज को प्रेरित करती आ रही हैं, और आने वाली पीढ़ियाँ भी उनसे जीवन जीने की कला सीखती रहेंगी। संत तुलसीदास की जयंती उनके जीवन, रचनाओं, और भारतीय समाज में उनके योगदान को सम्मानित करने का अवसर है। इस दिन विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

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