हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे आश्विन मास की पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है और इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व है। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, और इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत का वर्षण होता है, जो शरीर को स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्रदान करता है। शरद पूर्णिमा का उत्सव भक्ति, पूजा, उपवास और विशेष रूप से खीर के प्रसाद से जुड़ा होता है, जिसे रात भर चांदनी में रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा 2024 (Sharad Purnima 2024) की शुभ तिथि और समय
शरद पूर्णिमा साल 2024 में 16 अक्टूबर को रात 8:40 बजे शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर की ठीक शाम 4:55 बजे होगा।
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 16 अक्टूबर 2024 को रात 8:40 बजे
पूर्णिमा तिथि का समापन: 17 अक्टूबर 2024 को शाम 04:55 बजे
इस दौरान, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की पूजा और खीर का प्रसाद बनाने का विशेष महत्व है। इस दिन को व्रत और उपवास के साथ मनाने की परंपरा है, जो शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो लोग इस रात जागते हैं और उनकी पूजा करते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। यही कारण है कि इस दिन को “कोजागरी पूर्णिमा” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है “कौन जाग रहा है।” माना जाता है कि जो भक्त इस रात को जागकर देवी लक्ष्मी की आराधना करते हैं, उन्हें धन-समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
शरद पूर्णिमा की पूजा का समय विशेष रूप से चंद्रमा के उदय के बाद का होता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि माना जाता है कि चंद्रमा से इस दिन अमृत का वर्षण होता है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए लाभकारी होता है। यहां शरद पूर्णिमा की पूजा विधि की जानकारी दी जा रही है:
- स्नान और स्वच्छता: सबसे पहले सुबह स्नान करें और घर को साफ-सुथरा बनाएं। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और देवी लक्ष्मी एवं चंद्रमा की पूजा की तैयारी करें।
- व्रत और संकल्प: शरद पूर्णिमा के दिन उपवास रखना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन फलाहार या निराहार व्रत रखने का प्रचलन है। व्रत रखने से भक्तों को मानसिक शांति और आंतरिक शुद्धि की प्राप्ति होती है।
- खीर का प्रसाद: शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाने का विशेष महत्व है। चावल, दूध, और चीनी से बनी खीर को चांदनी रात में खुली जगह पर रखा जाता है, ताकि चंद्रमा की किरणें उस पर पड़ें। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की किरणें खीर को अमृतमय बना देती हैं और इसे खाने से शारीरिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं।
- चंद्रमा की पूजा: रात को चंद्रमा की पूजा की जाती है। इसके लिए जल, चावल, और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान “ॐ सोमाय नमः” मंत्र का जाप करें और चंद्रमा से सुख-शांति एवं समृद्धि की प्रार्थना करें।
- देवी लक्ष्मी की पूजा: इस दिन मां लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है। लक्ष्मी माता की मूर्ति के सामने दीप जलाकर, फूल और भोग अर्पित करें। लक्ष्मी स्तोत्र या “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करें।
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) से जुड़े वैज्ञानिक पहलू
शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और उसकी किरणों में विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है, जिसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। चंद्रमा की रोशनी से अमृत तत्व की प्राप्ति की मान्यता सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह रात प्राकृतिक चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
शरद पूर्णिमा के लाभ
- स्वास्थ्य लाभ: शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखी गई खीर का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। इसे खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मानसिक तनाव दूर होता है।
- धन-समृद्धि: देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और दरिद्रता का नाश होता है।
- मानसिक शांति: इस दिन व्रत और पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है और जीवन में संतुलन बनता है।
- सुख-शांति: शरद पूर्णिमा की पूजा से परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनता है।
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