तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple), जिन्हें श्री वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्रसिद्ध और श्रद्धेय धार्मिक स्थलों में से एक हैं। यह मंदिर तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित है और भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। यहाँ भक्तों की अपार भीड़ हर साल देखी जाती है, जो अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ यहां आते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) की कहानी
तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है और बालों का दान करने की प्रथा के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कहते हैं, बहुत पहले भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर चीटियों का इतना बड़ा झुंड जमा हो गया था कि वह एक पहाड़ जैसा दिखने लगा। प्रतिदिन एक गाय वहां आकर उस पहाड़नुमा चीटियों के समूह पर दूध दिया करती थी। एक दिन, गाय के मालिक ने इस दृश्य को देखा और गुस्से में आकर गाय पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। इस हमले से भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति को भी चोट लगी, जिससे उनके सिर पर घाव हो गया और उस स्थान के बाल झड़ गए।
अपने बाल काटकर उनके घाव पर दिया लगा
जब भगवान की मां ने यह घाव देखा, तो उन्होंने अपने बाल काटकर उनके घाव पर लगा दिया। कमाल यह कि इससे भगवान वेंकटेश्वर का घाव भर गया। इस त्याग से भगवान इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने कहा, “एक स्त्री के लिए उसके बाल उसका सबसे महत्वपूर्ण आभूषण होते हैं और तुमने मेरे लिए अपने बाल त्याग दिए। इसलिए, जो भी भक्त मेरे लिए अपने बालों का त्याग करेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।” तभी से तिरुपति मंदिर में बाल दान की यह परंपरा आरंभ हुई, जो आज तक चली आ रही है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान का महत्व
भक्तों द्वारा बाल दान की प्रथा भी तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) से जुड़ी हुई है। कई भक्त अपने बच्चों के बाल तिरुपति बाला जी को अर्पित करते हैं। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो भक्तों की भक्ति और विश्वास को दर्शाता है। मान्यता है कि बाल दान करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और भगवान वेंकटेश्वर की कृपा प्राप्त होती है। भक्तों का विश्वास है कि बाल दान करने से वे भगवान के प्रति अपनी समर्पण भावना को व्यक्त करते हैं। यह एक तरह की श्रद्धांजलि है, जिसमें भक्त अपने बालों को अर्पित करके भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं।
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