इस वजह से गणेश की पूजा में वर्जित है Tulsi

Ganesh and Tulsi

गणेश की पूजा में तुलसी के पत्तों के उपयोग को वर्जित (Tulsi Forbidden in Ganesh Puja) करने का प्रचलन धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। यह नियम हर देवता की पूजा की विशिष्टता और परंपराओं का सम्मान करता है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। गणेश चतुर्थी जैसे विशेष अवसरों पर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और इसमें कई नियम और विधियाँ होती हैं। एक प्रमुख नियम है कि गणेश पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग वर्जित है। यह प्रथा धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मान्यताओं का हिस्सा है। आइए जानें कि गणेश की पूजा में तुलसी को क्यों वर्जित माना जाता है और इसके पीछे के धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों पर एक नज़र डालते हैं।

धार्मिक और पौराणिक मान्यताएँ

हिंदू धर्म में तुलसी को एक पवित्र और दिव्य पौधा माना जाता है। तुलसी के पौधे की पूजा विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनकी अवतारों के साथ की जाती है। तुलसी को विष्णुप्रिया, यानी भगवान विष्णु को प्रिय माना जाता है। वहीं, भगवान गणेश की पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग वर्जित है, क्योंकि भगवान गणेश और भगवान विष्णु के पूजन की विधियाँ अलग-अलग हैं।

पूजा की विधियाँ और नियम

गणेश की पूजा में विशेष रूप से मोदक, लड्डू, दूर्वा (दूब), फूल, चंदन, और अन्य विशेष पूजा सामग्री का प्रयोग किया जाता है। गणेश जी को यह सामग्री पसंद होती है और इसे उनकी पूजा में अर्पित किया जाता है। तुलसी के पत्ते गणेश जी को पसंद नहीं आते और इसलिए गणेश पूजा में इनका प्रयोग वर्जित (Tulsi Forbidden in Ganesh Puja) है।

वहीं, तुलसी के पौधे को नियमित रूप से पूजा में उपयोग किया जाता है, लेकिन यह पूजा विष्णु और उनके अवतारों के लिए होती है, न कि गणेश जी के लिए। गणेश पूजा के लिए निर्धारित सामग्री से किसी भी प्रकार की विचलन गणेश पूजा की विधियों से असंगत हो सकती है।

गणेश जी को तुलसी न (Tulsi) चढ़ाने का कारण

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी गंगा नदी के किनारे तपस्या में लगे थे। उसी समय तुलसी, जो तीर्थ यात्रा पर निकली थीं, गंगा के तट पर पहुंचीं और गणेश जी को तपस्या में मग्न देखा। शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी तपस्या में लीन होकर रत्न जड़ित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके शरीर पर सुगंधित चंदन लगा हुआ था और उनके गले में पारिजात पुष्पों के साथ कई सुंदर स्वर्ण-मणि हार थे। उनकी कमर पर अत्यंत कोमल लाल पीताम्बर लिपटा हुआ था। 

गणेश जी देखकर तुलसी (Tulsi) हो गईं  प्रभावित

गणेश जी की इस अवस्था को देखकर तुलसी (Tulsi) प्रभावित हो गईं और उन्हें गणेश जी से विवाह की इच्छा जाग्रत हुई। उन्होंने गणेश जी का ध्यान भंग कर दिया, जिसे गणेश जी ने इस आधार पर ठुकरा दिया कि वे ब्रह्मचारी हैं। विवाह के प्रस्ताव को ठुकराए जाने से नाराज होकर तुलसी ने गणेश जी को शाप दिया कि वे दो विवाह करेंगे। गणेश जी ने तुलसी को उत्तर में शाप दिया कि उसका विवाह एक असुर से होगा और यह भी कहा कि उनकी पूजा में तुलसी चढ़ाना अशुभ माना जाएगा। इसके बाद से गणेश पूजा में तुलसी का उपयोग वर्जित कर दिया गया। इस वजह से भगवान गणेश की पूजा में तुलसी (Tulsi Forbidden in Ganesh Puja) नहीं चढ़ती। 

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