आखिर हम ‘गणपति बप्पा’ के बाद ‘मोरया’ ही क्यों बोलते हैं? जानिए कौन थे मोरया?

Morya

देश भर में 7 सितंबर से गणेश चतृर्दशी के पर्व की शुरुआत होने जा रही है। यह पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। विशेष तौर पर महाराष्ट्र में इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस दौरान जगह-जगह पंडाल सजाए जाते हैं। भक्तगण जोर-शोर से गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगाते हैं। यह तो ठीक, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये गणपति बप्पा तो समझ आया, लेकिन अंत में बोला जाने वाला वाक्य मोरया क्या है? आखिर गणपति बप्पा के बाद अंत में मोरया क्यों बोला जाता है? मोरया शब्द का क्या अर्थ है? कहने की जरूरत नहीं, कभी न कभी यह प्रश्न मन में कौंधा जरूर होगा। कोई बात नहीं, आज आपके सारे प्रश्नों का उत्तर हम दे देते हैं। आज के बाद मोरया शब्द को लेकर आपके मन में जो भी शंका है, वो निश्चित ही दूर हो जाएगी। 

मोरया के पीछे की कहानी है बड़ी रोचक 

दरअसल, मोरया के पीछे एक बड़ी ही रोचक कहानी है। यह कहानी है महाराष्ट्र के पुणे स्थित चिंचवाड़ गांव की। बात है 14वीं शताब्दी की, जहां मोरया गोस्वामी नाम का एक शख्स रहा करता था। मोरया गोस्वामी के पिता की कोई संतान नहीं थी। भगवान गणेश की कृपा से मोरया का जन्म होने के कारण माता-पिता की गणेश में गहरी आस्था थी। अपने माता-पिता की देखा-देखी वो भगवान गणेश की पूजा आराधना करने लगा। इस तरह समय बीतते गया और बीतते समय के साथ-साथ उसकी श्रद्धा भी बढ़ने लगी। उसकी श्रद्धा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हर साल गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर गणेश पूजन हेतु वो, चिंचवाड़ से मोरगांव पैदल जाया करता। यह सब चलता रहा और मोरया की भक्ति दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। इस बीच गुजरते वक़्त के साथ-साथ मोरया की भी उम्र बढ़ने लगी थी। कहा जाता है कि एक दिन स्वयं भगवान गणेश उसके सपने में आए और उससे कहा कि “तुम्हें नदी में मेरी मूर्ति मिलेगी।” 

भगवान गणेश के प्रति उनकी अटूट भक्ति थी

खैर, सुबह उठकर मोरया जब स्नान करने नदी में गया, तो उसे वहां भगवान गणेश की एक मूर्ति मिली। चूंकि सपने में कही बात सही साबित हुई। यह जान लोग दंग रह गए। इस घटना के बाद से लोग यह मानने लगे कि गणपति बप्पा का कोई अनन्य भक्त है, तो वह सिर्फ मोरया गोसावी ही है। फिर क्या था, उसके बाद तो मोरया गोस्वामी के दर्शन हेतु लोग दूर दराज इलाकों से आने लगे। भक्तगण आते, मोरया के पैर छूते और मोरया कहते। बदले में मोरया गोस्वामी अपने भक्तों से मंगलमूर्ति कहता। कहते हैं, इसी से मंगलमूर्ति मोरया की शुरुआत हुई। बेशक यह भगवान गणेश के प्रति उनकी अटूट भक्ति का ही कमाल था, जो वो देवता की पूजा का पर्याय बन गए। लोग गणपति बप्पा मोरया कहने लगे। भगवान गणेश की भक्ति का कमाल देखिये कैसे एक साधारण सा भक्त मोरया का नाम भगवान गणेश के नाम के साथ जुड़ गया। वजह यही जो तब से गणपति बप्पा का नाम मोरया के बिना नहीं लिया जाता। और सभी भक्तगण पूरी श्रद्धा भाव के साथ ‘गणपति बप्पा मोरया’ के मंत्र का जप करते हैं। 

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