हिंदू धर्म में प्रत्येक देवता की अपनी विशेषताओं और प्रतीकों के माध्यम से एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। इनमें से एक हैं शनि देव (Shani Dev), जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। उनकी आंखें हमेशा बंद रहती हैं और यह बात लोगों में जिज्ञासा का विषय रही है। आज हम जानेंगे कि शनि देव की आंखें बंद रहने का क्या कारण है और क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा।
शनि देव (Shani Dev) का परिचय
शनि देव को ‘शनि’ के नाम से जाना जाता है और वे सूर्य और छाया (सूर्य की पत्नी) के पुत्र हैं। उन्हें ज्योतिष में ग्रहों के राजा के रूप में मान्यता प्राप्त है। शनि देव का संबंध कर्म और न्याय से है और इसलिए उन्हें लोगों के अच्छे और बुरे कर्मों का फल देने वाला माना जाता है। उनकी पूजा के साथ-साथ कई मंत्रों का जाप किया जाता है, ताकि उनकी कृपा प्राप्त की जा सके और नकारात्मकता से बचा जा सके।
शनि देव की आंखें क्यों है बंद?
शनि देव की आंखों के बंद रहने के पीछे एक रोचक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, शनिदेव को श्राप उनकी पत्नी ने दिया था। एक बार, जब शनिदेव भक्ति में लीन थे, उनकी पत्नी संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर उनके पास आईं। लेकिन शनिदेव ध्यान में इतने मग्न थे कि उन्होंने उनकी ओर देखा भी नहीं। इस पर उनकी पत्नी को अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने शनिदेव (Shani Dev) को श्राप दे दिया कि यदि तुम अपनी पत्नी को नहीं देख सकते, तो तुम्हारी दृष्टि वक्र हो जाए। यह दृष्टि जिस पर भी पड़ेगी, उसका अनिष्ट हो जाएगा।
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गणेश जी का सिर कटने का कारण
यह भी मान्यता है कि शनिदेव की वक्र दृष्टि के कारण ही भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग हो गया था। इसके पीछे की कथा इस प्रकार है: जब माता पार्वती ने अपनी उबटन से गणेश को बनाया, तब शिवलोक में एक उत्सव मनाया गया। सभी देवगण उन्हें आशीर्वाद देने आए, लेकिन उस समय शनिदेव बिना देखे ही वहां से लौटने लगे। माता पार्वती ने कहा कि शनिदेव, क्या आप मेरे पुत्र को देखेंगे नहीं? शनिदेव ने उत्तर दिया कि उनका देखना मंगलकारी नहीं है। माता पार्वती ने कहा कि शायद आपको मेरे पुत्र से प्रसन्नता नहीं हुई है, लेकिन मेरा आदेश है कि आप इसे देखें और अपना आशीर्वाद दें। तब शनिदेव ने माता की आज्ञा का पालन करते हुए गणेश पर दृष्टि डाली। कहा जाता है कि शनिदेव की दृष्टि पड़ने के बाद ही गणेश जी का सिर कटने की घटना हुई और गणेश जी को हाथी का सिर लगाया गया। इसके बाद उन्हें गजानन कहा जाने लगा।
पूजा और उपाय
शनि देव (Shani Dev) की पूजा करना और उन्हें प्रसन्न करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। शनि जयंती, शनिवार, और अन्य विशेष अवसरों पर उनकी पूजा की जाती है। उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए लोग काले तिल, काली उड़द, और काले रंग की वस्तुएं अर्पित करते हैं। इसके साथ ही, शनि देव के मंत्रों का जाप करने से भी उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
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