GRAP Implementation: दिल्ली में साँस लेना हुआ मुश्किल? देखिए कैसे ग्रैप का पहला चरण आपको दिला सकता है राहत

GRAP Implementation

दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बिगड़ने के साथ ही सरकार ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में, मंगलवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का पहला चरण लागू हो रहा है। यह कदम लोगों को साफ हवा में सांस लेने में मदद करने के लिए उठाया गया है।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति

राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने ग्रैप लागू (GRAP Implementation) करने का फैसला लिया है। ग्रैप यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान, जो वायु प्रदूषण से निपटने का एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रैप का पहला चरण मंगलवार सुबह आठ बजे से लागू हो गया है। इसका मतलब है कि अब कुछ गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। यह फैसला केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की एक बैठक में लिया गया। इस बैठक में आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता कैसी रहेगी, इसका अनुमान लगाया गया और उसी के हिसाब से यह निर्णय लिया गया।

ग्रैप लागू करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह तब लागू किया जाता है जब शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 के ऊपर चला जाता है। AQI हवा की गुणवत्ता को मापने का एक पैमाना है। जब यह 200 से ऊपर जाता है, तो इसका मतलब है कि हवा बहुत प्रदूषित हो गई है और लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

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ग्रैप के पहले चरण में क्या-क्या बंदिशें हैं

GRAP

ग्रैप के पहले चरण में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:

  • होटल और रेस्तरां में कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसकी जगह गैस या बिजली का इस्तेमाल करना होगा। इससे धुआं कम होगा और हवा में प्रदूषण कम होगा।
  • पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। जो वाहन BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल के हैं, उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ये वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं, इसलिए इनके चलने पर रोक लगाई जा सकती है।
  • निर्माण कार्यों में धूल को कम करने के उपाय करने होंगे। जैसे कि निर्माण स्थल पर पानी का छिड़काव करना, मलबे को ढंककर रखना आदि। 500 वर्ग मीटर या उससे बड़े निर्माण कार्य तभी हो सकेंगे जब वे सरकारी वेबसाइट पर पंजीकृत होंगे।
  • कूड़े के ढेरों से नियमित रूप से कचरा उठाना होगा। खुले में कचरा नहीं फेंका जा सकेगा। सड़कों पर मशीन से सफाई और पानी का छिड़काव करना होगा।
  • वाहनों के लिए प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र (PUC) की सख्ती से जांच की जाएगी। बिना PUC के वाहन नहीं चला सकेंगे।
  • डीजल जनरेटर का इस्तेमाल रोजमर्रा की बिजली की जरूरत के लिए नहीं किया जा सकेगा। इसका मतलब है कि अगर बिजली चली जाती है तो भी डीजल जनरेटर नहीं चलाया जा सकेगा।

आम लोगों से क्या अपेक्षा है

  • दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण नियंत्रण (Delhi-NCR Air Pollution Control) के लिए आम लोगों से भी कुछ बातों का ध्यान रखने की अपेक्षा की गई है। जैसे:
  • अपने वाहनों का ध्यान रखें। इंजन को ठीक से ट्यून करवाएं और टायरों में सही हवा भरवाएं। इससे वाहन कम प्रदूषण फैलाएंगे।
  • लाल बत्ती पर वाहन का इंजन बंद कर दें। इससे भी प्रदूषण कम होगा।
  • जहां तक हो सके, हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करें। ये वाहन कम प्रदूषण फैलाते हैं।
  • खुले में कूड़ा न फैलाएं। कूड़े को सही जगह पर ही फेंकें।
  • अगर कहीं प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां दिखें तो उसकी शिकायत करें। इसके लिए 311 ऐप, ग्रीन दिल्ली ऐप, या SAMEER ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाएं। पेड़ हवा को साफ करने में मदद करते हैं।
  • त्योहारों को मनाते समय पर्यावरण का ध्यान रखें। पटाखे न जलाएं क्योंकि वे बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।
  • 10-15 साल पुराने डीजल या पेट्रोल के वाहन न चलाएं। ये वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।

इन सभी उपायों का मकसद है कि हम सब मिलकर हवा को साफ रखें। साफ हवा में सांस लेना हर किसी का अधिकार है और यह हमारी जिम्मेदारी भी है कि हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें। दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण नियंत्रण (Delhi-NCR Air Pollution Control) के लिए ग्रैप जैसे कदम इसी दिशा में उठाए गए हैं ताकि हम सभी को स्वच्छ वातावरण मिल सके।

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