गुजरात के सूरत जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। नरेना आश्रम शाला में रहने वाली कई छात्राओं ने अपने प्रिंसिपल पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। यह खबर पूरे देश में तेजी से फैल रही है और लोगों को हैरान कर रही है। आश्रम में छात्रा शोषण (ashram student abuse) का यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन गया है।
आश्रम में छात्रा शोषण (ashram student abuse) का खुलासा
यह मामला तब सामने आया जब आदिवासी विकास विभाग की टीम आश्रम का निरीक्षण करने पहुंची। महिला अधिकारियों ने जब छात्राओं से बात की, तो उन्होंने अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार के बारे में बताया। छात्राओं ने बताया कि प्रिंसिपल रात में उनके कमरे में आता था और उन्हें नहाते हुए देखता था। यह खुलासा आश्रम में छात्रा शोषण (ashram student abuse) के गंभीर मामले को उजागर करता है। इस मामले में 35 छात्राओं ने शिकायत दर्ज कराई है। इतनी बड़ी संख्या में शिकायतें इस बात का संकेत हैं कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं थी, बल्कि एक व्यापक समस्या थी जो लंबे समय से चल रही थी। इस पर कार्रवाई करते हुए विभाग ने प्रिंसिपल योगेश पटेल के खिलाफ केस दर्ज करवाया है।
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आरोपी प्रिंसिपल की करतूतें और गुजरात आश्रम कांड (Gujarat ashram scandal)
प्रिंसिपल योगेश पटेल पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जो इस गुजरात आश्रम कांड (Gujarat ashram scandal) को और भी चौंकाने वाला बनाते हैं। छात्राओं ने बताया कि वह दवा देने के बहाने उनके साथ छेड़छाड़ करता था। उसने छात्राओं के कई छोटे-छोटे समूह बना रखे थे, जिनसे वह आश्रम के अलग-अलग काम करवाता था। इस दौरान वह किसी न किसी बहाने उनके शरीर के निजी हिस्सों को छूता था। आश्रम में पंखे और कूलर की सुविधा नहीं थी, जो छात्राओं के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा करता था। गर्मी के मौसम में जब छात्राएं कम कपड़ों में सोती थीं, तो आरोपी खिड़की से टॉर्च की रोशनी में उन्हें देखता था। यह व्यवहार न केवल अनैतिक है, बल्कि आपराधिक भी है। जब इसकी शिकायत हाउस मदर से की गई, तो प्रिंसिपल ने कहा कि वह छात्राओं की सुरक्षा के लिए ऐसा करता है। यह बहाना उसके कृत्यों को और भी संदिग्ध बनाता है।
गुजरात आश्रम कांड (Gujarat ashram scandal) की जांच और प्रक्रिया
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने सभी 35 पीड़ित छात्राओं का मेडिकल टेस्ट करवाने का फैसला लिया है। यह कदम इस गुजरात आश्रम कांड (Gujarat ashram scandal) की गहराई को समझने में मदद करेगा। अब तक 6 छात्राओं का टेस्ट हो चुका है, जिसमें एक 13 साल की छात्रा के शरीर पर चोट के निशान मिले हैं। यह खोज मामले को और भी गंभीर बना देती है। महिला विभाग की टीम इस छात्रा से पूछताछ कर रही है, जो आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। आदिवासी विभाग की एक अधिकारी ने एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया। उन्होंने बताया कि छात्राएं अपने परिवार से दूर रहती हैं, इसलिए अब तक किसी ने भी आरोपी के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं की थी। यह बात इस तरह के संस्थानों में छात्रों की कमजोर स्थिति को दर्शाती है। लेकिन अब टीम ने उनमें विश्वास जगाया है, जिससे वे अपनी परेशानियों के बारे में खुलकर बता रही हैं। यह बदलाव जांच के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
आश्रम की स्थिति और आदिवासी छात्रा सुरक्षा (tribal student safety)
नरेना आश्रम स्कूल में कुल 177 विद्यार्थी हैं, जिनमें 80 लड़कियां हैं। इतनी बड़ी संख्या में छात्राओं की मौजूदगी आदिवासी छात्रा सुरक्षा (tribal student safety) के मुद्दे को और भी महत्वपूर्ण बना देती है। आश्रम में छात्राओं के रहने की जगह के अंदर नहाने की कोई व्यवस्था नहीं थी, जो उनकी निजता और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा था। इसके लिए बाहर एक अस्थायी ब्लॉक बनाया गया था, जो आरोपी के कमरे के पास था। यह व्यवस्था छात्राओं को और भी असुरक्षित बनाती थी। योगेश पटेल 2003 में यहां शिक्षक के रूप में नियुक्त हुआ था और 2013 में उसे प्रिंसिपल बनाया गया। वह आश्रम में रहने वाला अकेला स्टाफ सदस्य था, जबकि उसका परिवार नवसारी में रहता था। यह स्थिति उसे छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार करने का अवसर देती थी। इस तरह की व्यवस्था आदिवासी छात्रा सुरक्षा (tribal student safety) के लिए एक बड़ा खतरा है और इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
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