Independence Day: समाज की बंधनों को तोड़कर, देश की आजादी के लिए समर्पित हुईं महिलाएं

15 अगस्त, 2024 को भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) समारोह मना रहा है। ब्रिटिश हुकूमत की 200 साल की गुलामी से देश को आजादी दिलाने के लिए न जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया, जेल गए और सालों तक संघर्ष करते रहे। देश की स्‍वतंत्रता की लड़ाई में कई बहादुर महिला भी डटकर मैदान में खड़ी रही़ थी। इसके लिए उन्हें कई सामाजिक बेड़ियों को तोड़ना पड़ा, यहां तक कि उन्‍हें समाज से बहिष्कृत तक होना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यहां हम 10 ऐसी ही संघर्षी और प्रेरणादायक महिलाओं के बारे में बताएंगे।

रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai)

‘खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी थी’… जी हां, ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में सबसे पहले रानी लक्ष्मीबाई का नाम जहन में आता है। रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सेना का सामना अपनी आखिरी सांस तक किया था। इन्‍होंने कभी भी अंग्रेजों की हुकूमत स्‍वीकार्य नहीं की और जीवन लड़ते हुए गुजार दिया। 

सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu)

भारत की कोकिला के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू देश की प्रमुख महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन के दौरान इन्‍होंने खूब संघर्ष किया और कई बार जेल भी गई। सरोजिनी नायडू ने आजादी की लड़ाई के साथ देश की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी खूब काम किया था। 

भीकाजी कामा (Bhikaji Cama)

भीकाजी कामा देश की अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थी़। इन्‍हें मैडम कामा के नाम से भी जाना जाता था। भीकाजी कामा ने ही विदेशी धरती पर सबसे पहले भारतीय तिरंगा फहराया था। भारत से दूर रहकर भी भीकाजी कामा स्वतंत्रता आंदोलनों में बढ-चढ़कर हिस्सा लेती रहीं। 

बेगम हजरत महल (Begum Hazrat Mahal)

बेगम हजरत महल ने साल 1857 की लड़ाई के दौरान विद्रोह की अलख जगाने के साथ ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया था। बेगम हजरत महल जीवन भर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष करने के साथ देश की आजादी के लिए काम करती रही़। 

नीरा आर्या (Neera Arya)

नीरा आर्या ने देश की आजादी के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया था। दरअसल, नीरा आर्या ने एक बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अपने पति तक की हत्या कर दी थी। इसके लिए नीरा आर्या को अंडमान और निकोबार जेल में कारावास की सजा दी गई थी। नीरा सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना की महिला जासूस थी।

कस्तूरबा गांधी (Kasturba Gandhi)

कस्तूरबा गांधी भी महात्मा गांधी के साथ मिलकर आजादी के लिए अंग्रेजों से खूब लोहा लिया। इसके लिए उन्हें कई बार जेल तक जाना पड़ा, लेकिन वे आजादी की लड़ाई अंत तक लड़ती रही़। स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही कस्तूरबा गांधी नागरिक अधिकारों के लिए भी लड़ती थी़। 

कमला नेहरू (Kamala Nehru)

पंडित जवाहरलाल नेहरू की तरह उनकी पत्नी कमला नेहरू भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में काफी सक्रिय रही़ थी। उन्होंने असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और सामाजिक सुधारों और महिला सम्‍मान, शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए काफी प्रयास किये। 

अरुणा आसफ अली (Aruna Asaf Ali)

अरुणा आसफ अली एक असाधारण स्वतंत्रता सेनानी थी। इन्‍हें साल 1932 के सविनय अवज्ञा आंदोलन और साल 1942 की भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए जाना जाता है। इनके लिए इन्‍हें कई माह तक जेल में भी रहना पड़ा था। काकोरी रेलवे धमाकों में भी अरुणा आसफ अली ने पूरा सहयोग किया था। 

उषा मेहता (Usha mehta)

उषा मेहता भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाली सबसे कम उम्र की महीला थी। जब वह केवल आठ साल की थीं, तब उन्‍होंने गांधी जी के साथ ‘साइमन वापस जाओ’ विरोध में भाग लिया था। उषा मेहता ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था और कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ रेडियो चैनल चलाने के आरोप में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। 

विजया लक्ष्मी पंडित (Vijaya lakshmi pandit) 

जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मीं पंडित ने भी आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्‍सा लिया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन में अहम भूमिका निभाने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। उन्‍होंने देश की आजादी तक संघर्ष किया। विजया लक्ष्मी पंडित भारत की पहली महिला मंत्री थीं। 

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