मुंबई अंडरवर्ल्ड इतिहास (Mumbai underworld history) में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। 1950 के दशक से लेकर 1990 के दशक तक, मुंबई अंडरवर्ल्ड ने शहर पर अपना डर का साया बनाए रखा। हाजी मस्तान, करीम लाला और दाऊद इब्राहिम जैसे नाम आम लोगों के जुबान पर थे। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि शहर में दो दशक तक शांति रही।
हाजी मस्तान: मुंबई का पहला बड़ा डॉन
हाजी मस्तान को मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला बड़ा डॉन माना जाता है। वह तमिलनाडु से आया था और मुंबई में एक साधारण मजदूर के रूप में अपना जीवन शुरू किया। धीरे-धीरे उसने स्मगलिंग में हाथ डाला और जल्द ही शहर का सबसे बड़ा तस्कर बन गया। हाजी मस्तान ने न सिर्फ अपराध की दुनिया में नाम कमाया, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी पैठ बनाई।
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करीम लाला: पठान गैंग का सरदार
करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। वह अफगानिस्तान से आया था और मुंबई में पठान गैंग का नेता बना। करीम लाला ने जुए के अड्डों, हवाला कारोबार और रंगदारी वसूली में अपना साम्राज्य खड़ा किया। उसका प्रभाव इतना ज्यादा था कि कई फिल्मी हस्तियां भी उससे डरती थीं।
दाऊद इब्राहिम: डी कंपनी का बॉस
दाऊद इब्राहिम ने 1970 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा और जल्द ही मुंबई का सबसे खतरनाक डॉन बन गया। उसने अपने गैंग को ‘डी कंपनी’ का नाम दिया, जो हफ्ता वसूली, रंगदारी, तस्करी और प्रॉपर्टी के धंधे में शामिल था। दाऊद ने बॉलीवुड पर भी अपना प्रभाव जमाया और कई फिल्मों के फाइनेंसिंग में हाथ डाला।
दो दशक की शांति और नए गैंग्स की वापसी
1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद, पुलिस ने अंडरवर्ल्ड पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इसके चलते दाऊद इब्राहिम दुबई भाग गया और अन्य गैंग्स की गतिविधियां कम हो गईं। लगभग दो दशक तक मुंबई में अपेक्षाकृत शांति रही। लेकिन अब मुंबई गैंग्स की बदलती तस्वीर देखने को मिल रही है।
लॉरेंस बिश्नोई गैंग: नया खतरा
हाल ही में मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या ने एक बार फिर शहर को दहला दिया है। इस हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है। यह गैंग मूल रूप से उत्तर भारत में सक्रिय था, लेकिन अब इसने मुंबई में भी अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है। लॉरेंस बिश्नोई जेल में बंद है, लेकिन वह वहां से भी अपने गैंग को संचालित कर रहा है। उसके गुर्गे गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा कनाडा और अमेरिका जैसे देशों से गैंग की गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ये लोग आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके पुलिस की पकड़ से बचते हैं।
नए गैंग्स की कार्यप्रणाली
आज के गैंग्स पुराने डॉन्स से अलग तरीके से काम करते हैं। वे सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। वारदात के लिए अक्सर नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें आसानी से बहकाया जा सकता है। इसके अलावा, ये गैंग्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय हैं और विदेशों से अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं।
पुलिस और प्रशासन के लिए नई चुनौतियां
मुंबई गैंग्स की बदलती तस्वीर ने पुलिस और प्रशासन के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। तकनीक के इस्तेमाल से इन गैंग्स को पकड़ना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा, अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले नेटवर्क के कारण इनकी गतिविधियों पर नजर रखना भी कठिन हो गया है। मुंबई पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां इन नए गैंग्स से निपटने के लिए नई रणनीतियां बना रही हैं। साइबर सेल को मजबूत किया जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाया जा रहा है। लेकिन यह एक लंबी लड़ाई है, जिसमें कानून व्यवस्था को लगातार चौकस रहना होगा।
पुराने डॉन्स की जगह नए गैंग्स ने ले ली है
मुंबई का अंडरवर्ल्ड (Mumbai Underworld) अब एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है। पुराने डॉन्स की जगह नए गैंग्स ने ले ली है, जो आधुनिक तकनीक और वैश्विक नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में मुंबई की गलियों में क्या होता है और कानून व्यवस्था इन नई चुनौतियों से कैसे निपटती है।
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