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Crisis in Bangladesh: बांग्‍लादेश की आपदा में अवसर की तलाश में विपक्ष, सरकार को दे डाली बड़ी चेतावनी

बांग्लादेश (Bangladesh) में 15 साल से शासन कर रही शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भागना पड़ा है। सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के विरोध में शुरू हुआ छात्र आंदोलन जब अपने चरम पर पहुंचा तो ढाका की सड़कें खून से लाल हो गई। आगजनी, हिंसा और सैकड़ों लोगों की मौत से दहल रहा बांग्‍लादेश (Bangladesh) तब शांत हुआ जब शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के साथ ही देश छोड़ दिया। शेख हसीना ने अब भारत में शरण ले रखी है। पड़ोसी देश में फैली राजनीतिक अफरा-तफरी (Crisis in Bangladesh) पर अब भारत में भी राजनीतिक बयानबाजी सामने आने लगी है। बांग्लादेश (Bangladesh) की इस आपदा में विपक्षी दलों के नेता अपने लिए भारत में अवसर की तलाश करते हुए केंद्र सरकार को नसीहत देने में जुट गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत और कांग्रेस नेता उदित राज ने तो भारत की विदेशी नीति को विफल बताते हुए इससे भारत को सबक लेने की सीख तक दे डाली। तानाशाही करने वालों को जनता माफ नहीं करती-संजय राउत शिवसेना नेता संजय राउत ने एक प्रेसवर्ता में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि, “बांग्लादेश में भी भारत जैसी स्थिति पैदा हो गई थी, वहां पर विपक्ष की आवाज दबाई गई, चुनाव में घोटाले हुए, विरोध करने वालों को जेल में डाला गया, कई लोगों की हत्‍या हुई, संसद में अवैध कानून पारित हुए, लोगों पर महंगाई थोपी गई। शेख हसीना ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों की आड़ में बांग्‍लादेश को तानाशाही तरीके से चलाया, जिसके कारण वो प्रधामंत्री के रूप में विफल रहीं। बांग्लादेश की इस घटना से भारत के शासकों को भी सबक लेना चाहिए। क्‍योंकि लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही करने वालों को जनता माफ नहीं करती है।” मोदी सरकार की विदेश नीति रही विफल-उदित राज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने भी बांग्लादेश के संकट पर भाजपा को घेरने की कोशिश की। उदित राज ने कहा, “ये मामला सिर्फ बांग्लादेश का नहीं, बल्कि अब पूरे विश्व का मामला बन चुका है। भाजपा के नेता कह रहे हैं कि बांग्‍लादेश में हिंदू असुरक्षित है। इस घटना के पीछे आईएसआई और चीन का हाथ है। भाजपा के नेता जो कह रहे हैं, अगर उसमें जरा भी सच्‍चाई है तो ये हमारी विदेशी नीति और इंटेलिजेंस की फेलियर है।” 

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Maharashtra Assembly Election

Maharashtra Assembly Election: राज ठाकरे ने उतारे 2 उम्‍मीदवार, भाजपा और शिवसेना को दी सीधी चुनौती 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) के तारीखों की घोषणा होने में अभी लंबा समय है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी मैदान में अपने उम्‍मीदवार उतारने अभी से शुरू कर दिए हैं। इसकी शुरुआत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने मुंबई से कर दी है। मनसे ने मुंबई के शिवड़ी विधानसभा और पंढरपुर-मंगलवेढा विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। शिवड़ी विधानसभा क्षेत्र से मनसे ने जहां बाला नंदगांवकर को टिकट दिया है, वहीं पंढरपुर-मंगलवेढा विधानसभा सीट से दिलीप धोत्रे को चुनावी मैदान में उतारा है।  महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीट पर इस साल अक्टूबर माह में चुनाव होने की संभावना है। चुनाव की बिगुल बजने में अभी दो से तीन महीने का वक्‍त है, लेकिन उससे पहले ही मनसे ने अपने दो उम्मीदवारों की मैदान में उतार दूसरी राजनीतिक पार्टियों पर दबाव डाल दिया है। शिवड़ी विधानसभा का टिकट पाने वाले बाला नंदगांवकर यहां से साल 2009 में भी विधायक रह चुके हैं। वर्तमान में शिवड़ी विधानसभा सीट पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी का कब्जा है।  भाजपा के खिलाफ फूंका चुनावी बिगुल  दूसरी तरफ, पंढरपुर-मंगलवेढा विधानसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्‍जा है। राज ठाकरे ने इस सीट पर अपने उम्‍मीदवार को उतार भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का बिगुल भी बजा दिया है। इसके साथ ही अब चुनाव में महागठबंधन का विकल्प भी खत्म होता नजर आ रहा है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में मुंबई के अंदर तिहरा मुकाबला देखने को मिल सकता है।  आदित्य ठाकरे के खिलाफ भी उतरेगा मनसे का उम्‍मीदवार  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मनसे जल्‍द ही वर्ली विधानसभा क्षेत्र से आदित्य ठाकरे के खिलाफ भी अपने उम्‍मीदवार को चुनावी मैदान में उतार सकती है। सोलापुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज ठाकरे ने कहा कि वर्ली से किस पार्टी का कौन उम्‍मीदवार खड़ा हो रहा है, इससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। हमने अपना उम्मीदवार तय कर लिया है, जल्द ही उसके नाम की घोषणा कर दी जाएगी।  बता दें कि महाराष्‍ट्र भ्रमण पर निकले राज ठाकरे ने इस बार विधानसभा में 200 से 225 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतारने का ऐलान किया है। इसीलिए राज ठाकरे राज्‍य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने में जुटे हैं। 

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India and Sri Lanka

India and Sri Lanka: क्या तीसरे मैच में टीम इंडिया दिखा पाएगी अपना दमखम?

 भारत और श्रीलंका (India and Sri lanka) के बीच हो रही तीन मैचों की वनडे सीरीज में अब तक हुए दो मैचों में टीम इंडिया का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। रोहित सेना के अब तक के प्रदर्शन से भारतीय फैंस खासा नाराज हैं। 4 अगस्त को भारत और श्रीलंका (India and Sri lanka) के बीच हुए रोचक मुकाबले में 32 रनों से हारने के बाद भारत 0-01 से पीछे है। पिछले दो मैचों में जिस तरह से रोहित की सेना ने प्रदर्शन किया है, उसे देखकर तो यही लग रहा है कि शायद टीम इंडिया सीरीज से ही हाथ न धो बैठे। निश्चित ही पिछले मैच में मिली करारी शिकस्त के बाद भारतीय टीम अब किसी भी तरह का जोखिम लेने से बचना चाहेगी।  India and Sri Lanka बराबरी करने के इरादे से उतरेगी टीम इंडिया  बेशक, श्रीलंकाई टीम का पलड़ा भारी है। भले ही श्रीलंकन टीम का जोश सातवें आसमान पर है, लेकिन टीम इंडिया भी अपना दमखम दिखाने से पीछे नहीं हटेगी। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि 7 अगस्त को कोलोंबो में होने वाले तीसरे मैच में टीम इंडिया सीरीज बराबरी करने के इरादे से उतरेगी। क्रिकेट के जानकारों की माने  तो पहले दो मैचों की तरह इस मैच में भी टॉस की बड़ी भूमिका होगी। गौरतलब हो कि पहले दो मैचों में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और भारतीय टीम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। न सिर्फ श्रीलंकाई बल्लेबाजों बल्कि गेंदबाजों ने भी अपने हुनर का जौहर दिखाया और टीम को चारों खाने चित्त कर दिया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीरीज पर कब्जा जमाने के लिए टीम इंडिया किस तरह की रणनीति बनती है?  फैंस को है मैच का बड़ी बेसब्री से इंतजार  कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय प्रशंसक बड़ी उम्मीद के साथ 7 अगस्त के दिन होने वाले मैच की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह महत्वपूर्ण होगा कि तीसरे और अंतिम मैच में टीम मैच जीत कर बराबरी करती है या फिर सीरीज से हाथ धोती है। 

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Monday fast

महादेव के 12 Jyotirlingas: यहां है भगवान भोलेनाथ का बसेरा

भगवान शिव के 12 Jyotirlingas उनकी महिमा और शक्ति का प्रतीक हैं। ये पवित्र स्थल भारत भर में स्थित हैं और श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष और शांति का मार्ग प्रदान करते हैं। भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय धर्म और संस्कृति में एक प्रमुख स्थान रखते हैं। शिव की पूजा-अर्चना करने वालों के लिए 12 Jyotirlingasविशेष महत्त्व रखते हैं। ये 12 Jyotirlingas विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं और प्रत्येक का अपना विशेष धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व है। आइए, जानते हैं इन 12 Jyotirlingasके बारे में: ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्त्व ज्योतिर्लिंगों की पूजा और दर्शन से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मान्यता है कि ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने से व्यक्ति को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। ज्योतिर्लिंगों की यात्रा और दर्शन हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक कृत्य माना जाता है। हर ज्योतिर्लिंग का अपना एक विशिष्ट महत्त्व और पौराणिक कथा है, जो उन्हें विशेष बनाती है। इन 12 Jyotirlingas का दर्शन करना किसी भी श्रद्धालु के जीवन में महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अनुभव माना जाता है। 1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात): सोमनाथ का मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। यह भारत का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। कहा जाता है कि इसे स्वयं चंद्रदेव ने स्थापित किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव ने राजा दक्ष के श्राप से मुक्ति पाने के लिए यहां तपस्या की थी। सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह कई बार ध्वस्त होकर पुनर्निर्मित हुआ है। 2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश):  यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है। इसे दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब कार्तिकेय नाराज होकर दक्षिण की ओर चले गए थे तब शिव और पार्वती ने उन्हें मनाने के लिए यहां अपना निवास बनाया था। 3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश): उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ की विशेष महाकाल आरती विश्व प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग का दर्शन अत्यंत फलदायक माना जाता है। यहां की आरती और भस्म आरती की विशेषता भक्तों को यहां खींच लाती है। 4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश): यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यहाँ भगवान शिव के ओंकार रूप की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें असुरों ने देवताओं को हरा दिया। पराजित देवताओं ने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की कि वे आकर उनकी रक्षा करें। भगवान शिव ने उनकी विनती स्वीकार की और वहां आकर राक्षसों का संहार किया। इसी घटना के फलस्वरूप वहां ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई। 5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड): केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय की गोद में स्थित है। यह मंदिर अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ पहुँचना एक कठिन यात्रा होती है, लेकिन भक्तों की आस्था उन्हें यहाँ खींच लाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी। 6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र): यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। यहाँ के मंदिर का वास्तुशिल्प अद्वितीय है। यहीं से भीमा नदी का उद्गम होता है। कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था और इस स्थान का नाम भीमाशंकर पड़ा। 7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश): वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का अपना विशेष महत्त्व है। यह स्थान मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है। 8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र): नासिक के पास स्थित यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के उद्गम स्थान के निकट है। यहाँ भगवान शिव के त्र्यंबक रूप की पूजा होती है। इस मंदिर का उल्लेख शक्तिशाली मृत्युंजय मंत्र में भी मिलता है, जो अमरता और दीर्घायु प्रदान करता है। यहां के ज्योतिर्लिंग की विशेष आकर्षक विशेषता उसके तीन मुख हैं, जिन्हें भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रुद्र के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। 9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड): देवघर में स्थित यह ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध है। इसे कामना लिंग भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। यह मंदिर झारखंड राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में स्थित है और यहाँ शिवरात्रि के समय विशेष मेला लगता है। 10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात): द्वारका के निकट स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना विशेष महत्त्व है। यह मंदिर समुद्र तट पर स्थित है और यहाँ भगवान शिव के नागेश्वर रूप की पूजा होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह स्थान दारुकावन में स्थित है और यहाँ नागों के अधिपति नागेश्वर की पूजा होती है। 11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु): यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। यह मंदिर रामायण काल से संबंधित है और यहाँ भगवान राम द्वारा स्थापित शिवलिंग की पूजा होती है। यहाँ की पूजा-अर्चना से भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की कृपा प्राप्त होती है। 12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र): यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। इसे घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहाँ शिवभक्त घुश्मा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया और यहाँ स्थापित हो गए। इन 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान भोलेनाथ की कृपा से हर भक्त का जीवन सुख-समृद्धि और शांति से भर जाता है। इसलिए, प्रत्येक शिवभक्त के जीवन में इन ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्त्व होता है। 

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Mpox

हेल्थ इमरजेंसी Mpox के क्या हैं कारण जानिए कैसे करें इस रोग से बचाव

एमपॉक्स (Mpox) को मंकीपॉक्स (Monkeypox) भी कहा जाता है। एमपॉक्स (Mpox) का एक घातक वेरिएंट केन्या और अन्य अफ्रीकन देशों में तेजी से फैल रहा है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) ने इसे लोगों के लिए एक बड़ा खतरा माना है और इसे इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी माना जा रहा है। पिछले साल के सितम्बर माह से इस रोग के मामलों में भरी बढ़ोतरी पायी गयी है। यह एक दुर्लभ रोग है, जिसका कोई सिद्ध उपचार नहीं है। कुछ लोगों में यह बीमारी गंभीर हो सकती है या जटिलताएं पैदा कर सकती हैं और यहां तक की यह मृत्यु का कारण भी बन सकती है। आइए जानें इस बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में। एमपॉक्स (Mpox) से बचाव के बारे में भी जानें।  एमपॉक्स (Mpox) क्या है?  एमपॉक्स (Mpox) या मंकीपॉक्स (Monkeypox) एक वायरस के कारण होने वाला रोग है, जिसकी वजह से रोगी को रैशज और फ्लू जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है। इसके साथ ही संक्रमित जानवर भी इसे फैला सकते हैं। एमपॉक्स (Mpox) के दो प्रकार हैं, जिन्हें क्लैड I (Clade I) और क्लैड II (Clade II) के नाम से जाना जाता है।  एमपॉक्स के लक्षण रोगी में एमपॉक्स के लक्षण कई दिनों या हफ्तों के बाद नजर आते हैं। इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं: इस दौरान होने वाले रैशज की शुरुआत लाल रंग के फोड़ों से होती है, जो दर्दभरे हो सकते हैं। यह फोड़े थोड़े दिनों में पस से भर सकते हैं और बड़े हो सकते हैं। इसके साथ ही रोगी मुंह, चेहरे, हाथ, पैर, गुदा आदि पर भी घावों का अनुभव कर सकते हैं। हालांकि, इससे पीड़ित लोगों में इन लक्षणों के अलावा कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं या ऐसा भी हो सकता है कि रोगी में कोई भी लक्षण नजर न आएं। लेकिन, अगर किसी व्यक्ति में इंफेक्शन का कोई भी लक्षण दिखे, तो उसे डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। एमपॉक्स से बचाव इस बीमारी के उपचार के लिए अभी कोई भी स्वीकृत एंटीवायरल ट्रीटमेंट (Antiviral Treatment) मौजूद नहीं है। डॉक्टर रोगी के लक्षणों के अनुसार उसका उपचार कर सकते हैं। लेकिन, इस रोग से बचाव के कुछ तरीके हैं, जो इस प्रकार हैं:  यहां दी गई जानकारी रिसर्च के आधार पर दी गई है। लेकिन अगर आप किसी भी शारीरिक परेशानी की समस्या से परेशान हैं, तो अपने हेल्थ एक्सपर्ट से ज़रूर सलाह लें।

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Healthy juice in monsoon

Healthy juice in monsoon : बारिश के मौसम में यह जूस बढ़ाए इम्युनिटी और रखे आपको हेल्दी

गर्मी के मौसम में हम अक्सर बार-बार पानी पीते हैं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मानसून में भी पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन हेल्दी रहने के लिए बहुत जरूरी है? इसलिए, अगर आप भी मानसून में पानी कम पीते हैं, तो सावधान हो जाएं। इस मौसम में तरल पदार्थों के सेवन से शरीर हाइड्रेट रहता है और मेटाबोलिज्म भी बूस्ट होता है। खुद को हेल्दी और कई रोगों से सुरक्षित रखते हुए बारिश का मजा लेने का सबसे अच्छा तरीका है, अपनी इम्युनिटी को बूस्ट करना। बारिश के मौसम में सेहतमंद रहने के लिए कुछ हेल्दी जूस आपके काम आ सकते हैं। जानिए, कौन से हैं मानसून में हेल्दी जूस (Healthy juice in monsoon), जिन्हें आपको अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए? जामुन का जूस जामुन को डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहतरीन माना जाता है, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा इसमें न्यूट्रिएंट्स, आयरन, पोटाशियम, विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होते हैं। बरसात के मौसम में  जामुन आसानी से मिल जाते हैं। इसलिए, आप मानसून में हेल्दी जूस (Healthy juice in monsoon) को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। विधि: इस जूस को बनाना बहुत आसान है। जामुन की गुठली निकाल लें। एक मिक्सी या जूसर में जामुन, शहद, काली मिर्च, नमक, नीमू का जूस और पानी को डालकर ग्राइंड कर लें। आपका जूस तैयार है। इन सब चीजों की मात्रा आप अपनी इच्छा और स्वाद अनुसार भी ले सकते हैं।   चुकंदर का जूस जब बात हेल्थ की आती है, तो चुकंदर यानि बीटरूट का नाम सबसे पहले लिया जाता है। चुकंदर में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) होते हैं, जो न सिर्फ शरीर को हाइड्रेट रखते हैं बल्कि एनर्जी लेवल को भी बढ़ाते हैं। यही नहीं, स्किन को भी चमकदार बनाते हैं। इसके साथ ही इम्यून सिस्टम को सही रखने, आंखों और पाचन के लिए भी यह फायदेमंद है। मानसून में हेल्दी जूस (Healthy juice in monsoon) में चुकंदर के रस को शामिल करना न भूलें। विधि: चुकंदर के जूस को बनाने के लिए आपको केवल चुकंदर, नमक और काली मिर्च को जूसर में डालकर मिक्स करना है। आपका जूस तैयार है। अनार का जूस मानसून में हेल्दी जूस में आप इसे भी शामिल कर सकते हैं। अनार में इम्युनिटी को बढ़ाने वाले न्यूट्रिएंट्स जैसे विटामिन इ और पॉलीफेनोल्स (Polyphenols) पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इसके साथ ही इनमें एंटीऑक्सीडेंट कंटेंट भी होते हैं, जो मानसून में बड़े फायदेमंद हैं। विधि: इस जूस को बनाना भी आसान है। जूसर में अनार के दानों को डालकर  जूस बना लें। इसमें आप अपनी इच्छानुसार काली मिर्च और नमक मिला सकते हैं। यहां दी गई जानकारी रिसर्च के आधार पर दी गई है। लेकिन अगर आप किसी भी शारीरिक परेशानी की समस्या से परेशान हैं, तो अपने हेल्थ एक्सपर्ट से ज़रूर सलाह लें।

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Raksha bandhan

Raksha Bandhan: भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार है रक्षाबंधन

Raksha Bandhan रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के आपसी स्नेह का प्रतीक होता है। यह त्योहार पारंपरिक रीति-रिवाजों और आधुनिक तरीकों के साथ मनाया जाता है, जो रिश्तों की मिठास को और भी बढ़ाता है। रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है। भारत का यह एक अत्यंत प्रिय और विशेष त्योहार है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महान संयोग बन रहा है। रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और स्नेह को प्रदर्शित करता है और इसके माध्यम से भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करते हैं। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 2024 पंचांग के अनुसार, इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 1:30 बजे से रात 9:07 बजे तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। त्योहार का महत्व Raksha Bandhan  का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत गहरा है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच के रिश्ते को सम्मानित करता है और एक-दूसरे की रक्षा का वादा करता है। यह दिन विशेष रूप से बहनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। वो इस दिन अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इसके बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उसकी रक्षा का वादा करते हैं। इतिहास और परंपरा Raksha Bandhan की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इसके ऐतिहासिक संदर्भ भी बहुत रोचक हैं। भारतीय मिथकों और धार्मिक ग्रंथों में कई कथाएं हैं जो इस त्योहार से जुड़ी हुई हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने सखी द्रौपदी की मदद की थी, तो द्रौपदी ने अपनी राखी से भगवान कृष्ण की कलाई को बांध दिया था। इसके बदले में, भगवान कृष्ण ने वचन दिया था कि वह उसे किसी भी संकट से बाहर निकालेंगे। इसी प्रकार की कई कहानियाँ इस त्योहार के महत्व को दर्शाती हैं। भद्राकाल की कथा Raksha Bandhan के त्योहार पर भद्राकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्रा में राखी न बांधने के पीछे एक प्राचीन मान्यता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लंकापति राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। इसलिए माना जाता है कि भद्राकाल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसी कारण, भद्राकाल में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं। इसके अलावा, एक और मान्यता यह भी है कि भद्राकाल के दौरान भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं, इसलिए इस घड़ी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। समाज में  Raksha Bandhan आज के समय में  Raksha Bandhan का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते को ही नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को भी समर्पित है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने के साथ-साथ परिवार की एकता और प्रेम को भी बढ़ावा देता है। रक्षाबंधन के दिन परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं, साथ में पूजा करते हैं, मिठाइयाँ खाते हैं और एक-दूसरे को उपहार देते हैं। इस दिन की खुशियाँ समाज में एकता और सहयोग का संदेश देती हैं। वर्तमान समय में रक्षाबंधन की परंपराओं में कुछ बदलाव आए हैं। शहरों में बहनें अपने भाइयों से दूर रहती हैं और यह त्योहार अक्सर वर्चुअल (virtual) माध्यम से मनाया जाता है। सोशल मीडिया (social media) और ऑनलाइन शॉपिंग (online shopping) की मदद से बहनें अपने भाइयों के लिए राखियाँ और उपहार भेजती हैं। जमाना भले मॉर्डन ही गया हो लेकिन इसके बावजूद, इस त्योहार की भावना और महत्व में कोई कमी नहीं आई है। Raksha Bandhan का सामाजिक संदेश Raksha Bandhan केवल व्यक्तिगत रिश्ते का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज में एकजुटता और सहयोग का भी संदेश देता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आना चाहिए। भाई-बहन का रिश्ता एक आदर्श सामाजिक रिश्ता है, जो स्नेह, समर्थन और एकता पर आधारित है।

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Waqf Act

Waqf Act क्या है? वक्फ बोर्ड कितनी अमीर? मोदी सरकार क्या ला रही Waqf Act में 40 संशोधन?

Waqf Act में मोदी सरकार बड़ा संशोधन करने पर विचार कर रही है। बीते दिनों कैबिनेट ने Waqf Act में 40 संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इसे संसद में रखा जाएगा, जहां पर संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों पर लगाम लग जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इसके बाद वक्‍फ किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन आधिपत्य घोषित नहीं कर सकेगा। आईये जानते हैं कि वक्फ एक्ट क्या है और  वक्फ बोर्ड के पास कितनी जमीन है?  Waqf Act और Waqf Board है? मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के लिए वक्फ एक्ट बनाया गया और साल 1954 में Waqf Board का गठन हुआ था। हालांकि, 1995 में कांग्रेस सरकार ने एक्‍ट में संशोधन कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दी थी। यह एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड किसी जमीन को अपना मानता है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के मालिक की होगी कि वो बताए कि कैसे वह जमीन उसकी है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए सभी राज्य में Waqf Board का गठन किया गया है। यही बोर्ड वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है। अगर आपकी संपत्ति को वक्फ बोर्ड ने अपना बता दिया तो आप उसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकते। इसका फैसला वक्फ बोर्ड ही करेगा। अगर बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आ गया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते हैं।    वक्फ बोर्ड के पास देशभर में इस समय करीब 8 लाख एकड़ भूमि पर मौजूद 8,72,292 से ज्यादा रजिस्टर्ड अचल संपत्तियां मौजूद हैं। वहीं चल संपत्तियों की संख्‍या 16,713 हैं। इन संपत्तियों को विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। वक्फ बोर्ड के पास सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद देश में सबसे ज्‍यादा जमीन मौजूद है। वहीं राज्‍य स्‍तर पर सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति यूपी में है। यहां पर सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2,10,239 संपत्तियां और शिया बोर्ड के पास 15, 386 संपत्तियां मौजूद हैं।

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Jharkhand forest range officer

170 पदों पर बंपर भर्ती  Jharkhand forest range officer, भर्ती में करें आवेदन

झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) ने राज्य के वन विभाग (Forest department) में फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर (forest range officer) के 170 पदों पर भर्ती के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है। इस लेख में हम इस भर्ती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को विस्तार से जानेंगे। भर्ती का सारांश शैक्षणिक योग्यता: कृषि, वानिकी, या संबंधित विषय में स्नातक की डिग्री पात्रता मानदंड चयन प्रक्रिया चयन प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होंगे: आवेदन कैसे करें आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन करते समय उम्मीदवारों को अपना नाम, पता, शैक्षणिक योग्यता, अनुभव आदि की जानकारी सही-सही भरनी होगी। साथ ही, आवेदन शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन करना होगा। महत्वपूर्ण बातें झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) द्वारा आयोजित इस भर्ती के माध्यम से राज्य के युवाओं के पास सरकारी नौकरी पाने का एक सुनहरा अवसर है। जो भी उम्मीदवार इस पद के लिए पात्र हैं, वे अंतिम तिथि से पहले ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखें। नोट: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है। अधिकृत जानकारी के लिए कृपया आधिकारिक नोटिफिकेशन देखें। अतिरिक्त जानकारी:

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Sheikh Hasina

Bangladesh PM Sheikh Hasina ने छोड़ी राजधानी, सेना ने संभाली कमान – भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट!

बांग्लादेश (Bangladesh) में राजनीतिक संकट (Political Crisis) गहरा गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना (PM Sheikh Hasina Resigns) ने इस्तीफा दे दिया है और राजधानी ढाका छोड़ दी है। देशव्यापी हिंसक प्रदर्शनों में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। सेना ने कमान संभाल ली है और अंतरिम सरकार की घोषणा की गई है। भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया गया है। बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल (Political Turmoil) बांग्लादेश में राजनीतिक संकट चरम पर पहुंच गया है। 5 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजधानी ढाका छोड़ दी। देश भर में फैली हिंसा और अराजकता के बीच यह कदम उठाया गया है। शेख हसीना का इस्तीफा (Bangladesh PM Sheikh Hasina Resigns) और पलायन प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एएनआई को बताया कि शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने दोपहर 2:30 बजे एक सैन्य हेलीकॉप्टर से अपनी छोटी बहन शेख रेहाना के साथ ढाका छोड़ दिया। वे अब किसी अज्ञात “सुरक्षित स्थान” पर हैं। प्रधानमंत्री आवास पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है। व्यापक हिंसा और मौतें  पिछले 72 घंटों में, प्रदर्शनकारियों और शेख हसीना (Sheikh Hasina) के समर्थकों के बीच देशव्यापी झड़पों में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ नामक छात्र संगठन के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है। सेना की तैनाती और अंतरिम सरकार राजधानी ढाका सहित पूरे देश में सेना तैनात कर दी गई है। सड़कों से पुलिस को हटा दिया गया है और सेना को स्थिति नियंत्रित करने का आदेश दिया गया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने घोषणा की है कि शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अब एक अंतरिम सरकार देश चलाएगी। भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट बांग्लादेश (Bangladesh) में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए, भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट जारी कर दिया है। बीएसएफ के महानिदेशक भी कोलकाता पहुंच गए हैं और स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं। बांग्लादेश अब एक नाजुक मोड़ पर है। अंतरिम सरकार के सामने कानून व्यवस्था बहाल करने और शांति स्थापित करने की बड़ी चुनौती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस स्थिति पर गहरी नजर रख रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश (Bangladesh) इस राजनीतिक संकट से कैसे उबरता है।

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