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यूपी की तरह अब महाराष्ट्र में भी आएगा ‘Love Jihad Law’! शिवसेना के मंत्री ने कह दी बड़ी बात 

यूपी की योगी सरकार ने लव जिहाद रोकने के लिए विधानसभा में ‘लव जिहाद बिल’ (Love Jihad Law) पास करा लिया है। इस बिल में दोषी को आजीवन कारावास तक की सजा देने का प्रावधान किया गया है। जब से यह बिल पास हुआ है, तभी से पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है। इसी बीच महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता उदय सामंत ने भी इस बिल पर बड़ा बयान दिया है। सामंत ने इस बिल को जरूरी बताते हुए कहा कि, जिस तरह का कानून यूपी सरकार ने बनाया है, उसी तरह का कानून महाराष्ट्र सरकार को भी बनाना चाहिए। इसके साथ ही सामंत ने कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जो भी कानून बनाया जाएगा, शिवसेना उसका पूरा समर्थन करेगी। बता दें कि, उदय सामंत ने इस बिल की मांग ऐसे समय में की है जब विधानसभा चुनाव नजदीक आ चुका है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना मिलकर सरकार चला रहे हैं और गृहमंत्री बीजेपी के नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Deputy CM Devendra Fadnavis) हैं।  यूपी में पास हुए ‘लव जिहाद बिल’ (Love Jihad Law) में क्या है? यूपी की भाजपा सरकार ने प्रदेश में लव जिहाद को रोकने के लिए विधानसभा में ‘लव जिहाद बिल’ (Love Jihad Law)  लेकर आई थी, जो भारी बहुमत से पास हो गया। नए बिल में किए गए प्रावधानों के अनुसार अगर कोई व्‍याक्ति किसी नाबालिग, दिव्यांग, मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति, महिला, अनुसूचित जनजाति का धर्म परिवर्तन कराता है, तो उस दोषी को आजीवन कारावास की सजा देने के साथ एक लाख रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसी तरह, सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर भी दोषी को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माना की सजा हो सकती है। बिल में कहा गया है कि अगर धर्मांतरण में शामिल कोई व्यक्ति किसी विदेशी या अवैध संगठन से धन लेता पाया गया, तो उसे भी 7 साल से लेकर 14 साल तक की कैद के साथ कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा। यूपी की भाजपा सरकार इससे पहले धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2021 लेकर आई थी, उस विधेयक में दोषी को एक से लेकर 10 साल तक की सजा देने का प्रावधान था। उसी विधेयक को संशोधन के जरिए सजा और जुर्माने की दृष्टि से और भी मजबूत बनाया गया है। 

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Anurag Thakur

जाति को लेकर विवाद… संसद से विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव तक, पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस की यह तैयारी

पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री और कांग्रेसी नेता चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिए जाने के बाद एक बड़ा खुलासा हुआ है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर (BJP Sansad Anurag Thakur) का भाषण संसदीय रिकॉर्ड का हिस्‍सा है। इस वजह से कांग्रेस का प्रधानमंत्री मोदी को विशेषाधिकार हनन का नोटिस देना ही आधारहीन है। बता दें कि, भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने केंद्रीय बजट पर उनके भाषण के दौरान संसद में कहा था कि- ‘जिसकी जात का पता नहीं, वो गणना की बात करता है। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर (BJP Sansad Anurag Thakur) के इस बयान पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव सहित कई विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई थी। वहीं इस बयान पर कांग्रेस पार्टी ऐसी उखड़ी कि उसके बाद सांसद चरणजीत सिंह चन्‍नी पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस ले आए।  आखिर क्यों नाराज़ है कांग्रेस? दरअसल, कांग्रेस इस बात पर बिफरी हुई है कि, पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर सांसद अनुराग ठाकुर का भाषण पोस्ट कर दिया। जालंधर से लोकसभा सदस्य चन्नी ने इसके बाद पीएम मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देते हुए दावा किया था कि, प्रधानमंत्री मोदी ने अनुराग ठाकुर के भाषण के जिस वीडियो को अपने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्‍ट किया, उसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी पीएम मोदी ने यह पोस्‍ट कर सदन के विशेषाधिकार का हनन किया।  हालांकि अब इस मामले में नई जानकारी सामने आई है। सरकारी सूत्रों ने मीडिया में दावा किया कि, कांग्रेस के विशेषाधिकार वाले नोटिस का कोई आधार नहीं है। क्‍योंकि अनुराग ठाकुर के भाषण का कुछ हिस्सा जरूर हटाया गया है, लेकिन ठाकुर के जिस बात को लेकर कांग्रेस हंगामा कर रही है, वह कार्यवाही का हिस्सा है। सूत्रों का दावा है कि भाषण का यह अंश लोकसभा की वेबसाइट पर मौजूद है, जहां पर इसे कोई भी देख सकता है।  सूत्रों की दलील है कि कांग्रेस को जिस बात पर सबसे ज्‍यादा आपत्ति थी, जब वही संसदीय रिकॉर्ड में मौजूद है, तो विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने का कोई औचित्‍य ही नहीं थी। यह सब सिर्फ राजनीति के लिए किया जा रहा था। 

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Ransomware Attack

Ransomware Attack का कहर: भारत के बैंकिंग क्षेत्र में मचा हड़कंप, एटीएम और यूपीआई सेवाओं पर गहरा असर

भारत के बैंकिंग सेक्टर में एक बड़ा रैनसमवेयर हमला हुआ है, जिसने लगभग 300 छोटे बैंकों को प्रभावित किया है। इस साइबर हमले से ATM और UPI सेवाएं बाधित हो गई हैं, जिससे लाखों ग्राहकों की रोजमर्रा की बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। भारत के बैंकिंग सेक्टर पर Ransomware Attack भारत के बैंकिंग जगत में एक बड़ा साइबर तूफान (रैनसमवेयर) आया है। इस डिजिटल आंधी ने देश भर में लगभग 300 छोटे बैंकों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस हमले से लाखों ग्राहकों की रोजमर्रा की बैंकिंग गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। आइए इस घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं। अटैक का टारगेट  साइबर अपराधियों ने इस बार C-Edge Technologies नाम की कंपनी को अपना निशाना बनाया। यह कंपनी छोटे बैंकों को तकनीकी सहायता प्रदान करती है। C-Edge Technologies पर हुए इस रैनसमवेयर अटैक ने बैंकिंग सेवाओं की रीढ़ को ही हिला दिया है। हमले का असर  इस हमले का सबसे बड़ा असर ATM और UPI सेवाओं पर पड़ा है। ग्राहक न तो ATM से पैसे निकाल पा रहे हैं और न ही UPI के जरिए पेमेंट कर पा रहे हैं। RTGS जैसे बड़े ऑनलाइन ट्रांजैक्शन भी इस समस्या से अछूते नहीं रहे हैं। कई मामलों में तो पैसा भेजने वाले के खाते से कट गया, लेकिन पाने वाले के खाते में जमा नहीं हुआ। यह स्थिति ग्राहकों के लिए चिंता का विषय बन गई है। प्रभावित बैंकों की संख्या  इस साइबर हमले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने गुजरात के 17 जिला सहकारी बैंकों समेत देश भर के करीब 300 छोटे बैंकों को प्रभावित किया है। हालांकि, ये बैंक देश के कुल बैंकिंग लेनदेन का महज 1% से भी कम हिस्सा हैं, फिर भी लाखों ग्राहकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। समाधान के प्रयास  इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए गए हैं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने बताया है कि C-Edge Technologies के साथ मिलकर सिस्टम को बहाल करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। साथ ही, सुरक्षा की गहन समीक्षा भी की जा रही है। अभी के लिए, प्रभावित बैंकों को मुख्य भुगतान प्रणाली से अलग कर दिया गया है ताकि व्यापक नुकसान से बचा जा सके। वर्तमान स्थिति  अच्छी खबर यह है कि अभी तक किसी बड़े आर्थिक नुकसान की सूचना नहीं है। लेकिन ग्राहकों को अपने पैसे तक पहुंचने में काफी परेशानी हो रही है। बैंक और सरकारी एजेंसियां इस समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने में जुटी हुई हैं। यह घटना हमें याद दिलाती है कि डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। छोटे बैंकों को भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है। ग्राहकों को भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करनी चाहिए।

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Cloves Syndrome Awareness Day

क्या है Cloves Syndrome Awareness Day, जानिए इस डे के इतिहास और महत्व के बारे में

क्लोव्स सिंड्रोम एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो रोगी के शरीर में अंगों और प्रणालियों की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है। हर साल 3 अगस्त को क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस (Cloves Syndrome Awareness Day) के रूप में मनाया जाता है। क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस, दुनिया भर में इस दुर्लभ बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने उद्देश्य से सेलिब्रेट किया जाता है। जानिए इस दिवस के बारे में विस्तार से, लेकिन सबसे पहले इस दुर्लभ रोग के बारे में थोड़ा जान लेते हैं। क्लोव्स सिंड्रोम क्या है?  क्लोव्स सिंड्रोम वो दुर्लभ अनुवांशिक डिसऑर्डर है, जो जन्म से ही शिशुओं को प्रभावित करता है। यह समस्या PIK3CA जीन में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के कारण होती है और कई तरीकों से सामने आ सकती है जैसे हड्डियों, जोड़ों या ब्लड वेसल्स में असमान्यता आदि। इस रोग के पूरे संसार में अभी केवल 200 से भी कम मामले नोटिस किये गए हैं। क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस क्यों मनाया जाता है? हर साल 3 अगस्त को क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस (Cloves Syndrome Awareness Day) के रूप में मनाये जाने का उद्देश्य है क्लोव्स सिंड्रोम के बारे में लोगो को बताना और उन्हें इसको लेकर जागरूक करना, ताकि लोग यह समझ सकें कि यह बीमारी किस तरह से रोगी को प्रभावित करती है। इस दुर्लभ बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना बहुत ज़रूरी है।   क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस का इतिहास क्लोव्स सिंड्रोम में टिश्यूस के अधिक विकास के कारण रोगी में विकृतियां पैदा होती हैं। इस रोग के कारण रोगी के शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, 2010 में क्लोव्स सिंड्रोम कम्युनिटी ने इस दिन को मनाना शुरू किया। इस दिन को मनाने का उद्देश्य इसके लिए अभियान शुरू करना, इससे जुडी चुनौतियों को कम करने के बारे में लोगों को बताना व जागरुकता को बढ़ावा देना और क्लोव्स सिंड्रोम से पीड़ित लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा होना है। क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस का महत्व  क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस कई तरीकों से महत्वपूर्ण है, जैसे इस दिन को सेलिब्रेट करने से लोग इस बीमारी के बारे में अधिक जान पाते हैं। इससे इस रोग का जल्दी निदान और उपचार करने में मदद मिल सकती है। यही नहीं, इससे लोगों में गलतफहमियां कम होती हैं और रोगी के लिए सहानुभूति व सपोर्ट को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही इससे क्लोव्स सिंड्रोम (Cloves Syndrome) से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए समर्पित संगठनों के लिए धन जुटाने की कोशिशों को भी प्रोत्साहन मिलता है। क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस के दिन लोगों को जागरूक करने के लिए वर्कशॉप्स, ऑनलाइन कैंपेन, मीडिया कवरेज, इवेंट्स, शैक्षिक वेबिनार आदि कराये जाते हैं।

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Paris Olympics 2024

Paris Olympics 2024: बैडमिंटन और मुक्केबाजी में चमके सितारे, निशानेबाजी में मिली सफलता

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने दम पर सबका ध्यान खींचा है। पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics) के पांचवें दिन कई खेलों में हमारे एथलीट्स ने शानदार प्रदर्शन किया, जिससे मेडल की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। निशानेबाजी में स्वप्निल कुसाले ने कमाल कर दिया। 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस इवेंट में उन्होंने फाइनल में जगह बनाई। 590 अंक के साथ वे सातवें स्थान पर रहे। अब सभी की नजरें उनके फाइनल परफॉर्मेंस पर टिकी हैं। क्या वे भारत को पहला मेडल दिला पाएंगे? Paris Olympics 2024 में भारतीय खिलाड़ियों का जलवा  बैडमिंटन कोर्ट पर भी भारतीय खिलाड़ियों ने धमाल मचाया। पीवी सिंधु ने अपनी प्रतिद्वंद्वी को मात देकर प्री क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। वहीं लक्ष्य सेन ने बड़ा उलटफेर करते हुए दुनिया के चौथे नंबर के खिलाड़ी को हराया। दोनों खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद है। मुक्केबाजी रिंग में लवलीना बोरगोहेन ने अपना दमखम दिखाया। उन्होंने पहले मुकाबले में शानदार जीत दर्ज की। अब वे क्वार्टर फाइनल में हैं। क्या वे टोक्यो की तरह इस बार भी मेडल जीत पाएंगी? यह देखना दिलचस्प होगा। तीरंदाजी में दीपिका कुमारी ने अपने तीर से निशाना साधा। लगातार दो मैच जीतकर उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। उनकी तीरों की तेजी से भारत को मेडल की उम्मीद है। टेबल टेनिस में श्रीजा अकुला ने अपने जन्मदिन को यादगार बनाया। कड़े मुकाबले में जीत हासिल कर उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। क्या वे इस जीत को आगे बढ़ा पाएंगी? हालांकि कुछ निराशाएं भी रहीं। ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर निशानेबाजी फाइनल से चूक गए। तीरंदाज तरुणदीप रॉय भी आगे नहीं बढ़ पाए। घुड़सवारी में अनुष अग्रवाल फाइनल में जगह नहीं बना सके। लेकिन कुल मिलाकर, भारतीय टीम का प्रदर्शन उत्साहजनक रहा है। कई खेलों में हमारे खिलाड़ी अगले राउंड में पहुंच गए हैं। अब देखना यह है कि क्या वे इस प्रदर्शन को मेडल में बदल पाएंगे? भारतीय खिलाड़ियों से बढ़ी उम्मीदें पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) में अभी कई दिन बाकी हैं। भारतीय खिलाड़ियों से उम्मीदें बढ़ गई हैं। क्या इस बार हम टोक्यो ओलंपिक के सात मेडल के रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे? क्या कोई भारतीय एथलीट गोल्ड मेडल जीत पाएगा? आने वाले दिनों में सभी की नजरें भारतीय खिलाड़ियों पर टिकी रहेंगी। निशानेबाज स्वप्निल, बैडमिंटन स्टार्स सिंधु और लक्ष्य, मुक्केबाज लवलीना, तीरंदाज दीपिका और टेबल टेनिस खिलाड़ी श्रीजा – इन सभी से मेडल की उम्मीद है। पेरिस की धरती पर भारतीय तिरंगा लहराए, इसकी प्रतीक्षा पूरा देश कर रहा है। क्या हमारे खिलाड़ी इस सपने को सच कर पाएंगे? आने वाले दिन इस सवाल का जवाब देंगे। तब तक हम अपने एथलीट्स के साथ खड़े हैं, उनके हौसले को बुलंद कर रहे हैं।

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World Breastfeeding Week

क्यों मनाया जाता है World Breastfeeding Week? जानिए इससे जुड़ी ज़रूरी बातें 

स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग को शिशु के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इसीलिए, शिशु को जन्म के पहले छह महीनों तक केवल माँ का दूध पिलाने की सलाही दी जाती है। हर साल अगस्त का पहला सप्ताह (1 से 7 अगस्त) पूरी दुनिया में ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ यानी ‘वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक’ (World Breastfeeding Week) के रूप में मनाया जाता है। इस वीक को कई अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है। जानिए, क्यों मनाया जाता है यह सप्ताह और पाएं इसके बारे में अन्य जानकारी।  वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग वीक (World Breastfeeding Week) क्यों मनाया जाता है? लोगों को स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए विश्व स्तनपान सप्ताह यानी वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। इस सप्ताह को सेलिब्रेट करने का उद्देश्य शिशु और मां दोनों के स्वास्थ्य के साथ जुड़ा हुआ है। शिशु के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए मां के दूध के फायदों के बारे में लोगों को बताने के साथ ही इस सप्ताह माँ के स्वास्थ्य, बेहतर न्यूट्रिशन, गरीबी में कमी और खाद्य सुरक्षा आदि के बारे में भी उन्हें जागरूक किया जाता है। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक का इतिहास पहला वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक, वर्ल्ड अलायन्स फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (डब्ल्यूएबीए) द्वारा साल 1992 में मनाया गया था। आज भारत समेत लगभग 120 देशों द्वारा इस सप्ताह को सेलिब्रेट किया जाता है। माताओं के सामने आने वाली कठिनाइयों का समाधान करने और स्तनपान के लाभों के बारे में ज्ञान बढ़ाने के लिए इस पूरे सप्ताह कई कार्यक्रम, सेमिनार और वर्कशॉप्स आयोजित की जाती हैं। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2024 की थीम हर साल इस सप्ताह को अलग-अलग थीम के अंतर्गत मनाया जाता है और इस साल इसकी थीम है “अंतर को कम करना: सब के लिए ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट”। यह सप्ताह स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाएगा और यह भी बताया जाएगा कि किस तरह से परिवार, समाज, समुदाय और स्वास्थ्य कार्यकर्ता हर स्तनपान कराने वाली मां का समर्थन कर सकते हैं। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक (World Breastfeeding Week) का महत्व यह सप्ताह लोगों को इस बारे माँ और शिशु दोनों के लिए के महत्व को लेकर जागरूक करने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक यह भी सुनिश्चित करता है कि सरकारें माँ एवं शिशु के स्वास्थ्य पर कार्य करके संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास करें। डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार ब्रेस्टफीडिंग से हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के 820,000 से अधिक बच्चों की जान बच सकती है। डब्ल्यूएचओ (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) जन्म के एक घंटे के अंदर और कम से कम छह महीने का होने तक शिशु को स्तनपान कराने की सलाह देते हैं।

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Kanwar Yatra

सावन माह और कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra): जानिए इसके विभिन्न प्रकार और महत्व

सावन महीना शुरू होते ही कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) का भी आरंभ हो जाता है, जहां भक्त गंगाजल से भरी कांवड़ लेकर शिवालयों (Shiv temple) की ओर बढ़ते हैं। भगवा वस्त्रों में सजे कांवड़िए, गंगातट से कलश में गंगाजल भरकर, उसे अपनी कांवड़ से बांधकर और कंधों पर लटकाकर महादेव के जय-जयकार कर शिवालयों की ओर बढ़ते हैं।   कांवड़ यात्रा की शुरुआत सावन माह के साथ ही होता है और इसका समापन पूर्णिमा के दिन होता है। हर साल लाखों कांवड़िए हरिद्वार आकर गंगाजल भरते हैं और अपने-अपने क्षेत्र के शिवालयों में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्रा के भी कई प्रकार होते हैं। सावन मास में भक्त अलग-अलग प्रकार की कांवड़ लेकर निकलते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा के विभिन्न प्रकार और उनके महत्व के बारे में। चार तरह की होती हैं कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) कांवड़ यात्रा केवल एक या दो प्रकार की नहीं, बल्कि चार प्रकार की होती है। इनमें सामान्य कांवड़ यात्रा, डाक बम कांवड़ यात्रा, खड़ी कांवड़ यात्रा और दांडी कांवड़ यात्रा शामिल हैं। आइए जानते हैं इन कांवड़ यात्राओं का तरीका और महत्व। सामान्य कांवड़ यात्रा सामान्य कांवड़ यात्रा में भक्त भगवा वस्त्र धारण कर कंधे पर कांवड़ उठाए हुए, “बोल बम” के जयकारों के साथ पवित्र नदियों की ओर प्रस्थान करते हैं। वहां से पवित्र जल लाकर वे शिवालयों में अभिषेक करते हैं। इस यात्रा में भक्त रुक-रुक कर विश्राम कर सकते हैं और रास्ते में लगे पंडालों में रात बिता सकते हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करना है।  डाक कांवड़ यात्रा  डाक कांवड़ यात्रा में भक्त पूरी यात्रा को बिना रुके और बिना विश्राम किए पूरा करते हैं। इस यात्रा में समय की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लोग 24 घंटे में अपनी यात्रा पूरी करते हैं, और एक दूसरे को बैटन की तरह कांवड़ सौंपते हैं। यह यात्रा अत्यंत चुनौतीपूर्ण और कठिन होती है, लेकिन भक्तों का उत्साह और भगवान शिव की भक्ति उन्हें शक्ति और संकल्प देती है। खड़ी कांवड़ यात्रा खड़ी कांवड़ यात्रा में भक्त कांवड़ को एक विशेष प्रकार से सजाते हैं। खड़ी कांवड़ यात्रा में भक्तों को लगातार चलते रहना होता है। इस यात्रा में एक कांवड़ को संभालने के लिए दो से तीन भक्त होते हैं। जब कोई एक भक्त थक जाता है, तो दूसरा कांवड़ को उठा लेता है। इस यात्रा की विशेषता यह है कि कांवड़ को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाता। इसी वजह से इसे खड़ी कांवड़ यात्रा कहते हैं।  खड़ी कांवड़ यात्रा को पूर्ण करने के बाद भक्त गंगाजल को शिवलिंग पर अर्पित करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। दांडी कांवड़ यात्रा दांडी कांवड़ यात्रा एक विशेष प्रकार की कांवड़ यात्रा है, जिसमें भक्त दांडी (लकड़ी की छड़ी) का उपयोग करते हुए, गंगाजल को नदी से लेकर मंदिर तक दंड लगाते हुए लेकर पहुंचता है.। इस यात्रा को सभी कांवड़ से बेहद कठिन माना जाता है, इश्के बयजुद भक्तों का उत्साह और श्रद्धा देखने लायक होती है।

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India Hockey Team

भारत की हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में क्वार्टरफाइनल में जगह पक्की की!

पेरिस ओलंपिक्स 2024 में, भारत की हॉकी टीम ने आयरलैंड को 2-0 से हराया और क्वार्टरफाइनल के लिए अपनी जगह पक्की कर ली। हरमनप्रीत सिंह के दो गोलों ने भारत की क्वार्टरफाइनल में एंट्री सुनिश्चित की। हरमनप्रीत सिंह ने मैच में 11वें और 19वें मिनट में दो गोल करके अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। पहला गोल एक पेनल्टी स्ट्रोक था, और दूसरा पेनल्टी कॉर्नर से एक शक्तिशाली ड्रैग-फ्लिक था। ये दो गोल न केवल जीत के लिए महत्वपूर्ण थे, बल्कि हरमनप्रीत की टीम के लिए भी बेहद प्रभावशाली साबित हुए। भारत की शानदार शुरुआत और दूसरे हाफ की कमी भारत ने खेल की शुरुआत में ही आयरलैंड की रक्षा को दबाव में डालते हुए कई शॉट्स लगाए। पहले हाफ में भारत का दबदबा था, लेकिन दूसरे हाफ में प्रदर्शन थोड़ी कमी दिखी। टीम ने गेंद पर नियंत्रण खो दिया और आयरलैंड के पेनल्टी कॉर्नर का सामना किया, लेकिन डिफेंस ने मजबूती से काम किया। आयरलैंड ने 10 पेनल्टी कॉर्नर जीते, लेकिन उन्हें गोल में बदलने में असफल रहे। भारतीय डिफेंस थोड़ी नर्वस थी, लेकिन गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश ने कई महत्वपूर्ण सेव्स किए। मैच के आखिरी क्षणों में जर्मनप्रीत सिंह का गोल-लाइन सेव भी भारत के क्लीन रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। स्टैंडिंग्स इस जीत के साथ, भारत का क्वार्टरफाइनल में स्थान पक्का हो गया है, 3 ग्रुप मैचों से 7 पॉइंट्स के साथ। पिछले मैचों में, भारत ने न्यूज़ीलैंड को 3-2 से हराया और अर्जेंटीना के साथ 1-1 ड्रॉ किया। पूल बी के टॉप फोर टीमों, जिनमें भारत भी शामिल है, ने नॉकआउट स्टेज के लिए अपनी जगह सुनिश्चित की। अब उनका अगला मुकाबला ओलंपिक चैंपियन बेल्जियम से होगा, और उसके बाद सख्त ऑस्ट्रेलियंस से। ये मैच भारत की फाइनल पोजीशन और क्वार्टरफाइनल के विपक्षियों को तय करेंगे। आगे का रास्ता क्वार्टरफाइनल तक पहुंचना यह साबित करता है कि भारत की हॉकी टीम कौशल में बेहतरीन है और हरमनप्रीत सिंह की नेतृत्व भी अद्वितीय है। अब टीम को दूसरे हाफ में होने वाली कमी को सुलझाना होगा जब वे नॉकआउट राउंड के लिए तैयार होंगे और अपने ताकतवर पहलुओं का पूरा उपयोग करना सीखना होगा ताकि इस टूर्नामेंट में आगे बढ़ सकें।

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Delhi Government lettter

UPSC Aspirants की मौत के बाद दिल्ली सरकार कोचिंग सेंटरों पर नए कानून लागू करेगी

राउ के आईएएस स्टडी सर्कल में तीन UPSC उम्मीदवारों की मौत के बाद दिल्ली सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि वह पूरे शहर में कोचिंग केंद्रों के लिए एक नया विनियमन लाने जा रही है। एक नियोजित पहल का उद्देश्य राजधानी में कोचिंग केंद्रों के परिचालन और सुरक्षा मानकों में सुधार करना है। दिल्ली सरकार के नए नियम शिक्षा मंत्री आतिशी के मार्गदर्शन में दिल्ली सरकार निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं को लागू करेगीः बुनियादी ढांचे के मानकः कोचिंग केंद्रों के लिए सुरक्षा के बुनियादी मानकों को आपातकालीन निकास, पर्याप्त वेंटिलेशन और संरचनात्मक अखंडता के प्रावधानों के साथ बनाए रखा जाएगा ताकि बाढ़ जैसी चीजों से बचा जा सके। शिक्षक योग्यताः शिक्षकों की योग्यता और अनुभव के लिए प्रावधान किए जाएंगे ताकि गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक मानक सुनिश्चित किए जा सकें। शुल्क विनियमनः नए नियम शुल्क संरचनाओं को खुला रखेंगे ताकि शोषण की कोई संभावना न हो और शुल्क अत्यधिक या अनुचित न हों। विज्ञापन निरीक्षणः भ्रामक विज्ञापन भी कानून के दायरे में आएंगे, जो यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षण सुविधाओं से उनकी सेवाओं के बारे में वास्तविक और ईमानदार जानकारी प्राप्त हो। त्वरित कदम उठाए गए हैं। दिल्ली सरकार ने हाल की त्रासदी के आलोक में सुरक्षा उल्लंघनों के संबंध में तुरंत कार्रवाई की। बेसमेंट सीलिंगः दिल्ली सरकार ने 30 कोचिंग सेंटरों को सील कर दिया, जिनमें दृष्टि आईएएस और वजीराम जैसे बड़े नाम शामिल हैं। बेसमेंट में गंभीर सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। जारी किए गए नोटिसः नियमों का उल्लंघन करने वाले 200 अन्य कोचिंग सेंटरों को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। एम. सी. डी. ने भवन सुरक्षा मानदंडों और विनियमों को सुनिश्चित करने में विफलता के लिए एक कनिष्ठ अभियंता और एक सहायक अभियंता को निलंबित कर दिया है। भविष्य की रणनीतियाँ और समिति नियामक समिति का गठनः दिल्ली सरकार द्वारा नए नियामक कानून को अंतिम रूप देने के लिए सरकार और छात्र निकाय के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति नियमों की पूर्णता और कार्य क्षमता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक इनपुट प्राप्त करेगी। मजिस्ट्रेट जांचः वास्तव में क्या गलत हुआ, इसकी जाँच वर्तमान में एक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा रही है। जांच इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करेगी और पता चलने पर इसके निष्कर्षों के आधार पर उपायों की सिफारिश करेगी। रिपोर्ट छह दिनों में इस आश्वासन के साथ दी जाएगी कि लापरवाही करने वाले किसी भी अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। छात्रों के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए। टालने योग्य त्रासदी को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली सरकार ने कोचिंग सुविधाओं की सुरक्षा और जवाबदेही बढ़ाने के लिए कुछ नए विधायी प्रावधान किए हैं। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि दिल्ली के बच्चों के लिए बेहतर और अधिक सुरक्षित सीखने के वातावरण के लिए सरकार द्वारा कुछ सख्त नियमों को लागू करके बच्चों के लिए काम करने की स्थितियों को ठीक से प्रबंधित करने की आवश्यकता है।

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Nitin Gadkari

नितिन गडकरी ने बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी हटाने की मांग की

जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% माल और सेवा कर (जीएसटी) को समाप्त करने का अनुरोध करते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 31 जुलाई, 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा। नागपुर प्रभाग जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ ने एक ज्ञापन में बीमा व्यवसाय के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में चिंता व्यक्त की, जिसके कारण यह अनुरोध किया गया था। नितिन गडकरी के पत्र के अनुसार, जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान करना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर (Tax) लगाने के समान है। संघ का मानना है कि अपने परिवार की सुरक्षा के लिए इसे खरीदने वाले लोगों के लिए जीवन बीमा प्रीमियम पर कोई अतिरिक्त कर नहीं होना चाहिए। क्षेत्र के विस्तार को बाधित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली महत्वपूर्ण सेवाओं को प्रभावित करने वाला एक अन्य कारक चिकित्सा बीमा पर 18% जीएसटी है। मंत्री ने इस कर कटौती को ध्यान में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि वरिष्ठ लोग पहले से ही वर्तमान जीएसटी बोझ से असमान रूप से प्रभावित हैं। जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से जीएसटी को समाप्त करने से लोगों को कम भुगतान करने, उद्योग के विस्तार को प्रोत्साहित करने और लोगों के कुल कवरेज में सुधार करने में मदद मिल सकती है। कर कानूनों और बुनियादी सेवाओं के बीच संतुलन बनाने की निरंतर चिंताओं के आलोक में, यह अपील सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर बदलाव करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

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