भारत इस बार अपना 78 वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मना रहा है। देशभर में आजादी का जश्न अभी से शुरू हो गया है। लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में यह सवाल कौंधा कि देश को आजाद करने के लिए आखिर 15 अगस्त 1947 की तारीख ही क्यों चुनी गई? अगर नहीं तो आईये हम बताते हैं स्वतंत्रता दिवस से जुडी़ वह दिलचस्प कहानी, जिसकी वजह से अंग्रेजों ने भारत को आजाद (Independence) करने के लिए 15 अगस्त की तारीख को चुना गया था।
पहले 30 जून 1948 को मिलनी थी भारत को आजादी
प्रमाणित दस्तावेजों के अनुसार ब्रिटिश शासन भारत को पहले 30 जून 1948 को आजाद (Independence) करना चाहता था, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बंटवारा का मुद्दा बड़ा बन गया था। देश के अंदर हिंदू-मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक झगड़े की संभावना बढ़ने लगी थी, कई जगहों पर दंगे शुरू भी हो गए थे। अंग्रेजों को लगा कि अगर देरी की गई तो ज्यादा खून-खराबा हो सकता है। इसलिए भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू और जिन्ना से विचार विमर्श कर भारत को 15 अगस्त 1947 को ही आजाद करने का फैसला किया। इसके लिए माउंटबेटन ने 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल पेश किया। ब्रिटिश संसद ने इस बिल को तुरंत मंजूरी दे दी और भारत को 15 अगस्त 1947 की तारीख को आजाद करने की घोषणा कर दी गई।
15 अगस्त को ही क्यों चुना?
दरअसल, वायसराय लार्ड माउण्टबेटन के लिए 15 अगस्त की तारीख बेहद खास थी। इसी तारीख को 15 अगस्त, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आर्मी ने हार मानते हुए ब्रिटिश के सामने आत्मसमर्पण किया था। जिस ब्रिटिश सेना के सामने जापनी आर्मी ने हथियार डाले थे, उस अलाइड फोर्स के कमांडर लार्ड माउण्टबेटन थे। जापान के इस आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को मिला था। माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपने जीवन के लिए सबसे अच्छा दिन मानते थे। इसलिए उन्होंने भारत को आजाद करने के लिए भी 15 अगस्त का दिन ही चुना था। जिसकी वजह से भारत पहले से तय आजादी की तारीख से करीब 10 माह पहले ही आजाद (Independence) हो गया।
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