आरक्षण विरोधी आंदोलन के उपरांत हुई हिंसा के बाद बांग्लादेश (Bangladesh) की तात्कालिक प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। 5 अगस्त को उनके देश छोड़ने के बाद उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया। न सिर्फ जमकर उत्पात मचाया बल्कि वहां रह रहे तक़रीबन 600 से अधिक अल्पसंख्यक हिंदुओं को मौत के घाट भी उतार दिया। उनके घरों को लूटा गया। मंदिरों को तोड़ा गया, जलाया गया। बहन-बेटियों की अस्मत लूटी गई। बच्चियों के साथ दुष्कर्म तक किये गए। एक सोची समझी साजिश के तहत कट्टरपंथियों ने सिर्फ हिंदुओं को निशाना बनाया। इंटरनेशनल लेवल पर जब बांग्लादेशियों की थू-थू हुई तब बचाव में तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि “उग्र भीड़ ने सिर्फ उन्हीं को निशाना बनाया था, जो या तो शेख हसीना के समर्थक थे या फिर उनकी पार्टी अवामी लीग से जुड़े थे। गजब का तर्क दिया गया।
आये दिन अल्पसंख्यक समुदायों पर होते हैं हमले
खैर, अल्पसंख्यक हिंदुओं पर इस तरह का यह कोई पहला हमला नहीं है। आये दिन उनपर हमले होते रहते हैं। कल तक शेख हसीना के शासन में जो हिंदू (Hindu) अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे थे, वही आज डर के साये में जी रहे हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि 50 से ज्यादा जिलों में हिंदुओं को 200 से अधिक बार जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा। हालांकि, मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने हिंदुओं की रक्षा का आश्वासन दिया है। पंद्रह अगस्त के मौके पर दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के प्रति गहरी चिंता भी जताई। न सिर्फ चिंता जताई बल्कि मोहम्मद यूनुस से अल्प संख्यक समुदाय की सुरक्षा की चिंता व्यक्त किया। यही नहीं, यूएनओ ने कड़े शब्दों में हुए हमलों की भर्त्सना भी की। इतना कुछ होने के बाद बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के मुखिया यूनुस ने राजधानी ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर का दौरा कर हिंदू समुदाय को हर तरह की सुरक्षा मुहैया कराने का भरोसा दिया।
कभी बांग्लादेश में 23% से भी अधिक थे हिंदू
आपको बता दें, कभी बांग्लादेश (Bangladesh) में 23 प्रतिशत से अधिक हिंदू (Hindu) रहा करते थे। आज भी हिंदू बांग्लादेश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। साल 2022 में हुई जनसंख्या के मुताबिक तकरीबन 1 करोड़ बत्तीस लाख हिंदू रहते हैं। जोकि बांग्लादेश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। वहीं अन्य अल्पसंख्यक 1 फीसदी से भी कम हैं। बांग्लादेश की कुल आबादी 16.51 करोड़ की जनसंख्या में कुल 91. 08 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। ऐसा नहीं है कि यहां हिंदू की आबादी कम थी। एक शतक पहले यहां हिंदुओं की एक तिहाई से अधिक आबादी हुआ करती थी।
साल 1901 के बाद से हिंदुओं की जनसंख्या में निरंतर देखी गई गिरावट
आकड़ों की माने तो साल 1901 के बाद से हिंदुओं की जनसंख्या में निरंतर गिरावट देखी गई। उसके बाद से 1941 और 1974 के बीच हिंदुओं की आबादी में सबसे अधिक गिरावट देखी गई। हिंदुओं की घटती आबादी की एक सबसे बड़ी वजह विभाजन और पलायन भी है। इतिहासकारों की माने तो बंगाल के विभाजन के बाद 1.14 करोड़ हिंदू पूर्वी बंगाल में रह गए और सिर्फ 3,44,000 हिंदू पश्चिम बंगाल में रहे गए। तबके पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश (Bangladesh) के हिंदुओं को लगा कि यहां वो अमन चैन से रह सकेंगे। दरअसल, 1947 में भारत के दो टुकड़े कर पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान बनाया गया था। हालांकि उनकी यह सोच गलत साबित हुई। साल 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा ढाये गए जुल्मों-सितम के बाद के बाद सबसे बड़ा पलायन हुआ। एक अनुमान के मुताबिक तक़रीबन 97 लाख से अधिक बंगालियों ने भारत में शरण ली, जिसमें 70% से अधिक हिंदू थे।
प्रजनन दर में फर्क
विशेषज्ञों की मानें तो बंगाल में पहले से ही मुसलमानों में प्रजनन दर, हिंदुओं की प्रजनन दर से अधिक रही है। कारण यह भी है कि दिन-ब-दिन बांग्लादेश (Bangladesh) से हिंदू (Hindu) सिमटता जा रहा है। हालांकि मुसलमानों में संख्या वृद्धी दर, साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। दुनिया के किसी भी कोने में जाकर देख लीजिये। जहाँ भी ये बसे हैं, वहां उन्होंने सबसे पहले उस क्षेत्र का भूगोल बदला है। ये समूचे विश्व के लिए चिंता का सबब है। खैर, भारत में अल्पसंख्यकों को जिस तरह की छूठ और आज़ादी प्राप्त है उस तरह की आज़ादी दुनिया के किसी भी देश में किस भी अल्पसंख्यक को नहीं मिली है। खैर, हिंदुओं की घटती जनसंख्या एक चिंता का सबब ही है।
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