क्या हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और क्या हो सकते हैं इसके साइड इफेक्ट्स

Intermittent fasting

डाइट व न्यूट्रिशन जैसे शब्द आजकल बहुत चलन में हैं और डाइट में इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) एक लोकप्रिय नाम है। इंटरमिटेंट फास्टिंग तब होती है, जब खाने और फास्टिंग की अवधि के बीच में बदलाव किया जाता है। लेकिन, इंटरमिटेंट फास्टिंग खुद को भूखा रखना नहीं है, बल्कि यह कम समय में कैलोरीज में कटौती करना है। ऐसा माना जाता है कि इस फास्टिंग से हमारा शरीर कम भोजन से ही संतुष्ट हो जाता है और साथ ही इससे अनहेल्दी स्नैक्स की इच्छा भी कम हो जाती है। कुछ स्टडीज बताती हैं कि इस तरीके से फैट लॉस, बेहतर स्वास्थ्य और लंबी उम्र में वृद्धि जैसे लाभ हो सकते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) करने से पहले इसके बारे में जानकरी होना जरुरी है। आइए जानें इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में विस्तार से।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में जानकारी

हेल्थलाइन (Healthline) के अनुसार कुछ स्टडीज यह बताती हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) वजन कम करने में प्रभावी है। इसके साथ ही यह ब्रेन और हार्ट हेल्थ के लिए भी लाभदायक है। जानिए इसके प्रकारों के बारे में: 

इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार (Intermittent fasting types)

इंटरमिटेंट फास्टिंग को विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, हालांकि इन सभी में दिन या सप्ताह को खाने और फास्टिंग की अवधि में विभाजित करना शामिल है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार यह हैं: 

  • 16/8 मेथड: इस तरीके को लीनगेन्स प्रोटोकॉल कहा जाता है। इसमें दिन में आठ घंटे खाने की अवधि और 16 घंटे उपवास की अवधि होती है। कुछ लोग इसमें ब्रेकफास्ट को स्किप करके हैं। इसे अपनी इच्छानुसार किया जा सकता है।
  • ईट-स्टॉप-ईट: इस तरीके में हफ्ते में एक बार 24 घंटे उपवास करना शामिल है। इसे तभी करना चाहिए अगर आप इसमें कम्फर्टेबल हों।
  • 5:2 डाइट: इस तरीके से, सप्ताह के दो गैर-लगातार (nonconsecutive) दिनों में केवल 500-600 कैलोरी को ही लेना होता है, लेकिन अन्य 5 दिनों में सामान्य रूप से खाना होता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे (Intermittent fasting benefits)

स्टडीज यह बताती हैं कि यह फास्टिंग वजन कम करने और सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही रखने में फायदेमद हैं। हालांकि, इसके बारे में अधिक शोध करना जरूरी है। इसके अन्य लाभ इस प्रकार हैं: 

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस: यह तरीका इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में मददगार है। यह समस्या तब होती है जब शरीर इंसुलिन के प्रति ठीक से रिस्पॉन्ड नहीं करता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
  • इंफ्लेमेशन: कुछ स्टडीज बताती हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting)  इंफ्लेमेशन को कम करने में मददगार है। 
  • ब्रेन हेल्थ: यह फास्टिंग ब्रेन हार्मोन बीडीएनएफ को बढाती है और इससे नए नर्व सेल्स के विकास में सहायता मिल सकती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दुष्प्रभाव (Intermittent fasting side effects)

भूखा रहना इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) का सबसे प्रमुख साइड इफेक्ट है। इसे करने के बाद कमजोरी हो सकती है और ब्रेन भी वैसे काम नहीं करता है जैसे उसे करना चाहिए। ऐसा होना अस्थायी हो सकता और समय के साथ शरीर इस फास्टिंग के अनुकूल हो जाता है। कुछ मेडिकल कंडीशंस वाले लोगों को इस फास्टिंग को करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए जैसे डायबिटीज, लो ब्लड प्रेशर, अंडरवेट, प्रेग्नेंसी आदि।

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