आजकल के युग को डिजिटल युग कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। हर व्यक्ति आजकल मोबाइल फोन, लैपटॉप, टेलीविजन आदि का इस्तेमाल करता है। लेकिन, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि हम जिस तकनीक का उपयोग करते हैं, उसका हमारे मानसिक स्वास्थ्य और कॉग्निटिव फंक्शन पर क्या प्रभाव पड़ता है? दरअसल इन तकनीकों का हमारे शरीर और दिमाग पर बहुत बुरा असर होता है। डिजिटल तकनीकों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण होने वाली समस्या को डिजिटल डिमेंशिया (Digital dementia) का नाम दिया गया है, जो डिमेंशिया जैसी ही होती है। डिमेंशिया वो परेशानी है, जिसमें रोगी के ब्रेन में बदलाव के कारण सोचने, समझने आदि की क्षमता कम हो जाती है। आईये जानें डिजिटल डिमेंशिया (Digital dementia) क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
डिजिटल डिमेंशिया (Digital dementia) के बारे में जानकारी
हेल्थलाइन (Healthline) के अनुसार डिजिटल डिमेंशिया, टेक्नोलॉजी के अत्यधिक इस्तेमाल के जुड़े कॉग्निटिव बदलावों को कहा जाता है। हालांकि, डिजिटल डिमेंशिया कोई वास्तविक स्थिति नहीं है, लेकिन शोध से पता चलता है कि टेक्नोलॉजी के अधिक उपयोग से रोगी में डिमेंशिया जैसे परिवर्तन हो सकते हैं और डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ सकता है।
डिजिटल डिमेंशिया के लक्षण
डिजिटल डिमेंशिया कोई ऐसी कंडीशन नहीं है, जिसका निदान हो सके। इसलिए, इसके लक्षणों के बारे में बताना मुश्किल है। लेकिन, इसके लक्षण डिमेंशिया के समान हो सकते हैं, जैसे,
- शार्ट-टर्म मेमरी के समस्या
- चीजों को भूलना
- एक साथ कई काम करने में परेशानी होना
डिमेंशिया की तरह डिजिटल डिमेंशिया में भी रोगी को दूसरों से बात करने, रीजनिंग, फोकस आदि में परेशानी हो सकती है। अधिक स्क्रीन समय के कारण नींद और मूड में बदलाव आना भी असामान्य नहीं है, जिसका ब्रेन फंक्शन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
डिजिटल डिमेंशिया से बचाव
आजकल टेक्नोलॉजी से बचना संभव नहीं है। लेकिन, इसे खुद पर हावी होने देना बहुत गलत है।
डिजिटल डिमेंशिया होने से जोखिम से बचाव के तरीके इस प्रकार हैं:
- स्क्रीन टाइम कम करें: स्क्रीन टाइम कम करने से डिजिटल डिमेंशिया के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। अपना स्क्रीन टाइम जितना हो सके कम करें। हर उम्र के बच्चों को दिन में केवल दो घंटे तक ही स्क्रीन टाइम देना चाहिए। घरों में “स्क्रीन फ्री एरिया” होना चाहिए, खासतौर पर बेडरूम में।
- व्यायाम: व्यायाम का शारीरिक और मानसिक हेल्थ पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे हैप्पी हॉर्मोन्स बूस्ट होते हैं। इसलिए, फोन का कम इस्तेमाल करने और एक खुशी पाने का सबसे आसान और हेल्दी तरीका है व्यायाम करना। डिजिटल डिमेंशिया जैसी समस्या के रिस्क को भी इससे कम किया जा सकता है।
- किताबें पढ़े:आजकल लोग किताबें भी लैपटॉप या मोबिल पर बढ़ना पसंद करते हैं, इससे डिजिटल डिमेंशिया की संभावना बढ़ जाती है। इसकी जगह हार्डबाउंड किताब पढ़ें। इससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ेगी।
- दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं: लोगों के साथ मिलना और बात करना फोन से चिपके रहने के जगह वर्तमान में जीने के विचार को आगे बढ़ाता है। इससे आपको डिजिटल डिवाइस से दूर रहने में मदद मिलेगी और आपने रिश्ते भी मजबूत होंगे।
- अन्य चीजों पर फोकस करें: हम जब भी फ्री या बोर होते हैं, तो हमारा सबसे पहले ध्यान फोन पर जाता है, लेकिन इसकी जगह आप अन्य चीजों पर ध्यान फोकस करें। वो सब करें, जिसमें आपको मिलती हो। ब्रीदिंग, मेडिटेशन और जॉगिंग जैसी गतिविधियों से आपको इसमें मदद मिलेगी। जिससे डिजिटल डिमेंशिया से बचाव हो सकता है।
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