जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) वो कंडीशन है, जिसमें प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यह समस्या उन गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है, जिनमें इससे पहले कभी मधुमेह का निदान नहीं हुआ हो। जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) की दो क्लासेज होते हैं। जिनेम क्लास ए1 को सही डाइट और एक्सरसाइज से मैनेज किया जा सकता है। जबकि, क्लास ए2 में डॉक्टर इंसुलिन और अन्य दवाईयों की सलाह दे सकते हैं। शिशु के जन्म के बाद नयी मां में यह समस्या खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, इससे शिशु का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। यही नहीं, इसके कारण मां को भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना भी बढ़ जाती है। जानें जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण और रिस्क्स के बारे में। इसके लक्षणों के बारे में भी जानें।
जेस्टेशनल डायबिटीज के बारे में जानकारी
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार जेस्टेशनल डायबिटीज आमतौर पर गर्भावस्था के 24वें सप्ताह के आस-पास विकसित होती है। अधिकतर महिलाओं में इस डायबिटीज के लक्षण भी नजर नहीं आते हैं, इसलिए समय-समय पर इसकी जांच जरूरी है। जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) के कारणों के बारे में जानें।
जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण (Gestational diabetes causes)
जब भी हम कुछ खाते हैं, तो हमारा पैंक्रियाज इंसुलिन रिलीज करता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जो हमारे ब्लड से ग्लूकोज को सेल्स तक ले जाने में मदद करता है। इस ग्लूकोज का ऊर्जा के लिए उपयोग किया जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान, प्लेसेंटा हॉर्मोन बनाता है, जो ब्लड में ग्लूकोज का निर्माण करता है। आमतौर पर, पैंक्रियाज इसे संभालने के लिए पर्याप्त इंसुलिन भेज सकता है। लेकिन, यदि किसी का शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या इंसुलिन का उपयोग करना बंद कर देता है, तो उस महिला का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और इसे यह समस्या हो जाती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण (Gestational diabetes symptoms)
अधिकतर मामलों में जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। कुछ महिलाओं को इसके हल्के लक्षण महसूस हो सकते हैं। अक्सर इस समस्या के लक्षण तब तक नोटिस नहीं किया जाते हैं, जब तक इसका टेस्ट न कराया जाए।
कुछ इस प्रकार हैं जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण
- लगाकर मूत्र त्याग
- अत्यधिक प्यास लगना
- थकावट
- जी मिचलाना
- जेस्टेशनल डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स (Risk factors of Gestational diabetes)
- जेस्टेशनल डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स (Risk factors of Gestational diabetes) इस प्रकार हैं:
- अगर किसी का वजन बहुत अधिक हो
- फिजिकली एक्टिव न रहना
- प्रीडायबिटीज
- पिछली प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome)
- परिवार के किसी सदस्य को डायबिटीज होना
- एक निश्चित नस्ल या जातीयता का होना, जैसे कि हिस्पैनिक, अमेरिकी भारतीय और एशियाई अमेरिकी आदि।
जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) को मैनेज करने के लिए प्रेग्नेंसी में बार-बार ब्लड शुगर लेवल को चेक करें, सही डाइट लें और एक्सरसाइज करें। हालांकि, एक्टिव रहना और हेल्दी खाना ही काफी नहीं है। इसके लिए डॉक्टर इंसुलिन, मेटफोर्मिन और अन्य दवाईयों की सलाह भी दे सकते हैं।
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